1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय...

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27 अययन-सȡमȢ कȡ ȡदश- ǑिȲदȣ (कɅ Ǒिक) खȲड इस खȲड सȯ तȢन रकȡकȯ Ǘ छȯ जȡएȱगȯ :-Ǒदए गए कȡवयȡȲश मɅ सȯ अिट िण सȲबȲधȢ चȡर - *= अȲक :- Ǒदए गए कȡवयȡȲश मɅ सȯ सɋदयट -बȪध सȲबȲधȢ तȢन -*= अȲक :-वय-वत Ǖ पर आधȡǐरत तȢन रɉ मɅ सȯ दȪ रɉ कȯ उर -*=अȲक अधक अȲक-रȡǓ िȯ Ǖ यȡन दȯनȯ यȪय बȡतɅ :- कव, कवतȡ कȡ नȡम ,एक दȪ वȡयɉ मɅ Ǖ गǑित रसȲग यȡ पȲियɉ कȡ सȡर अǓनवȡयट Ǿप सȯ यȡद िȪनȡ चȡǑिए . वतटनȢ एवȲ वȡय गिन कȧ अश Ǖ धयȡȱ ( जȢरȪ) % रखनȯ कȯ लए उरɉ कȡ लखत अयȡस अǓनवȡयट िȰ . तȢन अȲक कȯ कȯ उर मɅ अǓनवȡयटत: तȢन वचȡर-ǒबȲद Ǖ , शȢटक बनȡ कर रȯखȡȲकत करतȯ ि Ǖ , मबध Ǿप सȯ उर लखȡ जȡनȡ चȡǑिए . अय रɉ कȯ उरɉ मɅ िȢ इसȢ रकȡअȲकɉ कȯ अन Ǖ सȡर वचȡर-ǒबȲद Ǖ ओȲ कȧ सȲयȡ िȪनȢ चȡǑिए . समय पर Ǘ णट -िकरनȯ कȯ लए उरɉ कȯ Ǖ ǒबȲद Ǖ सȯ यȡद िȪनȯ चȡǑिए . उरɉ कȯ वचȡर-ǒबद Ǖ ओȲ एवȲ वȡयɉ कȡ Ǔनǔित िȪनȡ चȡǑिए जȪ पिलȯ सȯ उर यȡद कए ǒबनȡ सȲिव निȣȲ िȪतȡ . कȡवय-सɉदयट सȲबȲधȢ रɉ मɅ अलȲकȡर ,छȲ द आǑद वशȯतȡएȱ कवतȡ मɅ सȯ उदȡिरण अȲश लख कर पष कȧ जȡनȢ चȡǑिए . िȡव-सȡय कȯ Ǿप मɅ अिट सȯ मलतȢ-Ǖ लतȢ अय कवयɉ कȧ पȲियȡȱ लखनȡ उपय Ǖ ि िȰ . कव एवȲ कवतȡ कȧ Ǚ ʓि Ǘ शक कȧ सिȡयतȡ सȯ अǓनवȡयट Ǿप सȯ समझ लɅ | उपय Ǖ ि िȡन पर इसȯ उर मɅ सȲकȯ Ǔतत िȢ करɅ .

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Page 1: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

27

अधययन-सामगर

ककषा दवादश- हिदी (क हिक)

पद खड

इस खड स त न रकार क रशन पछ जाएाग ndash

रशन -७ हदए गए कावयाश म स अिट गरिण सबध चार रशन- २४ = ८ अक

रशन ८ - हदए गए कावयाश म स सौदयट-बोध सबध त न रशन -२३= ६ अक

रशन ९ -पवरय-वसत पर आधाररत त न रशनो म स दो रशनो क उततर -३२=६ अक

अधधक अक-रानपत ित धयान दन योगय बात -

कपव कपवता का नाम एक दो वाकयो म सगहित रसग या पकतियो का सार अननवायट रप स याद

िोना चाहिए

वतटन एव वाकय गिन की अशपदधयाा ० ( ज रो) रखन क भलए उततरो का भलणखत अभयास

अननवायट ि

त न अक क रशन क उततर म अननवायटत त न पवचार-बबद श रटक बना कर रखाककत करत िए

करमबदध रप स उततर भलखा जाना चाहिए अनय रशनो क उततरो म ि इस रकार अको क अनसार

पवचार-बबदओ की सखया िोन चाहिए

समय पर पणट रशन-पतर िल करन क भलए उततरो क मखय बबद करम स याद िोन चाहिए

उततरो क पवचार-बबनदओ एव वाकयो का नननदित करम िोना चाहिए जो पिल स उततर याद ककए बबना सिव निी िोता

कावय-सोदयट सबध रशनो म अलकार छद आहद पवशरताएा कपवता म स उदािरण अश भलख कर

सपषट की जान चाहिए

िाव-सामय क रप म अिट स भमलत -जलत अनय कपवयो की पकतियाा भलखना उपयि ि

कपव एव कपवता की पषठिभम भशकषक की सिायता स अननवायट रप स समझ ल | उपयि सिान पर

इस उततर म सकनतत ि कर

28

1 कपवता ndash आतम पररचय

िररवश राय बचचन

lsquoआतमपररचयrsquo- lsquoननशा ननमतरणrsquo ग त-सगरि का एक ग त

सार -

१ सवय को जानना दननया को जानन स अधधक कहिन ि ि और आवशयक ि

२ वयकति क भलए समाज स ननरपकष एव उदास न रिना न तो सिव ि न िी उधचत ि दननया अपन वयगय

बाणो शासन ndashरशासन स चाि ककतना कषट द पर दननया स कट कर वयकति अपन पिचान निी बना सकता पररवश िी वयकति को बनाता ि ढालता ि

३ इस कपवता म कपव न समाज एव पररवश स रम एव सघरट का सबध ननिात िए ज वन म सामजसय

सिापपत करन की बात की ि

४ छायावादोततर ग नत कावय म र नत-कलि का यि पवरोधािास हदखाई दता ि वयकति और समाज का सबध इस रकार रम और सघरट का ि नदजसम कपव आलोचना की परवाि न करत िए सतलन सिापपत

करत िए चलता ि

५ lsquoनादान विी ि िाय जिाा पर दानाrsquo पकति क माधयम स कपव सतय की खोज क भलए अिकार को तयाग

कर नई सोच अपनान पर जोर द रिा ि

कावय-खड पर आधाररत दो रकार क रशन पछ जाएाग ndash अिटगरिण-सबध एव सौदयट-बोध-सबध

अिटगरिण-सबध रशन

1‐ldquoम जग-ज वन का िार भलए कफरता िा

कफर ि ज वन म पयार भलए कफरता िा

कर हदया ककस न झकत नदजनको छकर

म साासो क दो तार भलए कफरता िाldquo

रशन १-कपव अपन हदय म कया - कया भलए कफरता ि

29

उततर- कपव अपन सासाररक अनिवो क सख - दख हदय म भलए कफरता ि

रशन २- कपव का जग स कसा ररशता ि

उततर- कपव का जगज वन स खटटाम िा ररशता ि

रशन३- पररवश का वयकति स कया सबध ि म साासो क दो तार भलए कफरता िाldquoक माधयम स कपव कया किना चािता ि

उततर- ससार म रि कर ससार स ननरपकषता सिव निीि कयोकक पररवश म रिकर िी वयकति की पिचान

बनत िउसकी अनदसमता सरकषकषत रित ि

रशन४- पवरोधो क ब च कपव का ज वन ककस रकार वयत त िोता ि

उततर-दननया क साि सघरटपणट सबध क चलत कपव का ज वन-पवरोधो क ब च सामजसय करत िए

वयत त िोता ि

सौदयट-बोध सबध रशन

ldquo म सनि-सरा का पान ककया करता िा

म कि न जग का धयान ककया करता िा

जग पछ रिा उनको जो जग की गात

म अपन मन का गान ककया करता िाrdquo

रशन १- कपवता की इन पकतियो स अलकार छााट कर भलणखए|

उततर -सनि- सराndash रपक अलकार

रशन २- कपवता म रयि मिावर भलणखए -

उततर -lsquoजग पछ रिाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoमन का गानrsquo आहद मिावरो का रयोग

रशन३- कपवता म रयि शली का नाम भलख |

उततर - ग नत-शली

30

कपवता

आतम-पररचय

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव कौन-कौन-स नदसिनतयो म मसत रिता ि और कयो

उततर- कपव सासाररक सख-दख की दोनो पररनदसिनतयो म मगन रिता ि उसक पास रम की सातवना दानयन अमलय ननधध ि

रशन२-कपव िव-सागर स तरन क भलए कया उपाय अपना रिा ि

उततर- ससार क कषटो को सित िए िम यि धयान रखना चाहिए कक कषटो को सिना पड़गा इसक भलए

मनषय को िास कर कषट सिना चाहिए

रशन३-rsquoअपन मन का गानrsquo का कया आशय ि

उततर- ससार उन लोगो को आदर दता ि जो उसकी बनाई लीक पर चलत ि परत कपव कवल विी कायट करता ि जो उसक मन बपदध और पववक को अचछा लगता ि

रशन४- rsquoनादान विी ि िाय जिाा पर दानाrsquo का कया आशय ि

उततर- जिाा किी मनषय को पवदवतता का अिकार ि वासतव म विी नादान का सबस बड़ा लकषण ि

रशन५- rsquoरोदन म रागrsquo कस सिव ि

उततर- कपव की रचनाओ म वयि प ड़ा वासतव म उसक हदय म मानव मातर क रनत वयापत रम का िी सचक ि

रशन६- rdquoम फट पड़ा तम कित छद बनानाrdquo का अिट सपषट कीनदजए

उततर- कपव की शरषठ रचनाएा वासतव म उसक मन की प ड़ा की िी अभिवयकति ि नदजनकी सरािना ससार

शरषठ साहितय किकर ककया करता ि

31

कपवता

हदन जलरदी जलदी ढलता ि

रसतत कपवता म कपव बचचन कित ि कक समय ब तत जान का एिसास िम लकषय-रानपत क भलए रयास

करन क भलए रररत करता ि

मागट पर चलन वाला रािी यि सोचकर अपन मनदजल की ओर कदम बिाता ि कक किी रासत म िी रात न

िो जाए

पकषकषयो को ि हदन ब तन क साि यि एिसास िोता ि कक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रि िोग यि सोचकर उनक पखो म गनत आ जात ि कक व जलदी स अपन बचचो स भमल सक

कपवता म आशावादी सवर िगतवय का समरण पधिक क कदमो म सफनतट िर दता िआशा की ककरण

ज वन की जड़ता को समापत कर दत ि वयकतिक अनिनत का कपव िोन पर ि बचचन ज की रचनाएा ककस सकारातमक सोच तक ल जान का रयास ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoबचच रतयाशा म िोग

न ड़ो स झाक रि िोग

यि धयान परो म धचकतड़या क

िरता ककतन चचलता िrdquo

रशन १ -पि और रात स कया तातपयट ि

उततर -ज वन रप पि म मतय रप रात स सचत रिन क भलए किा गया ि

रशन२ -पधिक क परो की गनत ककस रकार बि जात ि

उततर -मनदजल क पास िोन का अिसासsbquo वयकति क मन म सफनतट िर दता ि

रशन३ -धचकतड़या की चचलता का कया कारण ि

उततर -धचकतड़या क बचच उसकी रत कषा करत िोग यि पवचार धचकतड़या क पखो म गनत िर कर उस चचल

बना दता ि

रशन४ -रयासो म तज लान क भलए मनषय को कया करना चाहिए

उततर - रयासो म तज लान क भलए मनषय को ज वन म एक नननदित मधर लकषय सिापपत करना चाहिए

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2 पतग

आलोक धनवा

पतग कपवता म कपव आलोक धनवा बचचो की बाल सलि इचछाओ और उमगो तिा रकनत क साि उनक

रागातमक सबधो का अतयत सनदर धचतरण ककया ििादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन

िोता िचारो ओर रकाश फल जाता िसवर क सयट का रकाश लाल चमकीला िो जाता िशरद ऋत क

आगमन स उतसाि एव उमग का मािौल बन जाता ि

शरद ऋत का यि चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क भलए बलाता ि और पतग उड़ान क भलए मद

मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ि कक दननया की सबस िलक रग न कागज और बास की सबस पतली कमान स बन पतग आकाश की ऊा चाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पाावो की कोमलता स आकपरटत िो कर मानो धरत उनक पास आत ि अनयिा उनक पााव धरत पर पड़त िी निी| ऐसा लगता ि मानो व िवा म उड़त जा रि िपतग उड़ात समय बचच रोमाधचत िोत ि |एक सग तमय ताल पर उनक

शरीर िवा म लिरात िव ककस ि खतर स बबलकल बखबर िोत िबाल मनोपवजञान बाल ककरयाndash

कलापो एव बाल सलि इचछाओ का सदर बबबो क माधयम स अकन ककया गया ि

सौदयट-बोध सबध रशन

lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo

lsquoऔर ि ननडर िो कर सनिल सरज क सामन आत िrsquo

lsquoछतो को और ि नरम बनात िएrsquo

lsquoजब व पग िरत िए चल आत ि

डाल की तरि लच ल वग स अकसरlsquo

रशन १- lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

इस पकति की िारा सबध पवशरता भलणखए |

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उततर - इस पकति की िारा सबध पवशरता ननमनभलणखत ि -

नए रत को का रयोग -कपास-कोमलता

रशन२- इस पकति म रयि लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए|

उततर - लाकषणणकता -lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo-सग तमय वातावरण की सपषट

रशन३ - सनिला सरज रत क का अिट भलख |

उततर - सनिल सरज क सामन ndash ननडर उतसाि स िर िोना

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

का वर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पररषकार एव साफ सिरापन ियिािट का कलातमक सवदनापणट धचतरण उनकी रचनाओ की पवशरता िउनकी रचनाएा ज वन को समझन की नदजजञासा ि यिािटndash रानपत की घोरणा निीवयकतिक एव सामानदजक तनाव वयजनापणट िग स उनकी रचनाओ म सिान म पाता िरसतत कपवता म कपवतव शकति का वणटन ि कपवता धचकतड़या की उड़ान की तरि कलपना की उड़ान ि

लककन धचकतड़या क उड़न की अपन स मा ि जबकक कपव अपन कलपना क पख पसारकर दश और काल की स माओ स पर उड़ जाता ि

फल कपवता भलखन की ररणा तो बनता ि लककन कपवता तो बबना मरझाए िर यग म अपन खशब बबखरत रित ि

कपवता बचचो क खल क समान ि और समय और काल की स माओ की परवाि ककए बबना अपन कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच ि जानत ि

मानव बबबो क माधयम स कावय रचनाndash रककरया को रसतत ककया गया ि

कपवता म धचकतड़या फल और बचच क रत को क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजाट की तलना कपवता-रचना स की गई ि धचकतड़या की उड़ान फल का पवकास अपन स मा म आबदध ि परनत कपव की कलपना शकति एव बालक क सवपन व ऊजाट अस म ि

साहितय का मितवsbquo राकनतक सौनदयट की अपकषा मानव क िाव-सौनदयट की शरषठता का रनतपादन

ककया गया ि

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ldquoकपवता की उड़ान ि धचकतड़या क बिान

कपवता की उड़ान िला धचकतड़या कया जान

बािर ि तर

इस घर उस घर

कपवता क पख लगा उड़न क मान

धचकतड़या कया जानrdquo

रशन १- इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

उततर - इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखत ि -

१ नए रत क -धचकतड़याsbquo

२ मिावरो का सटीक रयोग ndashसब घर एक कर दनाsbquo कपव की कलपना की उवटर शकति नदजसका रयोग करन म कपव जम न-आसमान एक कर दता ि |

रशन २ कपवता की उड़ान ndashका लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

उततर -कावय की सकषम अिट ननरपण शकति कपव की कलपना का पवसतार

रशन - कपवता क पख ककसका रत क ि

उततर -कपव की कलपना शकति का |

35

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-धचकतड़या की उड़ान एव कपवता की उड़ान म कया समानता ि

उततर -उपकरणो की समानता - धचकतड़या एक घोसल का सजन नतनक एकतर करक करत ि| कपव ि उस रकार अनक िावो एव पवचारो का सगरि करक कावय रचना करता ि

कषमता की समानता - धचकतड़या की उड़ान और कपव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जात ि|

रशन२ - कपवता की उड़ान धचकतड़या की समझ स पर कयो ि

उततर - कपवता की उड़ान धचकतड़या की उड़ान स किी अधधक सकषम और मिततवपणट िोत ि

रशन३ -ldquoफल मरझा जात ि पर कपवता निीrdquo कयो सपषट कीनदजए

उततर - कपवता कालजय िोत ि उसका मलय शाशवत िोता ि जबकक फल बित जलदी कमिला जात ि

रशन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकपव का कपवता भलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव पवरमता ि

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान असतवयसत कर दता ि सब कछ टटोलता ि एक सिान पर

एकतर कर लता ि कावरय रचना-रककरया म कपव ि परा मानव ज वन खगाल लता ि एक जगि पपरोता ि

पर कफर ि दोनो क रयासो म बाल-ककरयाओ का आनद कपव निी समझ सकता

कपवता ndash बात स ध ि पर

रसतत कपवता म िाव क अनरप िारा क मिततव पर बल हदया गया ि

कपव कित ि कक एक बार वि सरल स ध कथय की अभिवयकति म ि िारा क चककर म ऐसा फा स गया कक

उस कथय िी बदला -बदला सा लगन लगा कपव किता ि कक नदजस रकार जोर जबरदसत करन स कील की

चड़ मर जात ि और तब चड़ दार कील को चड़ पविीन कील की तरि िोकना पड़ता ि उस रकार कथय क अनकल िारा क अिाव म रिाविीन िारा म िाव को अभिवयकति ककया जाता ि

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 2: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

28

1 कपवता ndash आतम पररचय

िररवश राय बचचन

lsquoआतमपररचयrsquo- lsquoननशा ननमतरणrsquo ग त-सगरि का एक ग त

सार -

१ सवय को जानना दननया को जानन स अधधक कहिन ि ि और आवशयक ि

२ वयकति क भलए समाज स ननरपकष एव उदास न रिना न तो सिव ि न िी उधचत ि दननया अपन वयगय

बाणो शासन ndashरशासन स चाि ककतना कषट द पर दननया स कट कर वयकति अपन पिचान निी बना सकता पररवश िी वयकति को बनाता ि ढालता ि

३ इस कपवता म कपव न समाज एव पररवश स रम एव सघरट का सबध ननिात िए ज वन म सामजसय

सिापपत करन की बात की ि

४ छायावादोततर ग नत कावय म र नत-कलि का यि पवरोधािास हदखाई दता ि वयकति और समाज का सबध इस रकार रम और सघरट का ि नदजसम कपव आलोचना की परवाि न करत िए सतलन सिापपत

करत िए चलता ि

५ lsquoनादान विी ि िाय जिाा पर दानाrsquo पकति क माधयम स कपव सतय की खोज क भलए अिकार को तयाग

कर नई सोच अपनान पर जोर द रिा ि

कावय-खड पर आधाररत दो रकार क रशन पछ जाएाग ndash अिटगरिण-सबध एव सौदयट-बोध-सबध

अिटगरिण-सबध रशन

1‐ldquoम जग-ज वन का िार भलए कफरता िा

कफर ि ज वन म पयार भलए कफरता िा

कर हदया ककस न झकत नदजनको छकर

म साासो क दो तार भलए कफरता िाldquo

रशन १-कपव अपन हदय म कया - कया भलए कफरता ि

29

उततर- कपव अपन सासाररक अनिवो क सख - दख हदय म भलए कफरता ि

रशन २- कपव का जग स कसा ररशता ि

उततर- कपव का जगज वन स खटटाम िा ररशता ि

रशन३- पररवश का वयकति स कया सबध ि म साासो क दो तार भलए कफरता िाldquoक माधयम स कपव कया किना चािता ि

उततर- ससार म रि कर ससार स ननरपकषता सिव निीि कयोकक पररवश म रिकर िी वयकति की पिचान

बनत िउसकी अनदसमता सरकषकषत रित ि

रशन४- पवरोधो क ब च कपव का ज वन ककस रकार वयत त िोता ि

उततर-दननया क साि सघरटपणट सबध क चलत कपव का ज वन-पवरोधो क ब च सामजसय करत िए

वयत त िोता ि

सौदयट-बोध सबध रशन

ldquo म सनि-सरा का पान ककया करता िा

म कि न जग का धयान ककया करता िा

जग पछ रिा उनको जो जग की गात

म अपन मन का गान ककया करता िाrdquo

रशन १- कपवता की इन पकतियो स अलकार छााट कर भलणखए|

उततर -सनि- सराndash रपक अलकार

रशन २- कपवता म रयि मिावर भलणखए -

उततर -lsquoजग पछ रिाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoमन का गानrsquo आहद मिावरो का रयोग

रशन३- कपवता म रयि शली का नाम भलख |

उततर - ग नत-शली

30

कपवता

आतम-पररचय

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव कौन-कौन-स नदसिनतयो म मसत रिता ि और कयो

उततर- कपव सासाररक सख-दख की दोनो पररनदसिनतयो म मगन रिता ि उसक पास रम की सातवना दानयन अमलय ननधध ि

रशन२-कपव िव-सागर स तरन क भलए कया उपाय अपना रिा ि

उततर- ससार क कषटो को सित िए िम यि धयान रखना चाहिए कक कषटो को सिना पड़गा इसक भलए

मनषय को िास कर कषट सिना चाहिए

रशन३-rsquoअपन मन का गानrsquo का कया आशय ि

उततर- ससार उन लोगो को आदर दता ि जो उसकी बनाई लीक पर चलत ि परत कपव कवल विी कायट करता ि जो उसक मन बपदध और पववक को अचछा लगता ि

रशन४- rsquoनादान विी ि िाय जिाा पर दानाrsquo का कया आशय ि

उततर- जिाा किी मनषय को पवदवतता का अिकार ि वासतव म विी नादान का सबस बड़ा लकषण ि

रशन५- rsquoरोदन म रागrsquo कस सिव ि

उततर- कपव की रचनाओ म वयि प ड़ा वासतव म उसक हदय म मानव मातर क रनत वयापत रम का िी सचक ि

रशन६- rdquoम फट पड़ा तम कित छद बनानाrdquo का अिट सपषट कीनदजए

उततर- कपव की शरषठ रचनाएा वासतव म उसक मन की प ड़ा की िी अभिवयकति ि नदजनकी सरािना ससार

शरषठ साहितय किकर ककया करता ि

31

कपवता

हदन जलरदी जलदी ढलता ि

रसतत कपवता म कपव बचचन कित ि कक समय ब तत जान का एिसास िम लकषय-रानपत क भलए रयास

करन क भलए रररत करता ि

मागट पर चलन वाला रािी यि सोचकर अपन मनदजल की ओर कदम बिाता ि कक किी रासत म िी रात न

िो जाए

पकषकषयो को ि हदन ब तन क साि यि एिसास िोता ि कक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रि िोग यि सोचकर उनक पखो म गनत आ जात ि कक व जलदी स अपन बचचो स भमल सक

कपवता म आशावादी सवर िगतवय का समरण पधिक क कदमो म सफनतट िर दता िआशा की ककरण

ज वन की जड़ता को समापत कर दत ि वयकतिक अनिनत का कपव िोन पर ि बचचन ज की रचनाएा ककस सकारातमक सोच तक ल जान का रयास ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoबचच रतयाशा म िोग

न ड़ो स झाक रि िोग

यि धयान परो म धचकतड़या क

िरता ककतन चचलता िrdquo

रशन १ -पि और रात स कया तातपयट ि

उततर -ज वन रप पि म मतय रप रात स सचत रिन क भलए किा गया ि

रशन२ -पधिक क परो की गनत ककस रकार बि जात ि

उततर -मनदजल क पास िोन का अिसासsbquo वयकति क मन म सफनतट िर दता ि

रशन३ -धचकतड़या की चचलता का कया कारण ि

उततर -धचकतड़या क बचच उसकी रत कषा करत िोग यि पवचार धचकतड़या क पखो म गनत िर कर उस चचल

बना दता ि

रशन४ -रयासो म तज लान क भलए मनषय को कया करना चाहिए

उततर - रयासो म तज लान क भलए मनषय को ज वन म एक नननदित मधर लकषय सिापपत करना चाहिए

32

2 पतग

आलोक धनवा

पतग कपवता म कपव आलोक धनवा बचचो की बाल सलि इचछाओ और उमगो तिा रकनत क साि उनक

रागातमक सबधो का अतयत सनदर धचतरण ककया ििादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन

िोता िचारो ओर रकाश फल जाता िसवर क सयट का रकाश लाल चमकीला िो जाता िशरद ऋत क

आगमन स उतसाि एव उमग का मािौल बन जाता ि

शरद ऋत का यि चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क भलए बलाता ि और पतग उड़ान क भलए मद

मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ि कक दननया की सबस िलक रग न कागज और बास की सबस पतली कमान स बन पतग आकाश की ऊा चाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पाावो की कोमलता स आकपरटत िो कर मानो धरत उनक पास आत ि अनयिा उनक पााव धरत पर पड़त िी निी| ऐसा लगता ि मानो व िवा म उड़त जा रि िपतग उड़ात समय बचच रोमाधचत िोत ि |एक सग तमय ताल पर उनक

शरीर िवा म लिरात िव ककस ि खतर स बबलकल बखबर िोत िबाल मनोपवजञान बाल ककरयाndash

कलापो एव बाल सलि इचछाओ का सदर बबबो क माधयम स अकन ककया गया ि

सौदयट-बोध सबध रशन

lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo

lsquoऔर ि ननडर िो कर सनिल सरज क सामन आत िrsquo

lsquoछतो को और ि नरम बनात िएrsquo

lsquoजब व पग िरत िए चल आत ि

डाल की तरि लच ल वग स अकसरlsquo

रशन १- lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

इस पकति की िारा सबध पवशरता भलणखए |

33

उततर - इस पकति की िारा सबध पवशरता ननमनभलणखत ि -

नए रत को का रयोग -कपास-कोमलता

रशन२- इस पकति म रयि लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए|

उततर - लाकषणणकता -lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo-सग तमय वातावरण की सपषट

रशन३ - सनिला सरज रत क का अिट भलख |

उततर - सनिल सरज क सामन ndash ननडर उतसाि स िर िोना

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

का वर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पररषकार एव साफ सिरापन ियिािट का कलातमक सवदनापणट धचतरण उनकी रचनाओ की पवशरता िउनकी रचनाएा ज वन को समझन की नदजजञासा ि यिािटndash रानपत की घोरणा निीवयकतिक एव सामानदजक तनाव वयजनापणट िग स उनकी रचनाओ म सिान म पाता िरसतत कपवता म कपवतव शकति का वणटन ि कपवता धचकतड़या की उड़ान की तरि कलपना की उड़ान ि

लककन धचकतड़या क उड़न की अपन स मा ि जबकक कपव अपन कलपना क पख पसारकर दश और काल की स माओ स पर उड़ जाता ि

फल कपवता भलखन की ररणा तो बनता ि लककन कपवता तो बबना मरझाए िर यग म अपन खशब बबखरत रित ि

कपवता बचचो क खल क समान ि और समय और काल की स माओ की परवाि ककए बबना अपन कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच ि जानत ि

मानव बबबो क माधयम स कावय रचनाndash रककरया को रसतत ककया गया ि

कपवता म धचकतड़या फल और बचच क रत को क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजाट की तलना कपवता-रचना स की गई ि धचकतड़या की उड़ान फल का पवकास अपन स मा म आबदध ि परनत कपव की कलपना शकति एव बालक क सवपन व ऊजाट अस म ि

साहितय का मितवsbquo राकनतक सौनदयट की अपकषा मानव क िाव-सौनदयट की शरषठता का रनतपादन

ककया गया ि

34

ldquoकपवता की उड़ान ि धचकतड़या क बिान

कपवता की उड़ान िला धचकतड़या कया जान

बािर ि तर

इस घर उस घर

कपवता क पख लगा उड़न क मान

धचकतड़या कया जानrdquo

रशन १- इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

उततर - इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखत ि -

१ नए रत क -धचकतड़याsbquo

२ मिावरो का सटीक रयोग ndashसब घर एक कर दनाsbquo कपव की कलपना की उवटर शकति नदजसका रयोग करन म कपव जम न-आसमान एक कर दता ि |

रशन २ कपवता की उड़ान ndashका लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

उततर -कावय की सकषम अिट ननरपण शकति कपव की कलपना का पवसतार

रशन - कपवता क पख ककसका रत क ि

उततर -कपव की कलपना शकति का |

35

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-धचकतड़या की उड़ान एव कपवता की उड़ान म कया समानता ि

उततर -उपकरणो की समानता - धचकतड़या एक घोसल का सजन नतनक एकतर करक करत ि| कपव ि उस रकार अनक िावो एव पवचारो का सगरि करक कावय रचना करता ि

कषमता की समानता - धचकतड़या की उड़ान और कपव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जात ि|

रशन२ - कपवता की उड़ान धचकतड़या की समझ स पर कयो ि

उततर - कपवता की उड़ान धचकतड़या की उड़ान स किी अधधक सकषम और मिततवपणट िोत ि

रशन३ -ldquoफल मरझा जात ि पर कपवता निीrdquo कयो सपषट कीनदजए

उततर - कपवता कालजय िोत ि उसका मलय शाशवत िोता ि जबकक फल बित जलदी कमिला जात ि

रशन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकपव का कपवता भलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव पवरमता ि

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान असतवयसत कर दता ि सब कछ टटोलता ि एक सिान पर

एकतर कर लता ि कावरय रचना-रककरया म कपव ि परा मानव ज वन खगाल लता ि एक जगि पपरोता ि

पर कफर ि दोनो क रयासो म बाल-ककरयाओ का आनद कपव निी समझ सकता

कपवता ndash बात स ध ि पर

रसतत कपवता म िाव क अनरप िारा क मिततव पर बल हदया गया ि

कपव कित ि कक एक बार वि सरल स ध कथय की अभिवयकति म ि िारा क चककर म ऐसा फा स गया कक

उस कथय िी बदला -बदला सा लगन लगा कपव किता ि कक नदजस रकार जोर जबरदसत करन स कील की

चड़ मर जात ि और तब चड़ दार कील को चड़ पविीन कील की तरि िोकना पड़ता ि उस रकार कथय क अनकल िारा क अिाव म रिाविीन िारा म िाव को अभिवयकति ककया जाता ि

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 3: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

29

उततर- कपव अपन सासाररक अनिवो क सख - दख हदय म भलए कफरता ि

रशन २- कपव का जग स कसा ररशता ि

उततर- कपव का जगज वन स खटटाम िा ररशता ि

रशन३- पररवश का वयकति स कया सबध ि म साासो क दो तार भलए कफरता िाldquoक माधयम स कपव कया किना चािता ि

उततर- ससार म रि कर ससार स ननरपकषता सिव निीि कयोकक पररवश म रिकर िी वयकति की पिचान

बनत िउसकी अनदसमता सरकषकषत रित ि

रशन४- पवरोधो क ब च कपव का ज वन ककस रकार वयत त िोता ि

उततर-दननया क साि सघरटपणट सबध क चलत कपव का ज वन-पवरोधो क ब च सामजसय करत िए

वयत त िोता ि

सौदयट-बोध सबध रशन

ldquo म सनि-सरा का पान ककया करता िा

म कि न जग का धयान ककया करता िा

जग पछ रिा उनको जो जग की गात

म अपन मन का गान ककया करता िाrdquo

रशन १- कपवता की इन पकतियो स अलकार छााट कर भलणखए|

उततर -सनि- सराndash रपक अलकार

रशन २- कपवता म रयि मिावर भलणखए -

उततर -lsquoजग पछ रिाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoमन का गानrsquo आहद मिावरो का रयोग

रशन३- कपवता म रयि शली का नाम भलख |

उततर - ग नत-शली

30

कपवता

आतम-पररचय

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव कौन-कौन-स नदसिनतयो म मसत रिता ि और कयो

उततर- कपव सासाररक सख-दख की दोनो पररनदसिनतयो म मगन रिता ि उसक पास रम की सातवना दानयन अमलय ननधध ि

रशन२-कपव िव-सागर स तरन क भलए कया उपाय अपना रिा ि

उततर- ससार क कषटो को सित िए िम यि धयान रखना चाहिए कक कषटो को सिना पड़गा इसक भलए

मनषय को िास कर कषट सिना चाहिए

रशन३-rsquoअपन मन का गानrsquo का कया आशय ि

उततर- ससार उन लोगो को आदर दता ि जो उसकी बनाई लीक पर चलत ि परत कपव कवल विी कायट करता ि जो उसक मन बपदध और पववक को अचछा लगता ि

रशन४- rsquoनादान विी ि िाय जिाा पर दानाrsquo का कया आशय ि

उततर- जिाा किी मनषय को पवदवतता का अिकार ि वासतव म विी नादान का सबस बड़ा लकषण ि

रशन५- rsquoरोदन म रागrsquo कस सिव ि

उततर- कपव की रचनाओ म वयि प ड़ा वासतव म उसक हदय म मानव मातर क रनत वयापत रम का िी सचक ि

रशन६- rdquoम फट पड़ा तम कित छद बनानाrdquo का अिट सपषट कीनदजए

उततर- कपव की शरषठ रचनाएा वासतव म उसक मन की प ड़ा की िी अभिवयकति ि नदजनकी सरािना ससार

शरषठ साहितय किकर ककया करता ि

31

कपवता

हदन जलरदी जलदी ढलता ि

रसतत कपवता म कपव बचचन कित ि कक समय ब तत जान का एिसास िम लकषय-रानपत क भलए रयास

करन क भलए रररत करता ि

मागट पर चलन वाला रािी यि सोचकर अपन मनदजल की ओर कदम बिाता ि कक किी रासत म िी रात न

िो जाए

पकषकषयो को ि हदन ब तन क साि यि एिसास िोता ि कक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रि िोग यि सोचकर उनक पखो म गनत आ जात ि कक व जलदी स अपन बचचो स भमल सक

कपवता म आशावादी सवर िगतवय का समरण पधिक क कदमो म सफनतट िर दता िआशा की ककरण

ज वन की जड़ता को समापत कर दत ि वयकतिक अनिनत का कपव िोन पर ि बचचन ज की रचनाएा ककस सकारातमक सोच तक ल जान का रयास ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoबचच रतयाशा म िोग

न ड़ो स झाक रि िोग

यि धयान परो म धचकतड़या क

िरता ककतन चचलता िrdquo

रशन १ -पि और रात स कया तातपयट ि

उततर -ज वन रप पि म मतय रप रात स सचत रिन क भलए किा गया ि

रशन२ -पधिक क परो की गनत ककस रकार बि जात ि

उततर -मनदजल क पास िोन का अिसासsbquo वयकति क मन म सफनतट िर दता ि

रशन३ -धचकतड़या की चचलता का कया कारण ि

उततर -धचकतड़या क बचच उसकी रत कषा करत िोग यि पवचार धचकतड़या क पखो म गनत िर कर उस चचल

बना दता ि

रशन४ -रयासो म तज लान क भलए मनषय को कया करना चाहिए

उततर - रयासो म तज लान क भलए मनषय को ज वन म एक नननदित मधर लकषय सिापपत करना चाहिए

32

2 पतग

आलोक धनवा

पतग कपवता म कपव आलोक धनवा बचचो की बाल सलि इचछाओ और उमगो तिा रकनत क साि उनक

रागातमक सबधो का अतयत सनदर धचतरण ककया ििादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन

िोता िचारो ओर रकाश फल जाता िसवर क सयट का रकाश लाल चमकीला िो जाता िशरद ऋत क

आगमन स उतसाि एव उमग का मािौल बन जाता ि

शरद ऋत का यि चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क भलए बलाता ि और पतग उड़ान क भलए मद

मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ि कक दननया की सबस िलक रग न कागज और बास की सबस पतली कमान स बन पतग आकाश की ऊा चाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पाावो की कोमलता स आकपरटत िो कर मानो धरत उनक पास आत ि अनयिा उनक पााव धरत पर पड़त िी निी| ऐसा लगता ि मानो व िवा म उड़त जा रि िपतग उड़ात समय बचच रोमाधचत िोत ि |एक सग तमय ताल पर उनक

शरीर िवा म लिरात िव ककस ि खतर स बबलकल बखबर िोत िबाल मनोपवजञान बाल ककरयाndash

कलापो एव बाल सलि इचछाओ का सदर बबबो क माधयम स अकन ककया गया ि

सौदयट-बोध सबध रशन

lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo

lsquoऔर ि ननडर िो कर सनिल सरज क सामन आत िrsquo

lsquoछतो को और ि नरम बनात िएrsquo

lsquoजब व पग िरत िए चल आत ि

डाल की तरि लच ल वग स अकसरlsquo

रशन १- lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

इस पकति की िारा सबध पवशरता भलणखए |

33

उततर - इस पकति की िारा सबध पवशरता ननमनभलणखत ि -

नए रत को का रयोग -कपास-कोमलता

रशन२- इस पकति म रयि लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए|

उततर - लाकषणणकता -lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo-सग तमय वातावरण की सपषट

रशन३ - सनिला सरज रत क का अिट भलख |

उततर - सनिल सरज क सामन ndash ननडर उतसाि स िर िोना

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

का वर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पररषकार एव साफ सिरापन ियिािट का कलातमक सवदनापणट धचतरण उनकी रचनाओ की पवशरता िउनकी रचनाएा ज वन को समझन की नदजजञासा ि यिािटndash रानपत की घोरणा निीवयकतिक एव सामानदजक तनाव वयजनापणट िग स उनकी रचनाओ म सिान म पाता िरसतत कपवता म कपवतव शकति का वणटन ि कपवता धचकतड़या की उड़ान की तरि कलपना की उड़ान ि

लककन धचकतड़या क उड़न की अपन स मा ि जबकक कपव अपन कलपना क पख पसारकर दश और काल की स माओ स पर उड़ जाता ि

फल कपवता भलखन की ररणा तो बनता ि लककन कपवता तो बबना मरझाए िर यग म अपन खशब बबखरत रित ि

कपवता बचचो क खल क समान ि और समय और काल की स माओ की परवाि ककए बबना अपन कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच ि जानत ि

मानव बबबो क माधयम स कावय रचनाndash रककरया को रसतत ककया गया ि

कपवता म धचकतड़या फल और बचच क रत को क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजाट की तलना कपवता-रचना स की गई ि धचकतड़या की उड़ान फल का पवकास अपन स मा म आबदध ि परनत कपव की कलपना शकति एव बालक क सवपन व ऊजाट अस म ि

साहितय का मितवsbquo राकनतक सौनदयट की अपकषा मानव क िाव-सौनदयट की शरषठता का रनतपादन

ककया गया ि

34

ldquoकपवता की उड़ान ि धचकतड़या क बिान

कपवता की उड़ान िला धचकतड़या कया जान

बािर ि तर

इस घर उस घर

कपवता क पख लगा उड़न क मान

धचकतड़या कया जानrdquo

रशन १- इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

उततर - इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखत ि -

१ नए रत क -धचकतड़याsbquo

२ मिावरो का सटीक रयोग ndashसब घर एक कर दनाsbquo कपव की कलपना की उवटर शकति नदजसका रयोग करन म कपव जम न-आसमान एक कर दता ि |

रशन २ कपवता की उड़ान ndashका लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

उततर -कावय की सकषम अिट ननरपण शकति कपव की कलपना का पवसतार

रशन - कपवता क पख ककसका रत क ि

उततर -कपव की कलपना शकति का |

35

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-धचकतड़या की उड़ान एव कपवता की उड़ान म कया समानता ि

उततर -उपकरणो की समानता - धचकतड़या एक घोसल का सजन नतनक एकतर करक करत ि| कपव ि उस रकार अनक िावो एव पवचारो का सगरि करक कावय रचना करता ि

कषमता की समानता - धचकतड़या की उड़ान और कपव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जात ि|

रशन२ - कपवता की उड़ान धचकतड़या की समझ स पर कयो ि

उततर - कपवता की उड़ान धचकतड़या की उड़ान स किी अधधक सकषम और मिततवपणट िोत ि

रशन३ -ldquoफल मरझा जात ि पर कपवता निीrdquo कयो सपषट कीनदजए

उततर - कपवता कालजय िोत ि उसका मलय शाशवत िोता ि जबकक फल बित जलदी कमिला जात ि

रशन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकपव का कपवता भलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव पवरमता ि

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान असतवयसत कर दता ि सब कछ टटोलता ि एक सिान पर

एकतर कर लता ि कावरय रचना-रककरया म कपव ि परा मानव ज वन खगाल लता ि एक जगि पपरोता ि

पर कफर ि दोनो क रयासो म बाल-ककरयाओ का आनद कपव निी समझ सकता

कपवता ndash बात स ध ि पर

रसतत कपवता म िाव क अनरप िारा क मिततव पर बल हदया गया ि

कपव कित ि कक एक बार वि सरल स ध कथय की अभिवयकति म ि िारा क चककर म ऐसा फा स गया कक

उस कथय िी बदला -बदला सा लगन लगा कपव किता ि कक नदजस रकार जोर जबरदसत करन स कील की

चड़ मर जात ि और तब चड़ दार कील को चड़ पविीन कील की तरि िोकना पड़ता ि उस रकार कथय क अनकल िारा क अिाव म रिाविीन िारा म िाव को अभिवयकति ककया जाता ि

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

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रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

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ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 4: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

30

कपवता

आतम-पररचय

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव कौन-कौन-स नदसिनतयो म मसत रिता ि और कयो

उततर- कपव सासाररक सख-दख की दोनो पररनदसिनतयो म मगन रिता ि उसक पास रम की सातवना दानयन अमलय ननधध ि

रशन२-कपव िव-सागर स तरन क भलए कया उपाय अपना रिा ि

उततर- ससार क कषटो को सित िए िम यि धयान रखना चाहिए कक कषटो को सिना पड़गा इसक भलए

मनषय को िास कर कषट सिना चाहिए

रशन३-rsquoअपन मन का गानrsquo का कया आशय ि

उततर- ससार उन लोगो को आदर दता ि जो उसकी बनाई लीक पर चलत ि परत कपव कवल विी कायट करता ि जो उसक मन बपदध और पववक को अचछा लगता ि

रशन४- rsquoनादान विी ि िाय जिाा पर दानाrsquo का कया आशय ि

उततर- जिाा किी मनषय को पवदवतता का अिकार ि वासतव म विी नादान का सबस बड़ा लकषण ि

रशन५- rsquoरोदन म रागrsquo कस सिव ि

उततर- कपव की रचनाओ म वयि प ड़ा वासतव म उसक हदय म मानव मातर क रनत वयापत रम का िी सचक ि

रशन६- rdquoम फट पड़ा तम कित छद बनानाrdquo का अिट सपषट कीनदजए

उततर- कपव की शरषठ रचनाएा वासतव म उसक मन की प ड़ा की िी अभिवयकति ि नदजनकी सरािना ससार

शरषठ साहितय किकर ककया करता ि

31

कपवता

हदन जलरदी जलदी ढलता ि

रसतत कपवता म कपव बचचन कित ि कक समय ब तत जान का एिसास िम लकषय-रानपत क भलए रयास

करन क भलए रररत करता ि

मागट पर चलन वाला रािी यि सोचकर अपन मनदजल की ओर कदम बिाता ि कक किी रासत म िी रात न

िो जाए

पकषकषयो को ि हदन ब तन क साि यि एिसास िोता ि कक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रि िोग यि सोचकर उनक पखो म गनत आ जात ि कक व जलदी स अपन बचचो स भमल सक

कपवता म आशावादी सवर िगतवय का समरण पधिक क कदमो म सफनतट िर दता िआशा की ककरण

ज वन की जड़ता को समापत कर दत ि वयकतिक अनिनत का कपव िोन पर ि बचचन ज की रचनाएा ककस सकारातमक सोच तक ल जान का रयास ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoबचच रतयाशा म िोग

न ड़ो स झाक रि िोग

यि धयान परो म धचकतड़या क

िरता ककतन चचलता िrdquo

रशन १ -पि और रात स कया तातपयट ि

उततर -ज वन रप पि म मतय रप रात स सचत रिन क भलए किा गया ि

रशन२ -पधिक क परो की गनत ककस रकार बि जात ि

उततर -मनदजल क पास िोन का अिसासsbquo वयकति क मन म सफनतट िर दता ि

रशन३ -धचकतड़या की चचलता का कया कारण ि

उततर -धचकतड़या क बचच उसकी रत कषा करत िोग यि पवचार धचकतड़या क पखो म गनत िर कर उस चचल

बना दता ि

रशन४ -रयासो म तज लान क भलए मनषय को कया करना चाहिए

उततर - रयासो म तज लान क भलए मनषय को ज वन म एक नननदित मधर लकषय सिापपत करना चाहिए

32

2 पतग

आलोक धनवा

पतग कपवता म कपव आलोक धनवा बचचो की बाल सलि इचछाओ और उमगो तिा रकनत क साि उनक

रागातमक सबधो का अतयत सनदर धचतरण ककया ििादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन

िोता िचारो ओर रकाश फल जाता िसवर क सयट का रकाश लाल चमकीला िो जाता िशरद ऋत क

आगमन स उतसाि एव उमग का मािौल बन जाता ि

शरद ऋत का यि चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क भलए बलाता ि और पतग उड़ान क भलए मद

मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ि कक दननया की सबस िलक रग न कागज और बास की सबस पतली कमान स बन पतग आकाश की ऊा चाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पाावो की कोमलता स आकपरटत िो कर मानो धरत उनक पास आत ि अनयिा उनक पााव धरत पर पड़त िी निी| ऐसा लगता ि मानो व िवा म उड़त जा रि िपतग उड़ात समय बचच रोमाधचत िोत ि |एक सग तमय ताल पर उनक

शरीर िवा म लिरात िव ककस ि खतर स बबलकल बखबर िोत िबाल मनोपवजञान बाल ककरयाndash

कलापो एव बाल सलि इचछाओ का सदर बबबो क माधयम स अकन ककया गया ि

सौदयट-बोध सबध रशन

lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo

lsquoऔर ि ननडर िो कर सनिल सरज क सामन आत िrsquo

lsquoछतो को और ि नरम बनात िएrsquo

lsquoजब व पग िरत िए चल आत ि

डाल की तरि लच ल वग स अकसरlsquo

रशन १- lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

इस पकति की िारा सबध पवशरता भलणखए |

33

उततर - इस पकति की िारा सबध पवशरता ननमनभलणखत ि -

नए रत को का रयोग -कपास-कोमलता

रशन२- इस पकति म रयि लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए|

उततर - लाकषणणकता -lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo-सग तमय वातावरण की सपषट

रशन३ - सनिला सरज रत क का अिट भलख |

उततर - सनिल सरज क सामन ndash ननडर उतसाि स िर िोना

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

का वर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पररषकार एव साफ सिरापन ियिािट का कलातमक सवदनापणट धचतरण उनकी रचनाओ की पवशरता िउनकी रचनाएा ज वन को समझन की नदजजञासा ि यिािटndash रानपत की घोरणा निीवयकतिक एव सामानदजक तनाव वयजनापणट िग स उनकी रचनाओ म सिान म पाता िरसतत कपवता म कपवतव शकति का वणटन ि कपवता धचकतड़या की उड़ान की तरि कलपना की उड़ान ि

लककन धचकतड़या क उड़न की अपन स मा ि जबकक कपव अपन कलपना क पख पसारकर दश और काल की स माओ स पर उड़ जाता ि

फल कपवता भलखन की ररणा तो बनता ि लककन कपवता तो बबना मरझाए िर यग म अपन खशब बबखरत रित ि

कपवता बचचो क खल क समान ि और समय और काल की स माओ की परवाि ककए बबना अपन कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच ि जानत ि

मानव बबबो क माधयम स कावय रचनाndash रककरया को रसतत ककया गया ि

कपवता म धचकतड़या फल और बचच क रत को क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजाट की तलना कपवता-रचना स की गई ि धचकतड़या की उड़ान फल का पवकास अपन स मा म आबदध ि परनत कपव की कलपना शकति एव बालक क सवपन व ऊजाट अस म ि

साहितय का मितवsbquo राकनतक सौनदयट की अपकषा मानव क िाव-सौनदयट की शरषठता का रनतपादन

ककया गया ि

34

ldquoकपवता की उड़ान ि धचकतड़या क बिान

कपवता की उड़ान िला धचकतड़या कया जान

बािर ि तर

इस घर उस घर

कपवता क पख लगा उड़न क मान

धचकतड़या कया जानrdquo

रशन १- इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

उततर - इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखत ि -

१ नए रत क -धचकतड़याsbquo

२ मिावरो का सटीक रयोग ndashसब घर एक कर दनाsbquo कपव की कलपना की उवटर शकति नदजसका रयोग करन म कपव जम न-आसमान एक कर दता ि |

रशन २ कपवता की उड़ान ndashका लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

उततर -कावय की सकषम अिट ननरपण शकति कपव की कलपना का पवसतार

रशन - कपवता क पख ककसका रत क ि

उततर -कपव की कलपना शकति का |

35

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-धचकतड़या की उड़ान एव कपवता की उड़ान म कया समानता ि

उततर -उपकरणो की समानता - धचकतड़या एक घोसल का सजन नतनक एकतर करक करत ि| कपव ि उस रकार अनक िावो एव पवचारो का सगरि करक कावय रचना करता ि

कषमता की समानता - धचकतड़या की उड़ान और कपव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जात ि|

रशन२ - कपवता की उड़ान धचकतड़या की समझ स पर कयो ि

उततर - कपवता की उड़ान धचकतड़या की उड़ान स किी अधधक सकषम और मिततवपणट िोत ि

रशन३ -ldquoफल मरझा जात ि पर कपवता निीrdquo कयो सपषट कीनदजए

उततर - कपवता कालजय िोत ि उसका मलय शाशवत िोता ि जबकक फल बित जलदी कमिला जात ि

रशन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकपव का कपवता भलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव पवरमता ि

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान असतवयसत कर दता ि सब कछ टटोलता ि एक सिान पर

एकतर कर लता ि कावरय रचना-रककरया म कपव ि परा मानव ज वन खगाल लता ि एक जगि पपरोता ि

पर कफर ि दोनो क रयासो म बाल-ककरयाओ का आनद कपव निी समझ सकता

कपवता ndash बात स ध ि पर

रसतत कपवता म िाव क अनरप िारा क मिततव पर बल हदया गया ि

कपव कित ि कक एक बार वि सरल स ध कथय की अभिवयकति म ि िारा क चककर म ऐसा फा स गया कक

उस कथय िी बदला -बदला सा लगन लगा कपव किता ि कक नदजस रकार जोर जबरदसत करन स कील की

चड़ मर जात ि और तब चड़ दार कील को चड़ पविीन कील की तरि िोकना पड़ता ि उस रकार कथय क अनकल िारा क अिाव म रिाविीन िारा म िाव को अभिवयकति ककया जाता ि

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 5: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

31

कपवता

हदन जलरदी जलदी ढलता ि

रसतत कपवता म कपव बचचन कित ि कक समय ब तत जान का एिसास िम लकषय-रानपत क भलए रयास

करन क भलए रररत करता ि

मागट पर चलन वाला रािी यि सोचकर अपन मनदजल की ओर कदम बिाता ि कक किी रासत म िी रात न

िो जाए

पकषकषयो को ि हदन ब तन क साि यि एिसास िोता ि कक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रि िोग यि सोचकर उनक पखो म गनत आ जात ि कक व जलदी स अपन बचचो स भमल सक

कपवता म आशावादी सवर िगतवय का समरण पधिक क कदमो म सफनतट िर दता िआशा की ककरण

ज वन की जड़ता को समापत कर दत ि वयकतिक अनिनत का कपव िोन पर ि बचचन ज की रचनाएा ककस सकारातमक सोच तक ल जान का रयास ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoबचच रतयाशा म िोग

न ड़ो स झाक रि िोग

यि धयान परो म धचकतड़या क

िरता ककतन चचलता िrdquo

रशन १ -पि और रात स कया तातपयट ि

उततर -ज वन रप पि म मतय रप रात स सचत रिन क भलए किा गया ि

रशन२ -पधिक क परो की गनत ककस रकार बि जात ि

उततर -मनदजल क पास िोन का अिसासsbquo वयकति क मन म सफनतट िर दता ि

रशन३ -धचकतड़या की चचलता का कया कारण ि

उततर -धचकतड़या क बचच उसकी रत कषा करत िोग यि पवचार धचकतड़या क पखो म गनत िर कर उस चचल

बना दता ि

रशन४ -रयासो म तज लान क भलए मनषय को कया करना चाहिए

उततर - रयासो म तज लान क भलए मनषय को ज वन म एक नननदित मधर लकषय सिापपत करना चाहिए

32

2 पतग

आलोक धनवा

पतग कपवता म कपव आलोक धनवा बचचो की बाल सलि इचछाओ और उमगो तिा रकनत क साि उनक

रागातमक सबधो का अतयत सनदर धचतरण ककया ििादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन

िोता िचारो ओर रकाश फल जाता िसवर क सयट का रकाश लाल चमकीला िो जाता िशरद ऋत क

आगमन स उतसाि एव उमग का मािौल बन जाता ि

शरद ऋत का यि चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क भलए बलाता ि और पतग उड़ान क भलए मद

मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ि कक दननया की सबस िलक रग न कागज और बास की सबस पतली कमान स बन पतग आकाश की ऊा चाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पाावो की कोमलता स आकपरटत िो कर मानो धरत उनक पास आत ि अनयिा उनक पााव धरत पर पड़त िी निी| ऐसा लगता ि मानो व िवा म उड़त जा रि िपतग उड़ात समय बचच रोमाधचत िोत ि |एक सग तमय ताल पर उनक

शरीर िवा म लिरात िव ककस ि खतर स बबलकल बखबर िोत िबाल मनोपवजञान बाल ककरयाndash

कलापो एव बाल सलि इचछाओ का सदर बबबो क माधयम स अकन ककया गया ि

सौदयट-बोध सबध रशन

lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo

lsquoऔर ि ननडर िो कर सनिल सरज क सामन आत िrsquo

lsquoछतो को और ि नरम बनात िएrsquo

lsquoजब व पग िरत िए चल आत ि

डाल की तरि लच ल वग स अकसरlsquo

रशन १- lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

इस पकति की िारा सबध पवशरता भलणखए |

33

उततर - इस पकति की िारा सबध पवशरता ननमनभलणखत ि -

नए रत को का रयोग -कपास-कोमलता

रशन२- इस पकति म रयि लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए|

उततर - लाकषणणकता -lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo-सग तमय वातावरण की सपषट

रशन३ - सनिला सरज रत क का अिट भलख |

उततर - सनिल सरज क सामन ndash ननडर उतसाि स िर िोना

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

का वर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पररषकार एव साफ सिरापन ियिािट का कलातमक सवदनापणट धचतरण उनकी रचनाओ की पवशरता िउनकी रचनाएा ज वन को समझन की नदजजञासा ि यिािटndash रानपत की घोरणा निीवयकतिक एव सामानदजक तनाव वयजनापणट िग स उनकी रचनाओ म सिान म पाता िरसतत कपवता म कपवतव शकति का वणटन ि कपवता धचकतड़या की उड़ान की तरि कलपना की उड़ान ि

लककन धचकतड़या क उड़न की अपन स मा ि जबकक कपव अपन कलपना क पख पसारकर दश और काल की स माओ स पर उड़ जाता ि

फल कपवता भलखन की ररणा तो बनता ि लककन कपवता तो बबना मरझाए िर यग म अपन खशब बबखरत रित ि

कपवता बचचो क खल क समान ि और समय और काल की स माओ की परवाि ककए बबना अपन कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच ि जानत ि

मानव बबबो क माधयम स कावय रचनाndash रककरया को रसतत ककया गया ि

कपवता म धचकतड़या फल और बचच क रत को क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजाट की तलना कपवता-रचना स की गई ि धचकतड़या की उड़ान फल का पवकास अपन स मा म आबदध ि परनत कपव की कलपना शकति एव बालक क सवपन व ऊजाट अस म ि

साहितय का मितवsbquo राकनतक सौनदयट की अपकषा मानव क िाव-सौनदयट की शरषठता का रनतपादन

ककया गया ि

34

ldquoकपवता की उड़ान ि धचकतड़या क बिान

कपवता की उड़ान िला धचकतड़या कया जान

बािर ि तर

इस घर उस घर

कपवता क पख लगा उड़न क मान

धचकतड़या कया जानrdquo

रशन १- इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

उततर - इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखत ि -

१ नए रत क -धचकतड़याsbquo

२ मिावरो का सटीक रयोग ndashसब घर एक कर दनाsbquo कपव की कलपना की उवटर शकति नदजसका रयोग करन म कपव जम न-आसमान एक कर दता ि |

रशन २ कपवता की उड़ान ndashका लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

उततर -कावय की सकषम अिट ननरपण शकति कपव की कलपना का पवसतार

रशन - कपवता क पख ककसका रत क ि

उततर -कपव की कलपना शकति का |

35

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-धचकतड़या की उड़ान एव कपवता की उड़ान म कया समानता ि

उततर -उपकरणो की समानता - धचकतड़या एक घोसल का सजन नतनक एकतर करक करत ि| कपव ि उस रकार अनक िावो एव पवचारो का सगरि करक कावय रचना करता ि

कषमता की समानता - धचकतड़या की उड़ान और कपव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जात ि|

रशन२ - कपवता की उड़ान धचकतड़या की समझ स पर कयो ि

उततर - कपवता की उड़ान धचकतड़या की उड़ान स किी अधधक सकषम और मिततवपणट िोत ि

रशन३ -ldquoफल मरझा जात ि पर कपवता निीrdquo कयो सपषट कीनदजए

उततर - कपवता कालजय िोत ि उसका मलय शाशवत िोता ि जबकक फल बित जलदी कमिला जात ि

रशन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकपव का कपवता भलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव पवरमता ि

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान असतवयसत कर दता ि सब कछ टटोलता ि एक सिान पर

एकतर कर लता ि कावरय रचना-रककरया म कपव ि परा मानव ज वन खगाल लता ि एक जगि पपरोता ि

पर कफर ि दोनो क रयासो म बाल-ककरयाओ का आनद कपव निी समझ सकता

कपवता ndash बात स ध ि पर

रसतत कपवता म िाव क अनरप िारा क मिततव पर बल हदया गया ि

कपव कित ि कक एक बार वि सरल स ध कथय की अभिवयकति म ि िारा क चककर म ऐसा फा स गया कक

उस कथय िी बदला -बदला सा लगन लगा कपव किता ि कक नदजस रकार जोर जबरदसत करन स कील की

चड़ मर जात ि और तब चड़ दार कील को चड़ पविीन कील की तरि िोकना पड़ता ि उस रकार कथय क अनकल िारा क अिाव म रिाविीन िारा म िाव को अभिवयकति ककया जाता ि

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 6: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

32

2 पतग

आलोक धनवा

पतग कपवता म कपव आलोक धनवा बचचो की बाल सलि इचछाओ और उमगो तिा रकनत क साि उनक

रागातमक सबधो का अतयत सनदर धचतरण ककया ििादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन

िोता िचारो ओर रकाश फल जाता िसवर क सयट का रकाश लाल चमकीला िो जाता िशरद ऋत क

आगमन स उतसाि एव उमग का मािौल बन जाता ि

शरद ऋत का यि चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क भलए बलाता ि और पतग उड़ान क भलए मद

मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ि कक दननया की सबस िलक रग न कागज और बास की सबस पतली कमान स बन पतग आकाश की ऊा चाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पाावो की कोमलता स आकपरटत िो कर मानो धरत उनक पास आत ि अनयिा उनक पााव धरत पर पड़त िी निी| ऐसा लगता ि मानो व िवा म उड़त जा रि िपतग उड़ात समय बचच रोमाधचत िोत ि |एक सग तमय ताल पर उनक

शरीर िवा म लिरात िव ककस ि खतर स बबलकल बखबर िोत िबाल मनोपवजञान बाल ककरयाndash

कलापो एव बाल सलि इचछाओ का सदर बबबो क माधयम स अकन ककया गया ि

सौदयट-बोध सबध रशन

lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo

lsquoऔर ि ननडर िो कर सनिल सरज क सामन आत िrsquo

lsquoछतो को और ि नरम बनात िएrsquo

lsquoजब व पग िरत िए चल आत ि

डाल की तरि लच ल वग स अकसरlsquo

रशन १- lsquoजनम स िी लात ि अपन साि कपासrsquo-

इस पकति की िारा सबध पवशरता भलणखए |

33

उततर - इस पकति की िारा सबध पवशरता ननमनभलणखत ि -

नए रत को का रयोग -कपास-कोमलता

रशन२- इस पकति म रयि लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए|

उततर - लाकषणणकता -lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo-सग तमय वातावरण की सपषट

रशन३ - सनिला सरज रत क का अिट भलख |

उततर - सनिल सरज क सामन ndash ननडर उतसाि स िर िोना

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

का वर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पररषकार एव साफ सिरापन ियिािट का कलातमक सवदनापणट धचतरण उनकी रचनाओ की पवशरता िउनकी रचनाएा ज वन को समझन की नदजजञासा ि यिािटndash रानपत की घोरणा निीवयकतिक एव सामानदजक तनाव वयजनापणट िग स उनकी रचनाओ म सिान म पाता िरसतत कपवता म कपवतव शकति का वणटन ि कपवता धचकतड़या की उड़ान की तरि कलपना की उड़ान ि

लककन धचकतड़या क उड़न की अपन स मा ि जबकक कपव अपन कलपना क पख पसारकर दश और काल की स माओ स पर उड़ जाता ि

फल कपवता भलखन की ररणा तो बनता ि लककन कपवता तो बबना मरझाए िर यग म अपन खशब बबखरत रित ि

कपवता बचचो क खल क समान ि और समय और काल की स माओ की परवाि ककए बबना अपन कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच ि जानत ि

मानव बबबो क माधयम स कावय रचनाndash रककरया को रसतत ककया गया ि

कपवता म धचकतड़या फल और बचच क रत को क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजाट की तलना कपवता-रचना स की गई ि धचकतड़या की उड़ान फल का पवकास अपन स मा म आबदध ि परनत कपव की कलपना शकति एव बालक क सवपन व ऊजाट अस म ि

साहितय का मितवsbquo राकनतक सौनदयट की अपकषा मानव क िाव-सौनदयट की शरषठता का रनतपादन

ककया गया ि

34

ldquoकपवता की उड़ान ि धचकतड़या क बिान

कपवता की उड़ान िला धचकतड़या कया जान

बािर ि तर

इस घर उस घर

कपवता क पख लगा उड़न क मान

धचकतड़या कया जानrdquo

रशन १- इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

उततर - इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखत ि -

१ नए रत क -धचकतड़याsbquo

२ मिावरो का सटीक रयोग ndashसब घर एक कर दनाsbquo कपव की कलपना की उवटर शकति नदजसका रयोग करन म कपव जम न-आसमान एक कर दता ि |

रशन २ कपवता की उड़ान ndashका लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

उततर -कावय की सकषम अिट ननरपण शकति कपव की कलपना का पवसतार

रशन - कपवता क पख ककसका रत क ि

उततर -कपव की कलपना शकति का |

35

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-धचकतड़या की उड़ान एव कपवता की उड़ान म कया समानता ि

उततर -उपकरणो की समानता - धचकतड़या एक घोसल का सजन नतनक एकतर करक करत ि| कपव ि उस रकार अनक िावो एव पवचारो का सगरि करक कावय रचना करता ि

कषमता की समानता - धचकतड़या की उड़ान और कपव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जात ि|

रशन२ - कपवता की उड़ान धचकतड़या की समझ स पर कयो ि

उततर - कपवता की उड़ान धचकतड़या की उड़ान स किी अधधक सकषम और मिततवपणट िोत ि

रशन३ -ldquoफल मरझा जात ि पर कपवता निीrdquo कयो सपषट कीनदजए

उततर - कपवता कालजय िोत ि उसका मलय शाशवत िोता ि जबकक फल बित जलदी कमिला जात ि

रशन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकपव का कपवता भलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव पवरमता ि

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान असतवयसत कर दता ि सब कछ टटोलता ि एक सिान पर

एकतर कर लता ि कावरय रचना-रककरया म कपव ि परा मानव ज वन खगाल लता ि एक जगि पपरोता ि

पर कफर ि दोनो क रयासो म बाल-ककरयाओ का आनद कपव निी समझ सकता

कपवता ndash बात स ध ि पर

रसतत कपवता म िाव क अनरप िारा क मिततव पर बल हदया गया ि

कपव कित ि कक एक बार वि सरल स ध कथय की अभिवयकति म ि िारा क चककर म ऐसा फा स गया कक

उस कथय िी बदला -बदला सा लगन लगा कपव किता ि कक नदजस रकार जोर जबरदसत करन स कील की

चड़ मर जात ि और तब चड़ दार कील को चड़ पविीन कील की तरि िोकना पड़ता ि उस रकार कथय क अनकल िारा क अिाव म रिाविीन िारा म िाव को अभिवयकति ककया जाता ि

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 7: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

33

उततर - इस पकति की िारा सबध पवशरता ननमनभलणखत ि -

नए रत को का रयोग -कपास-कोमलता

रशन२- इस पकति म रयि लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए|

उततर - लाकषणणकता -lsquoहदशाओ को मदग की बजात िएrsquo-सग तमय वातावरण की सपषट

रशन३ - सनिला सरज रत क का अिट भलख |

उततर - सनिल सरज क सामन ndash ननडर उतसाि स िर िोना

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

का वर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पररषकार एव साफ सिरापन ियिािट का कलातमक सवदनापणट धचतरण उनकी रचनाओ की पवशरता िउनकी रचनाएा ज वन को समझन की नदजजञासा ि यिािटndash रानपत की घोरणा निीवयकतिक एव सामानदजक तनाव वयजनापणट िग स उनकी रचनाओ म सिान म पाता िरसतत कपवता म कपवतव शकति का वणटन ि कपवता धचकतड़या की उड़ान की तरि कलपना की उड़ान ि

लककन धचकतड़या क उड़न की अपन स मा ि जबकक कपव अपन कलपना क पख पसारकर दश और काल की स माओ स पर उड़ जाता ि

फल कपवता भलखन की ररणा तो बनता ि लककन कपवता तो बबना मरझाए िर यग म अपन खशब बबखरत रित ि

कपवता बचचो क खल क समान ि और समय और काल की स माओ की परवाि ककए बबना अपन कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच ि जानत ि

मानव बबबो क माधयम स कावय रचनाndash रककरया को रसतत ककया गया ि

कपवता म धचकतड़या फल और बचच क रत को क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजाट की तलना कपवता-रचना स की गई ि धचकतड़या की उड़ान फल का पवकास अपन स मा म आबदध ि परनत कपव की कलपना शकति एव बालक क सवपन व ऊजाट अस म ि

साहितय का मितवsbquo राकनतक सौनदयट की अपकषा मानव क िाव-सौनदयट की शरषठता का रनतपादन

ककया गया ि

34

ldquoकपवता की उड़ान ि धचकतड़या क बिान

कपवता की उड़ान िला धचकतड़या कया जान

बािर ि तर

इस घर उस घर

कपवता क पख लगा उड़न क मान

धचकतड़या कया जानrdquo

रशन १- इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

उततर - इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखत ि -

१ नए रत क -धचकतड़याsbquo

२ मिावरो का सटीक रयोग ndashसब घर एक कर दनाsbquo कपव की कलपना की उवटर शकति नदजसका रयोग करन म कपव जम न-आसमान एक कर दता ि |

रशन २ कपवता की उड़ान ndashका लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

उततर -कावय की सकषम अिट ननरपण शकति कपव की कलपना का पवसतार

रशन - कपवता क पख ककसका रत क ि

उततर -कपव की कलपना शकति का |

35

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-धचकतड़या की उड़ान एव कपवता की उड़ान म कया समानता ि

उततर -उपकरणो की समानता - धचकतड़या एक घोसल का सजन नतनक एकतर करक करत ि| कपव ि उस रकार अनक िावो एव पवचारो का सगरि करक कावय रचना करता ि

कषमता की समानता - धचकतड़या की उड़ान और कपव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जात ि|

रशन२ - कपवता की उड़ान धचकतड़या की समझ स पर कयो ि

उततर - कपवता की उड़ान धचकतड़या की उड़ान स किी अधधक सकषम और मिततवपणट िोत ि

रशन३ -ldquoफल मरझा जात ि पर कपवता निीrdquo कयो सपषट कीनदजए

उततर - कपवता कालजय िोत ि उसका मलय शाशवत िोता ि जबकक फल बित जलदी कमिला जात ि

रशन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकपव का कपवता भलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव पवरमता ि

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान असतवयसत कर दता ि सब कछ टटोलता ि एक सिान पर

एकतर कर लता ि कावरय रचना-रककरया म कपव ि परा मानव ज वन खगाल लता ि एक जगि पपरोता ि

पर कफर ि दोनो क रयासो म बाल-ककरयाओ का आनद कपव निी समझ सकता

कपवता ndash बात स ध ि पर

रसतत कपवता म िाव क अनरप िारा क मिततव पर बल हदया गया ि

कपव कित ि कक एक बार वि सरल स ध कथय की अभिवयकति म ि िारा क चककर म ऐसा फा स गया कक

उस कथय िी बदला -बदला सा लगन लगा कपव किता ि कक नदजस रकार जोर जबरदसत करन स कील की

चड़ मर जात ि और तब चड़ दार कील को चड़ पविीन कील की तरि िोकना पड़ता ि उस रकार कथय क अनकल िारा क अिाव म रिाविीन िारा म िाव को अभिवयकति ककया जाता ि

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 8: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

34

ldquoकपवता की उड़ान ि धचकतड़या क बिान

कपवता की उड़ान िला धचकतड़या कया जान

बािर ि तर

इस घर उस घर

कपवता क पख लगा उड़न क मान

धचकतड़या कया जानrdquo

रशन १- इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

उततर - इन पकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखत ि -

१ नए रत क -धचकतड़याsbquo

२ मिावरो का सटीक रयोग ndashसब घर एक कर दनाsbquo कपव की कलपना की उवटर शकति नदजसका रयोग करन म कपव जम न-आसमान एक कर दता ि |

रशन २ कपवता की उड़ान ndashका लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

उततर -कावय की सकषम अिट ननरपण शकति कपव की कलपना का पवसतार

रशन - कपवता क पख ककसका रत क ि

उततर -कपव की कलपना शकति का |

35

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-धचकतड़या की उड़ान एव कपवता की उड़ान म कया समानता ि

उततर -उपकरणो की समानता - धचकतड़या एक घोसल का सजन नतनक एकतर करक करत ि| कपव ि उस रकार अनक िावो एव पवचारो का सगरि करक कावय रचना करता ि

कषमता की समानता - धचकतड़या की उड़ान और कपव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जात ि|

रशन२ - कपवता की उड़ान धचकतड़या की समझ स पर कयो ि

उततर - कपवता की उड़ान धचकतड़या की उड़ान स किी अधधक सकषम और मिततवपणट िोत ि

रशन३ -ldquoफल मरझा जात ि पर कपवता निीrdquo कयो सपषट कीनदजए

उततर - कपवता कालजय िोत ि उसका मलय शाशवत िोता ि जबकक फल बित जलदी कमिला जात ि

रशन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकपव का कपवता भलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव पवरमता ि

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान असतवयसत कर दता ि सब कछ टटोलता ि एक सिान पर

एकतर कर लता ि कावरय रचना-रककरया म कपव ि परा मानव ज वन खगाल लता ि एक जगि पपरोता ि

पर कफर ि दोनो क रयासो म बाल-ककरयाओ का आनद कपव निी समझ सकता

कपवता ndash बात स ध ि पर

रसतत कपवता म िाव क अनरप िारा क मिततव पर बल हदया गया ि

कपव कित ि कक एक बार वि सरल स ध कथय की अभिवयकति म ि िारा क चककर म ऐसा फा स गया कक

उस कथय िी बदला -बदला सा लगन लगा कपव किता ि कक नदजस रकार जोर जबरदसत करन स कील की

चड़ मर जात ि और तब चड़ दार कील को चड़ पविीन कील की तरि िोकना पड़ता ि उस रकार कथय क अनकल िारा क अिाव म रिाविीन िारा म िाव को अभिवयकति ककया जाता ि

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 9: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

35

3 कपवता क बिान

का वर नारायण

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-धचकतड़या की उड़ान एव कपवता की उड़ान म कया समानता ि

उततर -उपकरणो की समानता - धचकतड़या एक घोसल का सजन नतनक एकतर करक करत ि| कपव ि उस रकार अनक िावो एव पवचारो का सगरि करक कावय रचना करता ि

कषमता की समानता - धचकतड़या की उड़ान और कपव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जात ि|

रशन२ - कपवता की उड़ान धचकतड़या की समझ स पर कयो ि

उततर - कपवता की उड़ान धचकतड़या की उड़ान स किी अधधक सकषम और मिततवपणट िोत ि

रशन३ -ldquoफल मरझा जात ि पर कपवता निीrdquo कयो सपषट कीनदजए

उततर - कपवता कालजय िोत ि उसका मलय शाशवत िोता ि जबकक फल बित जलदी कमिला जात ि

रशन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकपव का कपवता भलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव पवरमता ि

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान असतवयसत कर दता ि सब कछ टटोलता ि एक सिान पर

एकतर कर लता ि कावरय रचना-रककरया म कपव ि परा मानव ज वन खगाल लता ि एक जगि पपरोता ि

पर कफर ि दोनो क रयासो म बाल-ककरयाओ का आनद कपव निी समझ सकता

कपवता ndash बात स ध ि पर

रसतत कपवता म िाव क अनरप िारा क मिततव पर बल हदया गया ि

कपव कित ि कक एक बार वि सरल स ध कथय की अभिवयकति म ि िारा क चककर म ऐसा फा स गया कक

उस कथय िी बदला -बदला सा लगन लगा कपव किता ि कक नदजस रकार जोर जबरदसत करन स कील की

चड़ मर जात ि और तब चड़ दार कील को चड़ पविीन कील की तरि िोकना पड़ता ि उस रकार कथय क अनकल िारा क अिाव म रिाविीन िारा म िाव को अभिवयकति ककया जाता ि

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 10: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

36

अत म िाव न एक शरारत बचच क समान कपव स पछा कक तन कया अि तक िारा का सवािापवक

रयोग निी स खा

इस कपवता म िारा की सररण-शकति का मिततव दशाटया गया ि

कबतरमता एव िारा की अनावशयक पचच कारी स िारा की पकड़ कमज़ोर िो जात ि

शबद अपन अिटवतता खो बिता ि

ldquo उनकी कपवता म वयिट का उलझाव अखबारी सतिीपन और वचाररक धध क बजाय सयम

पररषकार और साि-सिरापन ि ldquo

ldquo आणखरकार विी िआ नदजसका मझ डर िा

ज़ोर ज़बरदसत स

बात की चड़ मर गई

और वि िारा म बकार घमन लग

िार कर मन उस कील की तरि िोक हदया

ऊपर स िीकिाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव िा

न ताकत

बात न जो एक शरारत बचच की तरि

मझस खल रिी ि

मझ पस ना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन िारा को

सिभलयत स बरतना कि निी स खा

रशन१- इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए भलणखए |

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 11: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

37

उततर - इनपकतियो की िारा सबध पवशरताए ननमनभलणखति -

१ बबब मिावरो का रयोग

२ नए उपमान

रशन २ कावयाश म आए मिावरो का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -

बबब मिावरो का अिट - बात की चड़ मर जाना ndashबात म कसावट न

िोना बात का शरारत बचच की तरि खलना ndashबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरि िोक दना ndashबात का रिाविीन

िो जाना

रशन ३ - कावयाश म आएउपमानो को सपषट कीनदजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतट उपमय िारा क भलए मतट उपमान कील का रयोग

बात क भलए शरारत बचच का उपमान

कपवताndash

बात स ध ि पर

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १ - िारा क चककर म बात कस फस जात ि

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 12: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

38

उततर -आडबरपणट िारा का रयोग करन स बात का अिट समझना कहिन िो जाता ि

रशन२ - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव कया कया रयास करत ि

उततर - िारा को अिट की पररणनत तक पिाचान क भलए कपव उस नाना रकार क अलकरणो स

सजाता ि कई रकार क िारा और अलकार सबध रयोग करता ि

रशन३- िारा म पच कसना कया ि

उततर -िारा को चामतकाररक बनान क भलए पवभिनन रयोग करना िारा म पच कसना ि

परत इसस िारा का पच जयादा कस जाता ि अिाटत कथय एव शबदो म कोई तालमल निी बिता बात

समझ म िी निी आत

रशन४- कपव ककस चमतकार क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

उततर -कपव शबदो क चामतकाररक रयोग क बल पर वािवािी की उमम द करता ि

रशन५-बात एव शरारत बचच का बबब सपषट कीनदजए

उततर -नदजस रकार एक शरारत बचचा ककस की पकड़ म निी आता उस रकार एक उलझा दी गई बात

तमाम कोभशशो क बावजद समझन क योगय निी रि जात चाि उसक भलए ककतन रयास ककए जाएवि

एक शरारत बचच की तरि िािो स कफसल जात ि

४ कमर म बद अपाहिज

रघव र सिाय

अिट-गरिण-सबध रशन

िम दरदशटन पर बोलग

िम समिट शकतिवान

िम एक दबटल को लाएाग

एक बद कमर म

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

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रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

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उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

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ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

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रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 13: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

39

उसस पछ ग तो आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि

रशन १- lsquoिम दरदशटन पर बोलग िम समिट शकतिवानrsquo-का ननहित अिट सपषट कीनदजए |

उततर - इन पकतियो म अि की धवननत अभिवयकति ि sbquo पतरकाररता का बिता वचटसव दशाटया गया ि

रशन२- िम एक दबटल को लाएागndash पकति का वयगयािट सपषट कीनदजए |

उततर - पतरकाररता क कषतर म करणा का खोखला रदशटन एक पररपाटी बन गई ि|

रशन३- आप कया अपाहिज ि

तो आप कयो अपाहिज ि पकति दवारा कपव ककस पवभशषट अिट की अभिवयकति करन म सफल िआ ि

उततर - पतरकाररता म वयावसानयकता क चलत सवदनिीनता बित जा रिी ि | यिाा अपकषकषत उततर रापत

करन का अधयट वयि िआ ि

सौदयट-बोध-गरिण सबध अनय रशन

रशन १- इन पकतियो का लाकषणणक अिट सपषट कीनदजए |

ldquoकफर िम परद पर हदखलाएाग

फली िई ऑख की एक बड़ तसव र

बित बड़ तसव र

और उसक िोिो पर एक कसमसािट ि rdquo

उततर- - लाकषणणक अिट - दशय माधयम का रयोग कलातमक कावयातमक साकनतक रसतनत का मातर

हदखावा

ldquoकमरा बस करो

निी िआ

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 14: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

40

रिन दोrdquo

लाकषणणक अिट - वयावसानयक उददशय परा न िोन की ख झ

ldquoपरद पर वि की कीमत िldquondash

लाकषणणक अिट -- सतर वाकय sbquoकरर वयावसानयक उददशय का उदघाटन

रशन२ - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएा भलणखए |

उततर - रघव र सिाय की कावय कला की पवशरताएाननमनभलणखत ि -

किान पन और नाटकीयता बोलचाल की िारा क शबदःndash बनान क वासतsbquo सग रलान ि

साकनतकताndash परद पर वि की कीमत ि

बबब ndashफली िई आाख की एक बड़ तसव र

कमर म बद अपाहिज

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकार ककस उददशय स हदखाया जाता ि

उततर -दरदशटन पर एक अपाहिज का साकषातकारsbquo वयावसानयक उददशयो को परा करन क भलए हदखाया जाता ि

रशन२- अध को अधा किना ककस मानभसकता का पररचायक ि

उततर -अध को अधा किनाsbquo करर और सवदनाशनय मानभसकता का पररचायक ि

रशन३ -कपवता म यि मनोवनत ककस रकार उदघाहटत िई ि

उततर - दरदशटन पर एक अपाहिज वयकति को रदशटन की वसत मान कर उसक मन की प ड़ा को करदा जाता िsbquo साकषातकारकतरता को उसक ननज सखदख स कछ लनादना निी िोता ि

रशन४ -lsquoिम समिट शकतिवान एव िम एक दबटल को लाएगrsquo म ननहितािट सपषट कीनदजए

उततर -साकषातकारकताट सवय को पणट मान करsbquo एक अपाहिज वयकति को दबटल समझन का अिकार पाल िए

ि

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 15: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

41

रशन५- अपाहिज की शबदिीन प ड़ा को म कतडयाकमी ककस रकार अभिवयि कराना चािता ि

उततर -म कतडयाकमी अपाहिज की लाल सज िई ऑखो कोsbquo प ड़ा की साकनतक अभिवयकति क रप म रसतत

करना चािता ि

रशन६-कयाम कतडयाकमी सफल िोता िsbquo यहद निी तो कयो

उततर -म कतडयाकमी सफल निी िोता कयो कक रसारण समय समापत िो जाता ि और रसारण समय क बाद

यहद अपाहिज वयकति रो ि दता तो उसस म कतडयाकमी का वयावसानयक उददशय परा निी िो सकता िा उसभलए अब उस अपाहिज वयकति क आसओ म कोई हदलचसप निी ि

रशन७- नाटकीय कपवता की अनतम पररणनत ककस रप म िोत ि

उततर -बार बार रयास करन पर ि म कतडयाकमीsbquo अपाहिज वयकति को रोता िआ निी हदखा पातावि ख झ

जाता ि और णखभसयान मसकरािट क साि कायटकरम समापत कर दता ि |rsquoसामानदजक उददशय स यि

कायटकरमrsquoशबदो म वयगय ि कयोकक म कतडया क छदम वयावसानयक उददशय की पनत ट निी िो पात |

रशन८ -lsquoपरद पर वि की कीमत िrsquo म ननहित सकतािट को सपषट कीनदजए

उततर -रसारण समय म रोचक सामगर परोस पाना िी म कतडया कभमटयो का एकमातर उददशय िोता िअनयिा उनक सामानदजक सरोकार मातर एक हदखावा ि

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

सार

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार करन की बात किी गई ि

सनि की रगािता अपन चरम स मा पर पिाच कर पवयोग की कलपना मातर स तरसत िो उित ि

रमालबन अिाटत परयजन पर यि िावपणट ननिटरताsbquo कपव क मन म पवसमनत की चाि उतपनन

करत िवि अपन परय को पणटतया िल जाना चािता ि |

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 16: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

42

वसततः पवसमनत की चाि ि समनत का िी रप ि यि पवसमनत ि समनतयो क धधलक स अछत निी िपरय की याद ककस न ककस रप म बन िी रित ि|

परत कपव दोनो िी पररनदसिनतयो को उस परम सतता की परछाई मानता िइस पररनदसिनत को खश ndashखश सव कार करता ि |दःख-सख सघरट ndashअवसाद उिा ndashपटक भमलन-बबछोि को समान िाव

स सव कार करता ि|परय क सामन न िोन पर ि उसक आस-पास िोन का अिसास बना रिता ि|

िावना की समनत पवचार बनकर पवशव की गनदतिया सलझान म मदद करत ि| सनि म िोड़ ननससगता ि जररी ि |अनत ककस च ज की अचछी निी |rsquoविrsquo यिाा कोई ि िो सकता ि हदवगत

माा परय या अनय |कब र क राम की तरि वडटसविट की मातमना रकनत की तरि यि रम

सवटवयाप िोना चािता ि |

ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा िrdquo

छायावाद क रवतटक रसाद की लखन स यि सवर इस रकार धवननत िआ ि ndash

ldquoदख की पपछली रजन ब च पवकसता सख का नवल रिात

एक परदा यि झ ना न ल नछपाए ि नदजसम सख गातldquo

यि कपवता lsquoनई कपवताrsquo म वयि रागातमकता को आधयानदतमकता क सतर पर रसतत करत ि

अिटगरिण-सबध रशन

ldquoनदज़दग म जो कछ ि ि

सिरट सव कारा ि

इसभलए कक जो कछ ि मरा ि

वि तमि पयारा ि|

गरब ली गरीब यि य गि र अनिव सबयि विव पवचार सब

दिता यिि तर की सररता यि अभिनव सब

मौभलक ि मौभलक ि

इसभलए कक पल-पल म जो कछ ि जागरत ि अपलक ि-

सवदन तमिारा िrdquo

रशन १- कपव और कपवता का नाम भलणखए|

उततर- कपव- गजानन माधव मकतिबोध

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 17: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

43

कपवताndash सिरट सव कारा ि

रशन२- गरब ली गरीब ि तर की सररता आहद रयोगो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -गरब ली गरीब ndash ननधटनता का सवाभिमान रप कपव क पवचारो की मौभलकता अनिवो की गिराई

दिता हदय का रम उसक गवट करन का कारण ि |

रशन३ - कपव अपन परय को ककस बात का शरय द रिा ि

उततर- ननज ज वन क रम का सबल कपव को पवशव वयाप रम स जड़न की ररणा दता ि |अत कपव इसका शरय अपन परय को दता ि |

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 18: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

44

सौदयट-बोध-गरिण सबध रशन

ldquoजान कया ररशता ि जान कया नाता ि

नदजतना ि उडलता िा िर ndashिर कफर आता ि

हदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता ि

ि तर वि ऊपर तम

मसकाता चााद जयो धरत पर रात- िर

मझ पर तयो तमिारा िी णखलता वि चिरा ि |rdquo

रशन१- कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए |

उततर- १-सटीक रत को

२- नय उपमानो का रयोग

रशन२ - ldquoहदल म कया झरना ि

म ि पान का सोता िrdquo- -क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - ldquoहदल म कया झरना ि-हदय क अिाि रम का पररचायक

म ि पान का सोता िrdquo -अपवरल कि समापत िोन वाला रम

रशन३- कपवता म रयि बबब का उदािरण भलणखए |

दशय बबबndash ldquoमसकाता चााद जयो धरत पर रात िर मझ पर तमिारा िी णखलता वि चिराldquo

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

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इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

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जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

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रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

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रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 19: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

45

5 सिरट सव कारा ि

गजानन माधव मकतिबोध

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१-कपव न ककस सिरट सव कारा ि

उततर-

कपवता म ज वन क सखndash दखsbquo सघरटndash अवसादsbquo उिाndash पटक को समान रप स सव कार

करन की बात किी गई ि

परय स बबछड़ कर ि उसकी समनतयो को वयापक सतर पर ल जाकर पवशव चतना म भमला दन की बात किी गई ि |

रशन२- कपव को अपन अनिव पवभशषट एव मौभलक कयो लगत ि

उततर- कपव को अपन सवाभिमानयि गरीब ज वन क गमि र अनिव पवचारो का विव वयकतितव की दिता मन की िावनाओ की नदी यि सब नए रप म मौभलक लगत ि कयो कक उसक ज वन म जो कछ

ि घटता ि वि जागरत ि पवशव उपयोग ि अत उसकी उपलनदबध ि और वि उसकी परया की ररणा स िी सिव िआ ि उसक ज वन का रतयक अिाव ऊजाट बनकर ज वन म नई हदशा िी दता रिा ि |

रशन३- ldquoहदल का झरनाrdquo का साकनतक अिट सपषट कीनदजए

उततर-नदजस रकार झरन म चारो ओर की पिाकतड़यो स पान इकटटिा िो जाता ि उस एक कि खतम न िोन वाल सरोत क रप म रयोग ककया जा सकता ि उस रकार कपव क हदल म नदसित रम उमड़ता ि कि समापत निी िोता ज वन का भसचन करता ि| वयकतिगत सवािट स दर पर समाज क भलए ज वनदाय िो जाता ि |

रशन४- lsquoनदजतना ि उाड़लता िा िर-िर कफर आता ि ldquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर-हदय म नदसित रम की पवशरता यि ि कक नदजतना अधधक वयि ककया जाए उतना िी बिता जाता ि

रशन५- वि रमण य उजाला कया ि नदजस कपव सिन निी कर पाता

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 20: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

46

उततर-कपव न परयतमा की आिा सरम क सखद िावो स सदव नघर रिन की नदसिनत को उजाल क रप म धचबतरत ककया ि इन समनतयो स नघर रिना आनददाय िोत िए ि कपव क भलए असिन य िो गया ि

कयोकक इस आनद स वधचत िो जान का िय ि उस सदव सताता रिता ि

6 उरा

शमशर बिादर भसि

सार

उरा कपवता म सयोदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणटन ककया गया ि सयोदय क

पवट रातःकालीन आकाश न ल शख की तरि बित न ला िोता ि िोरकालीन नि की तलना काली भसल स की गय ि नदजस अि -अि कसर प सकर धो हदया गया ि कि कपव को वि राख स लीप चौक क समान

लगता ि जो अि ग ला पड़ा ि न ल गगन म सयट की पिली ककरण ऐस हदखाई दत ि मानो कोई सदरी न ल जल म निा रिी िो और उसका गोरा शरीर जल की लिरो क साि णझलभमला रिा िो

रातकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब राकनतक पररवतटनो को मानव य ककरयाकलापो क

माधयम स वयि ककया गया ि यिािट ज वन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली भसलन ला शख सलटलाल खकतड़या चाक आहद का रयोग रसाद की कनत ndashब त पविावरी जाग री स तलना की जा सकत ि

कपवताndash उरा

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoरात नि िा बित न ला शख जस िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

बित काली भसल ज़रा स लाल कसर

स कक जस धल गई िो सलट पर या लाल खकतड़या चाक

मल दी िो ककस न न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

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रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

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ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

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रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 21: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

47

जस हिल रिी िो | और

जाद टटता ि इस उरा का अब

सयोदय िो रिा ि|rdquo

रशन१ -उरा कपवता म सयोदय क ककस रप को धचबतरत ककया गया ि

उततर -कपव न रातःकालीन पररवतटनश ल सौदयट का दशय बबब मानव य ककरयाकलापो क माधयम स वयि

ककया ि

रशन२ -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म कया समानता ि

उततर -िोर क नि और राख स लीप गए चौक म यि समानता ि कक दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर

ि नम स यि ि

रशन३ - सलट पर लाल पकति का अिट सपषट कीनदजए|

उततर - िोर का नि लाभलमा स यि सयािी भलए िए िोता ि | अत लाल खकतड़या चाक स मली गई सलट

जसा रत त िोता ि |

रशन४- उरा का जाद ककस किा गया ि

उततर पवपवध रप रग बदलत सबि वयकति पर जादई रिाव डालत िए उस मतर मगध कर दत ि |

सौदयट-बोध-सबध पवशरताएा

रशन१- कपवता म रयि उपमानो को सपषट कीनदजए

िोर का नि राख स लीपा चौका दोनो िी गिर सलटी रग क िपपवतर िनम स यि ि

काली भसल िोर का नि और लालकसर स धली काली भसल दोनो िी लाभलमा स यि ि

काली भसलट जो लाल खकतड़या चाक स मल दी गई िो और िोर का नि दोनो िी लाभलमा स यि

ि

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 22: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

48

रातः काल क सवचछ ननमटल आकाश म सयट ऐसा रत त िोता ि मानो न लजल म कोई सवणणटम

दि निा रिी िो

रशन२- कपवता की िारा एव अभिवयकति सबध पवशरताए भलणखए

उततर -१ यिािट ज वन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दशयबबब

रशन ३ कपवता म आए अलकारो को छॉटकर भलणखए

उततर - उपमा अलकार- िोर का नि राख स लीपा चौका

उतरकषा अलकार-

ldquo बित काली भसल जरा स लाल कसर स कक जस धल गई िो

न ल जल म या ककस की

गौर णझलभमल दि

जस हिल रिी िो ldquo

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- कपवता क ककन उपमानो को दख कर किा जा सकता ि कक उरा गााव की सबि का गनतश ल शबद

धचतर ि

उततर -कपवता म न ल नि को राख स भलप ग ल चौक क समान बताया गया ि | दसर बबब म उसकी तलना काली भसल स की गई ि| त सर म सलट पर लाल खकतड़या चाक का उपमान ि|लीपा िआ आागन

काली भसल या सलट गााव क पररवश स िी भलए गए ि |रात कालीन सौदयट करमश पवकभसत िोता ि |

सवटरिम राख स लीपा चौका जो ग ली राख क कारण गिर सलटी रग का अिसास दता ि और पौ फटन

क समय आकाश क गिर सलटी रग स मल खाता ि |उसक पिात तननक लाभलमा क भमशरण स काली भसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ि तिा सयट की लाभलमा क रात की काली सयािी म घल जान का सदर बबब रसतत करता ि | ध र ndashध र लाभलमा ि समापत िो जात ि और सबि का न ला आकाश न ल जल का आिास दता ि व सयट की सवणणटम आिा गौरवणी दि क न ल जल म निा कर

ननकलन की उपमा को सािटक भसदध करत ि | रशन२ -

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 23: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

49

िोर का नि

राख स लीपा चौका (अि ग ला पड़ा ि )

नय कपवता म कोषठक पवराम धचहनो और पकतियो क ब च का सिान ि कपवता को अिट दता ि |उपयटि

पकतियो म कोषठक स कपवता म कया पवशर अिट पदा िआ ि समझाइए |

उततर - नई कपवता रयोग धमी ि |इसम िारा- भशलप क सतर पर िर नए रयोग स अिट की अभिवयकति की जात ि|राय कोषठक अनतररि जञान की सचना दता ि|यिाा अि ग ला पड़ा ि क माधयम स कपव ग लपन

की ताजग को सपषट कर रिा ि |ताजा ग लापन सलटी रग को अधधक गिरा बना दता ि जबकक सखन क

बाद राख िलक सलटी रग की िो जात ि|

7 बादल राग

सयटकात बतरपािी ननराला

ननराला की यि कपवता अनाभमका म छि खडो म रकाभशत ियिा उसका छिा खड भलया गया ि|आम

आदम क दःख स तरसत कपव पररवतटन क भलए करानत रप बादल का आहवान करता ि |इस कपवता म बादल

करानत या पवपलव का रत क ि कपव पवपलव क बादल को सबोधधत करत िए किता ि कक जन की मन-

िरी स आकाकषाओतरी नाव सम र रप सागर पर तर रिी ि अनदसिर सख पर दःख की छाया तरत हदखाई दत ि ससार क लोगो क हदय दगध ि(दःख ) उन पर ननदटय पवपलव अिाटत करानत की माया फली िई ि बादलो क गजटन स पथव क गिट म सोए अकर बािर ननकल आत ि अिाटत शोपरत वगट सावधान िो जाता ि और आशा िरी दपषट स करानत की ओर दखन लगता ि उनकी आशा करानत पर िी हटकी ि बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर जान का िय िोता ि |करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात ि करानत को तो छोट-

ि बलात लोग छोट नदजस रकार छोट हिलाकर िाि पौध छोट-बादलो क आगमन का सवागत करत ि वस िी शोपरत वगट करानत क आगमन का सवागत करता ि

छायावादी कपव ननराला सामयवादी रिाव स ि जड़ िमि छद हिनदी को उनिी की दन िशोपरत वगट की समसयाओ को समापत करन क भलए करानत रप बादल का आहवान ककया गया ि

अिट-गरिण-सबध रशन

कपवताndash

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 24: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

50

बादल राग

ldquoनतरत ि सम र-सागर पर

अनदसिर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

ननदटय पवपलव की पलापवत माया-

यि तरी रण-तरी

िरी आकाकषाओ स

घन िरी ndashगजटन स सजग सपत अकर

उर म पथव क आशाओ स नवज वन की ऊचा कर भसर

ताक रि ि ऐ पवपलव क बादल

कफर ndashकफर

बार ndashबार गजटन

वरटण ि मसलधार

हदय िाम लता ससार

सन- सन घोर वजर िकार |

अशनन पात स शानयत शत-शत व र

कषत ndashपवकषत ित अचल शरीर

गगन- सपशी सपदधाट ध र |rdquo

रशन१- कपवता म बादल ककस का रत क िऔर कयो

उततर -बादलराग करानत का रत क ि इन दोनो क आगमन क उपरात पवशव िरा- िरा समदध और सवसि िो जाता ि

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 25: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

51

रशन २ -सख को अनदसिर कयो किा गया ि

उततर -सख सदव बना निी रिता अतः उस अनदसिर किा जाता ि

रशन३ -पवपलव बादल की यदध रप नौका की कया- कया पवशरताए ि

उततर -बादलो क अदर आम आदम की इचछाएा िरी िई िनदजस तरि स यदरध नौका म यदध की सामगर िरी िोत ियदध की तरि बादल क आगमन पर रणिरी बजत ि सामानयजन की आशाओ क अकर एक

साि फट पड़त ि

रशन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धन वगट स कया सबध जोड़ा गया ि

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगट आशा स िर जाता ि एव धन वगट अपन पवनाश की आशका स

ियि त िो उिता ि

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 26: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

52

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoिासत ि छोट पौध लघिार-

शसय अपार

हिल हिल

णखल णखल

िाि हिलात

तझ बलात

पवपलव रव स छोट िी ि शोिा पात|rdquo

रशन १- ननमन भलणखत रत को को सपषट कीनदजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोपरत वगट सपत अकर- आशाए

रशन२- lsquoिासत ि छोट पौधrsquo-का रत कािट सपषट कीनदजए |

उततर -रसनन धचतत ननधटन वगट जो करानत की सिावना मातर स णखल उिता ि

रशन३-lsquoछोट िी ि शोिा पातrsquo म ननहित लाकषणणकता कया ि

उततर-बचपन म मनषय नननदित िोता ि ननधटन मनषय उस बचच क समान ि जो करानत क समय ि ननिटय िोता ि और अतत लािानदनवत िोता ि

कपवताndash

बादल राग

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पज पनतयो की अटटाभलकाओ को आतक िवन कयो किा गया ि

उततर -बादलो की गजटना और मसलाधार वराट म बड़ -बड़ पवटत वकष घबरा जात िउनको उखड़कर धगर

जान का िय िोता ि |उस रकार करानत की िकार स पाज पनत घबरा उित ि व हदल िाम कर रि जात

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 27: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

53

िउनि अपन सपपतत एव सतता क नछन जान का िय िोता ि | उनकी अटटाभलकाएा मजबत का भम उतपनन

करत ि पर वासतव म व अपन िवनो म आतककत िोकर रित ि|

रशन२- कपव न ककसान का जो शबद-धचतर हदया ि उस अपन शबदो म भलणखए |

उततर - ककसान क ज वन का रस शोरको न चस भलया ि आशा और उतसाि की सज वन समापत िो चकी ि

|शरीर स ि वि दबटल एव खोखला िो चका ि | करानत का बबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ि

|वि णखलणखला कर बादल रप करानत का सवागत करता ि |

रशन३- अशनन पात कया ि

उततर- बादल की गजटना क साि बबजली धगरन स बड़ ndashबड़ वकष जल कर राख िो जात ि | उस रकार करानत

की आध आन स शोरक धन वगट की सतता समापत िो जात ि और व खतम िो जात ि |

रशन४- पथव म सोय अकर ककस आशा स ताक रि ि

उततर - बादल क बरसन स ब ज अकररत िो लिलिान लगत ि | अत बादल की गजटन उनम आशाएा उतपनन करत ि | व भसर ऊा चा कर बादल क आन की राि ननिारत ि | िीक उस रकार ननधटन वयकति

शोरक क अतयाचार स मकति पान और अपन ज वन की खशिाली की आशा म करानत रप बादल की रत कषा करत ि |

रशन५- रदध कोर ि कषबदध तोर ndashककसक भलए किा गया ि और कयो

उततर - करानत िोन पर पज पनत वगट का धन नछन जाता िकोर ररि िो जाता ि | उसक धन की आमद

समापत िो जात ि | उसका सतोर ि अब lsquoब त हदनो की बातrsquo िो जाता ि |

रशन६- अनदसिर सख पर दःख की छाया का िाव सपषट कीनदजए |

उततर - मानव-ज वन म सख सदा बना निी रिता ि उस पर दःख की छाया सदा मडरात रित ि |

रशन७- बादल ककस का रत क ि

उततर - बादल इस कपवता म करानत का रत क ि | नदजस रकार बादल रकनत ककसान और आम आदम क

ज वन म आनद का उपिार ल कर आता ि उस रकार करानत ननधटन शोपरत वगट क ज वन म समानता का अधधकार व सपननता ल कर आता ि

रशन८- बादल को ज वन का पारावार कयो किा गया ि

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

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8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

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जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 28: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

54

उततर - करानत रप बादल का आगमन ज वनदाय सखद िोता ि -पारावार अिाटत सागर | वि ज वन म खभशयो का खजाना लकर आता ि | ननधटन वगट को समानता का अधधकार दता ि |सख समपदध का कारक

बनकर अतयाचार की अनदगन स मि करता ि |

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

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रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 29: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

55

8 कपवतावली

तलस दास

सार

शर रामज को समपपटत गरनि शर रामचररतमानस उततर िारत म बड़ िकतििाव स पिा जाता ि लकषमण

-पवलाप का राम और मचछाट

रावण पतर मघनाद दवारा शकति बाण स मनछटत िए लकषमण को दखकर राम वयाकल िो जात िसरण वद न

सज वन बटी लान क भलए िनमान को हिमालय पवटत पर िजाआध रात वयत त िोन पर जब िनमान

निी आएतब राम न अपन छोटिाई लकषमण को उिाकर हदय स लगा भलया और साधारण मनषय की िाानत पवलाप करन लगराम बोल ि िाई तम मझ कि दख निी दख सकत ितमिारा सविाव सदा

स िी कोमल िातमन मर भलए माता पपता को ि छोड़ हदया और मर साि वन म सदस गमी और

पवभिनन रकार की पवपरीत पररनदसिनतयो को ि सिा|जस पख बबना पकष मणण बबना सपट और साड बबना शरषठ िाि अतयत दीन िो जात िि िाईयहद म ज पवत रिता िा तो मरी दशा ि वस िी िो जाएग

म अपन पतन क भलए अपन परय िाई को खोकर कौन सा माि लकर अयोधया जाऊा गाइस बदनाम को िल िी सि लता कक राम कायर ि और अपन पतन को खो बिा सतर की िानन पवशर कषनत निी िपरनत

िाई को खोना अपरण य कषनत ि

lsquoरामचररतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गिी लकषमण को शकति बाण लगन का रसग कपव की माभमटक सिलो की पिचान का एक शरषठ नमना ि िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र -ध र रलाप म बदल जाता

ि नदजसम लकषमण क रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ियि रसग

ईशवर राम म मानव सलि गणो का समनवय कर दता ि | िनमान का सज वन लकर आ जाना करण रस

म व र रस का उदय िो जान क समान ि|

पवनय पबतरका एक अनय मिततवपणट तलस दासकत कावय ि

कपवतत और सवया

सार

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

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जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

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रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

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रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

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रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

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उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

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ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

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रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 30: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

56

इस श रटक क अतगटत दो कपवतत और एक सवया सकभलत ि lsquoकपवतावलीrsquo स अवतररत इन कपवततो म कपव तलस का पवपवध पवरमताओ स गरसत कभलकालतलस का यग न यिािट ि नदजसम व कपाल रि राम व रामराजय का सवपन रचत ि यग और उसम अपन ज वन का न भसफट उनि गिरा बोध ि बनदलक

उसकी अभिवयकति म ि व अपन समकालीन कपवयो स आग ि यिाा पाि म रसतत lsquoकपवतावलीrsquo क छद

इसक रमाण -सवरप ि पिल छद rdquoककसव ककसान ldquo म उनिोन हदखलाया ि कक ससार क अचछ -बर

समसतलीला आधार का रपचो-lsquoपट की आगrsquoका गिन यिािट ि नदजसका समाधान व राम की िकति म दखत ि दररिजन की वयिा दर करन क भलए राम रप घनशयाम का आहवान ककया गया ि पट की आग

बझान क भलए राम रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी िlsquo इस रकार उनकी राम िकति पट की आग बझान वाली यान ज वन क यिािट सकटो का समाधान

करन वाली ि न कक कवल आधयानदतमक मकति दन वाली| गरीब की प ड़ा रावण क समान दखदाय िो गई

ि

त सर छद )rdquoधत किौldquo म िकति की गिनता और सघनता म उपज िि का आतमपवशवास क हदय धचतरण सज वि नदजसस समाज म वयापत जात ि िोता पदा सािस का नतरसकार क दरागरिो और पाात-

इस रकार िकति की रचनातमक िभमका का सकत यिाा ि जो आज क िदिाव मलक यग म अधधक

रासधगक ि |

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoउिाा राम लनछमनहि ननिारी बोल बचन मनज अनसारी

अधट रानत गइ कपप नहि आयउ राम उिाइ अनज उर लायउ

सकि न दणखत दणख मोहि काऊ बध सदा तव मदल सिाऊ

मम हित लाधग तजि पपत माता सिि बबपपन हिम आतप बाता

सो अनराग किाा अब िाई उिि न सनन मम बच बबकलाई

जौ जनतउा बन बध बबछोि पपता बचन मनतउा नहि ओि

सत बबत नारर िवन पररवारा िोहि जाहि जग बारहि बारा

अस बबचारर नदजया जागि ताता भमलइ न जगत सिोदर भाता

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जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

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रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

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उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 31: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

57

जिा पख बबन खग अनत दीना मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी जौ जड़ दव नदजआव मोिी

जिउा अवध कवन मि लाई नारर ित परय िाइ गावाई

बर अपजस सितउा जग मािी नारर िानन बबसर छनत नािी

अब अपलोक सोक सत तोरा सहिहि ननिर किोर उर मोरा

ननज जनन क एक कमारा तात तास तमि रान अधारा

सौपभस मोहि तमिहि गहि पान सब बबधध सखद परम हित जान

उतर काि दिउा तहि जाई उहि ककन मोहि भसखावि िाईldquo

रशन१-lsquoबोल बचन मनज अनसारीrsquo- का तातपयट कया ि

उततर - िाई क शोक म पवगभलत राम का पवलाप ध र- -ध र रलाप म बदल जाता ि नदजसम लकषमण क

रनत राम क अतर म नछप रम क कई कोण सिसा अनावत िो जात ि यि रसग ईशवर राम म मानव

सलि गणो का समनवय कर दता ि| व मनषय की िानत पवचभलत िो कर ऐस वचन कित ि जो मानव य

रकनत को िी शोिा दत ि |

रशन२- राम न लकषमण क ककन गणो का वणटन ककया ि

उततर -राम न लकषमण क इन गणो का वणटन ककया ि-

लकषमण राम स बित सनि करत ि | उनिोन िाई क भलए अपन माता ndashपपता का ि तयाग कर हदया | व वन म वराट हिम धप आहद कषटो को सिन कर रि ि | उनका सविाव बित मदल ि |व िाई क दःख को निी दख सकत |

रशन३- राम क अनसार कौन स वसतओ की िानन बड़ िानन निी ि और कयो

उततर -राम क अनसार धन पतर एव नारी की िानन बड़ िानन निी ि कयोकक य सब खो जान पर पन रापत

ककय जा सकत ि पर एक बार सग िाई क खो जान पर उस पन रापत निी ककया जा सकता |

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

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रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

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उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

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ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

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रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 32: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

58

रशन४- पख क बबना पकष और सड क बबना िाि की कया दशा िोत ि कावय रसग म इनका उललख कयो ककया गया ि

उततर - राम पवलाप करत िए अपन िाव नदसिनत का वणटन कर रि ि कक जस पख क बबना पकष और

सड क बबना िाि प कतड़त िो जाता ि उनका अनदसततव नगणय िो जाता ि वसा िी असिन य कषट राम को लकषमण क न िोन स िोगा |

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 33: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

59

सौदयट-बोध-सबध रशन

रशन१- कावयाश की िारा सौदयट सबध दो पवशरताओ का उलललख कीनदजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतरकषा अलकारndash

मन करणा मि ब र रस

जागा ननभसचर दणखअ कसामानिा काल दि धरर बसा

दषटात अलकार - जिा पख बबन खग अनत दीनामनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मन नदजवन बध बबन तोिीजो जड़ दव नदजआव मोिी

पवरोधािास अलकार -बिबबधध सोचत सोच बबमोचन

रशन२- कावयाश की िारा का नाम भलणखए |

उततर - अवध िारा

रशन३- कावयाश म रयि छद कौन ndashसा ि

उततर- १६१६ मातराओ का सम माबतरक चौपाई छद |

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गित चित धगरर

अटत गिन ndashगन अिन अखटकी| ऊच ndashन च करम धरम ndashअधरम करर

पट िी को पचत बचत बटा ndashबटकी | lsquoतलस rsquo बझाई एक राम घनसयाम िी त

आधग बड़वाधगत बड़ ि आधग पटकी|rdquo

60

रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

61

रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 34: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

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रशन१- कपवतावली ककस िारा म भलख गई ि

उततर - बरज िारा

रशन२- कपवतावली म रयि छद एव रस को सपषट कीनदजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणो का चार चरणो वाला समवणणटक कपवतत छद ि नदजसम 16 एव 15 वणो पर

पवराम िोता ि

रशन३- कपवतत म रयि अलकारो को छाट कर भलणखए

१ अनरास अलकारndash

ककसब ककसान-कल बननक भिखारी िाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

३ अनतशयोकति अलकारndash आधग बड़वाधग त बकतड़ ि आग पट की

लकषमण- पवलाप का राम और मचछाट

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन १-lsquoतव रताप उर राणख रि म ककसक रताप का उललख ककया गया िrsquoऔर कयो

उततर -इन पाकतियो म िरत क रताप का उललख ककया गया ि िनमानज उनक रताप का समरण करत िए अयोधया क ऊपर स उड़त िए सज वन ल कर लका की ओर चल जा रि ि

रशन२- राम पवलाप म लकषमण की कौन स पवशरताएा उदघहटत िई ि

उततर -लकषमण का भात रम तयागमय ज वन इन पाकतियो क माधयम स उदघाहटत िआ ि

रशन३- बोल वचन मनज अनसारी स कपव का कया तातपयट ि

उततर -िगवान राम एक साधारण मनषय की तरि पवलाप कर रि ि ककस अवतारी मनषय की तरि निी

भात रम का धचतरण ककया गया ितलस दास की मानव य िावो पर सशि पकड़ िदव य वयकतितव का लीला रप ईशवर राम को मानव य िावो स समनदनवत कर दता ि

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रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

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ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

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रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

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रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 35: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

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रशन४- िाई क रनत राम क रम की रगािता उनक ककन पवचारो स वयि िई ि

उततर - जिा पख बबन खग अनत दीना

मनन बबन फनन कररबर कर िीना

अस मम नदजवन बध बबन तोिी

जो जड़ दव नदजआव मोिी

रशन५- lsquoबिपवधध सोचत सोचपवमोचनrsquo का पवरोधािास सपषट कीनदजए

उततर -दीनजन को शोक स मि करन वाल िगवान राम सवय बित रकार स सोच म पड़कर दख िो रि

ि

रशन६- िनमान का आगमन करणा म व र रस का आना ककस रकार किा जा सकता ि

उततर -रदन करत वानर समाज म िनमान उतसाि का सचार करन वाल व र रस क रप म आ गए

करणा की नदी िनमान दवारा सज वन ल आन पर मगलमय िो उित ि

कपवतत और सवया

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- पट की िख शात करन क भलए लोग कया कया करत ि

उततर -पट की आग बझान क भलए लोग अननतक कायट करत ि

रशन२- तलस दास की दपषट म सासाररक दखो स ननवपतत का सवोततम उपाय कया ि

उततर - पट की आग बझान क भलए राम कपा रप वराट का जल अननवायट िइसक भलए अननतक कायट करन की आवशयकता निी ि

रशन३- तलस क यग की समसयाओ का धचतरण कीनदजए

उततर - तलस क यग म राकनतक और रशासननक वरमय क चलत उतपनन प डा दररिजन क भलए रावण

क समान दखदाय िो गई ि

रशन४- तलस दास की िकति का कौन सा सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 36: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

62

उततर - तलस दास की िकति का दासय िाव सवरप रसतत कपवततो म अभिवयि िआ ि

9 रबाइयाा

किराक गोरखपरी

मल नामndash रघपनत सिाय किराक

उदट शायरी की ररवायत क पवपरीत कफराक गोरखपरी क साहितय म लोक ज वन एव रकनत की झलक

भमलत ि सामानदजक सवदना वयकतिक अनिनत बन कर उनकी रचनाओ म वयि िई िज वन का किोर

यिािट उनकी रचनाओ म सिान पाता िउनिोन लोक िारा क रत को का रयोग ककया ि लाकषणणक

रयोग उनकी िारा की पवशरता िकिराक की रबाईयो म घरल हिदी का रप हदखता ि |

रबाई उदट और िारस का एक छद या लखन शली ि नदजसम चार पकतियाा िोत ि |इसकी पिली दसरी और

चौि पकति म तक (काकिया)भमलाया जाता ि तिा त सरी पकति सवचछद िोत ि |

ldquoवो रपवत मखड़ प इक नमट दमकrdquo

ldquoबचच क घरोद म जलात ि हदएldquo

ldquoरकषाबधन की सबि रस की पतलीrdquo

ldquoबबजली की तरि चमक रि ि लचछrdquo

ldquoिाई क ि बााधत चमकत राख ldquo- जस रयोग उनकी िारा की सशिता क नमन क तौर पर दख जा सकत ि |

सार

रबाइयाा

रकषाबधन एक म िा बधन ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि

गज़ल

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पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

64

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 37: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

63

पाि म कफराक की एक गज़ल ि शाभमल ि रबाइयो की तरि िी कफराक की गजलो म ि हिदी समाज

और उदट शायरी की परपरा िरपर ि इसका अदभत नमना ि यि गज़ल यि गज़ल कछ इस तरि बोलत ि

कक नदजसम ददट ि ि एक शायर की िसक ि ि और साि िी ि कावय-भशलप की वि ऊा चाई जो गज़ल की पवशरता मान जात ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoआागन म भलए चााद क टकड़ को खड़

िािो प झलात ि उस गोद-िरी

रि-रि क िवा म जो लोका दत ि

गाज उित ि णखलणखलात बचच की िास rdquo

रशन१- lsquoचााद क टकड़rsquoका रयोग ककसक भलए िआ ि और कयो

उततर -बचच को चााद का टकड़ा किा गया ि जो माा क भलए बित पयारा िोता ि

रशन२- गोद-िरी रयोग की पवशरता को सपषट कीनदजए |

उततर - गोद-िरी शबद-रयोग माा क वातसलयपणट आनहदत उतसाि को रकट करता ि |यि अतयत सदर

दशय बबब ि | सन गोद क पवपरीत गोद का िरना माा क भलए अस म सौिागय का सचक ि |इस सौिागय

का सकषम अिसास माा को तनपत द रिा ि|

रशन३- लोका दना ककस कित ि

उततर - जब माा बचच को बािो म लकर िवा म उछालत ि इस लोका दना कित ि|छोट बचचो को यि

खल बित अचछा लगता ि

रशन४- बचचा माा की गोद म कस रनतककरया करता ि

उततर - िवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा माा का वातसलय पाकर रसनन िोता ि और णखलणखला कर

िास पड़ता िबचच की ककलकाररयाा माा क आनद को दगना कर दत ि|

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

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आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

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ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

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रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 38: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

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सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल स

उलझ िए गसओ म कघ करक

ककस पयार स दखता ि बचचा माि को

जब घटननयो म लक ि पपनिात कपड़rdquo

रशन१- रसतत पकतियो क िाव सौदयट को सपषट कीनदजए |

उततर - माा न अपन बचच को ननमटल जल स निलाया उसक उलझ बालो म कघ की |माा क सपशट एव निान क आनद स बचचा रसनन िो कर बड़ रम स माा को ननिारता ि| रनतहदन की एक सवािापवक ककरया स कस माा-बचच का रम पवकभसत िोता ि और रगाि िोता चला जाता ि इस िाव को इस रबाई म बड़ सकषमता क साि रसतत ककया गया ि|

रशन२- कावयाश म आए बबबो को सपषट कीनदजए |

उततर -१ldquoनिला क छलक-छलक ननमटल जल सrdquo- इस रयोग दवारा कपव न बालक की ननमटलता एव पपवतरता को जल की ननमटलता क माधयम स अककत ककया ि | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक

क शरीर पर छलछलान का सदर दशय बबब रसतत करता ि |

२ lsquoघटननयो म लक ि पपनिात कपड़rsquo- इस रयोग म माा की बचच क रनत सावधान चचल बचच को चोट

पिाचाए बबना उस कपड़ पिनान स माा क माततव की कशलता बबबबतिोत ि |

३ ldquoककस पयार स दखता ि बचचा माि कोrdquo- पकति म माा ndashबचच का वातसलय बबबबत िआ ि | माा स पयार ndash

दलार सपशट ndashसख निलाए जान क आनद को अनिव करत िए बचचा माा को पयार िरी नजरो स दख कर

उस सख की अभिवयकति कर रिा ि |यि सकषम िाव अतयत मनोरम बन पड़ा ि |सपणट रबाई म दशय बबब ि|

रशन ३-कावयाश क शबद-रयोग पर हटपपण भलणखए |

उततर -गस ndashउदट शबदो का रयोग

घटननयो पपनिात ndash दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अभिवयकति

छलक ndashछलक ndashशबद की पनरावपतत स अि ndashअि निलाए गए बचच क ग ल शरीर का बबब

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 39: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

65

आहद पवलकषण रयोग रबाइयो को पवभशषट बना दत ि | हिदीउदट और लोकिारा क अनि गिबधन की झलक नदजस गाध ज हिदसतान क रप म पललपवत करना चाित िदखन को भमलत ि |

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रबाइयाा

रशन १ -कावय म रयि बबबो का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर -

दशय बबब -बचच को गोद म लना िवा म उछालना सनान कराना घटनो म लकर कपड़ पिनाना| शरवयबबब - बचच का णखलणखला कर िास पड़ना

सपशट बबब -बचच को सनान करात िए सपशट करना | रशन २-ldquoआागन म िनक रिा ि नदज़दयाया ि बालक तो िई चााद प ललचाया िrsquo- म बालक की कौन स पवशरता अभिवयि िई ि

उततर - इन पकतियो म बालक की िि करन की पवशरता अभिवयि िई ि बचच जब नदजद पर आ जात ि तो अपन इचछा परी करवान क भलए नाना रकार की िरकत ककया करत ि| नदज़दयाया शबद लोक िारा का पवलकषण रयोग ि इसम बचच का िनकना तनकना पााव पटकना रोना आहद सि ककरयाएा शाभमल ि |

रशन ३ लचछ ककस किा गया ि इनका सबध ककस तयौिार स ि

उततर - राख क चमकील तारो को लचछ किा गया ि रकषाबधन क कचच धागो पर बबजली क लचछ ि

सावन म रकषाबधन आता ि सावन का जो सबध झ न घटा स ि घटा का जो सबध बबजली स ि विी सबध िाई का बिन स िोता ि|सावन म बबजली की चमक की तरि राख क चमकील धागो की सदरता दखत िी बनत ि|

अिट-गरिण-सबध रशन

गज़ल

किराक गोरखपरी

66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

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66

ldquoनौरस गच पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोल ि

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ि |rdquo

रशन१- lsquoनौरसrsquo पवशरण दवारा कपव ककस अिट की वयजना करना चािता ि

उततर नौरस अिाटत नया रस गच अिाटत कभलयो म नया ndashनया रस िर आया ि |

रशन२- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलन का कया अभिराय ि

उततर - रस क िर जान स कभलयाा पवकभसत िो रिी ि |ध र-ध र उनकी पखकतड़याा अपन बद गााि खोल रिी ि | कपव क शबदो म नवरस िी उनकी बद गााि खोल रिा ि|

रशन३- lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल िrsquo ndash का अिट सपषट कीनदजए|

उततर -रग और सगध दो पकष ि जो कभलयो म बद ि तिा उड़ जान क भलए अपन पख फड़फड़ा रि ि |यि

नदसिनत कभलयो क फल बन जान स पवट की ि जो फल बन जान की रत कषा म ि |rsquoपर तौलनाrsquo एक मिावरा ि जो उड़ान की कषमता आाकन क भलए रयोग ककया जाता ि |

रशन४- इस शर का िाव-सौदयट वयि कीनदजए|

उततर -कभलयो की नई-नई पखकतड़याा णखलन लग ि उनम स रस मानो टपकना िी चािता ि |

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट का रत कातमक धचतरण अतयत सदर बन पड़ा ि |

सौदयट-बोध-सबध रशन

िम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि| जो मझको बदनाम कर ि काश व इतना सोच सक

मरा पदाट खोल ि या अपना पदाट खोल ि | रशन१- इन शरो की िारा सबध पवशरताएा सपषट कीनदजए |

उततर- १ मिावरो का रयोग ndashककसमत का रोना ndashननराशा का रत क

२सरल अभिवयकति िारा म रवािमयता ि ककसमत और परदा शबदो की पनरावपततयाा

मोिक ि|

३ हिदी का घरल रप

67

रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

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रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

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रशन२- lsquoमरा परदा खोल ि या अपना परदा खोल ि lsquo- की िापरक पवशरता भलणखए |

उततर -मिावर क रयोग दवारा वयजनातमक अभिवयकति | परदा खोलना ndash िद खोलना सचचाई बयान

करना|

रशन३-lsquoिम िो या ककसमत िो िमारी lsquo ndashरयोग की पवशरता बताइए |

उततर - िम और ककसमत दोनो शबद एक िी वयकति अिाटत किराक क भलए रयि ि | िम और ककसमत म अिद ि यिी पवशरता ि |

किराक गोरखपरी

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- तार आाख झपकाव ि ndashका तातपयट सपषट कीनदजए |

उततर- राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि ि पवयोग की नदसिनत म रकनत

ि सवाद करत रत त िोत ि |

रशन२- lsquoिम िो या ककसमत िो िमारीrsquo म ककस िाव की अभिवयकति िई ि

उततर- ज वन की पवडबना ककसमत को रोना-मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि कपव

ज वन स सतषट निी ि | िागय स भशकायत का िाव इन पकतियो म झलकता ि |

रशन३- रम क ककस ननयम की अभिवयकति कपव न की ि

उततर -ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क ससार का ि यिी ननयम ि|कपव क शबदो म rdquo

कितरत का कायम ि तवाज़न आलम- िसनो ndashइशक म ि

उसको उतना िी पात ि खद को नदजतना खो ल ि |rdquo

१ िाव ndashसामय- कब र -lsquoस स उतार िई धर तब भमभलि करतारlsquo-अिाटत -सवय को खो कर िी रम रानपत

की जा सकत ि

२ िाव सामय- कब र ndashनदजन ढाढा नतन पाइयाा गिर पान पहि|

म बपरा बडन डरा रिा ककनार बहि |

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 42: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

68

रशन४- शराब की मिकफल म शराब को दर रात कया बात याद आत ि

उततर - शराब की मिकफल म शराब को दर रात याद आत ि कक आसमान म मनषय क पापो का लखा-जोखा िोता ि जस आध रात क समय फररशत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ि वस िी रात क समय

शराब प त िए शायर को मिबबा की याद िो आत ि मानो मिबबा फररशतो की तरि पाप सिल क आस

पास िी ि

रशन५- सदक किराकndashndashndashइन पकतियो का अिट सपषट कीनदजए |

उततर -सदक किराकndashndashndashइन पकतियो म किराक कित ि कक उनकी शायरी म म र की शायरी की उतकषटता धवननत िो रिी ि

रशन६- पखकतड़यो की नाज़क धगरि खोलना कया ि

उततर -पाखकतड़यो की नाजक धगरि खोलना उनका ध र -ध र पवकभसत िोना ि

वयसधध(ककशोरी)नानयका क रसफहटत िोत सौदयट की ओर सकत ि |

रशन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल िrsquo िाव सपषट कीनदजए

उततर -कभलयो की सवास उड़न क भलए मानो पर तौल रिी िोअिाटत खशब का झोका रिndashरि कर उिता ि

रशन८- कपव दवारा वणणटत राबतर क दशय का वणटन अपन शबदो म कीनदजए

उततर - राबतर का सननाटा ि कछ कि रिा िइसभलए तार पलक झपका रि िलगता ि कक रकनत का कण-कण कछ कि रिा ि |

रशन९- कपव अपन वयकतिक अनिव ककन पाकतियो म वयि कर रिा ि

ज वन की पवडबना-lsquoककसमत को रोनाlsquo मिावर क रयोग स सटीक अभिवयकति रापत करत ि

ldquoिम िो या ककसमत िो िमारी दोनो को इक िी काम भमला

ककसमत िम को रो लव ि िम ककसमत को रो ल ि|rdquo

रशन१०- शायर न दननया क ककस दसतर का वणटन ककया ि

69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

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69

उततर -शायर न दननया क इस दसतर का वणटन ककया ि कक लोग दसरो को बदनाम करत ि परत व निी जानत कक इस तरि व अपन दषट रकनत को िी उदघाहटत करत ि

रशन११- रम की कितरत कपव न ककन शबदो म अभिवयि की ि

सवय को खो कर िी रम की रानपत की जा सकत ि ईशवर की रानपत सवटसव लटा दन पर िोत ि रम क

ससार का ि यिी ननयम ि

रशन१२- किराक गोरखपरी ककस िारा क कपव ि

उततर - उदट िारा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोश

(गजरात कपव)

उमाशकर जोश ब सव सदी क गजरात क मधटनय कपव ससकत वाङमय क पवदवान िउनिोन गजरात कपवता को रकनत स जोड़ाआम आदम क ज वन की झलक उनकी रचनाओ म भमलत ि

छोटा मरा खत

सार

खत क रपक दवारा कावय रचनाndash रककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता िकागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खत की तरि लगता ि इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स

िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि उसस शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क

भलिाज स पललपवत -पनदषपत िोन की नदसिनत ि साहिनदतयक कनत स जो अलौककक रस-धारा फटत ि वि

कषण म िोन वाली रोपाई का िी पररणाम ि पर यि रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ि |

70

बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

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बगलो क पख

सार

बगलो क पख कपवता एक चाकषर बबब की कपवता ि सौदयट का अपकषकषत रिाव उतपनन करन क भलए

कपवयो न कई यकतियाा अपनाई ि नदजसम स सबस रचभलत यकति ि-सौदयट क वयौरो क धचतरातमक वणटन क

साि अपन मन पर पड़न वाल उसक रिाव का वणटन और आतमगत क सयोग की यि यकति पािक को उस

मल सौदयट क काफी ननकट ल जात ि जोश ज की इस कपवता म ऐसा िी ि कपव काल बादलो स िर

आकाश म पकति बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ि व कजरार बादलो म अटका-सा रि जाता ि वि

इस माया स अपन को बचान की गिार लगाता ि कया यि सौदयट स बााधन और पवधन की चरम नदसिनत

को वयि करन का एक तरीका ि

रकनत का सवततर (आलबन गत ) धचतरण आधननक कपवता की पवशरता िधचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत ककया ि तो दसरी ओर इस अरनतम

दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया िमतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम

पवसमनत की नदसिनत तक पिाच जाता िपवरय एव पवरय गत सौनदयट क दोनो रप कपवता म उदघाहटत िए

ि

अिट-गरिण-सबध रशन

ldquoछोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ किी स आया

कषण का ब ज विाा बोया गया|

कलपना क रसायनो को प

ब ज गल गया ननशर शबद क अकर फट

पललव ndashपषपो स नभमत िआ पवशर |rdquo

रशन १lsquoछोटा मरा खतrsquo ककसका रत क ि और कयो

उततर - रशन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का रत क ि नदजस पर कपव अपन कपवता भलखता ि

रशन २ कपव खत म कौनndashसा ब ज बोता ि

71

उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

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उततर - कपव खत म अपन कलपना का ब ज बोता ि

रशन ३ कपव की कलपना स कौन स पललव अकररत िोत ि

उततर - कपव की कलपना स शबद क पललव अकररत िोत ि

रशन ४ उपयटि पद का िाव-सौदयट सपषट कीनदजए |

उततर - खत क रपक दवारा कावय-रचनाndashरककरया को सपषट ककया गया िकावय कनत की रचना ब जndash वपन

स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत िअतर कवल इतना ि कक कपव कमट की फसल

कालजय शाशवत िोत िउसका रस-कषरण अकषय िोता ि

सौदयट-बोध-सबध रशन

ldquoझमन लग फल

रस अलौककक

अमत धाराएा फटत

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रिन स जरा ि कम निी िोत |

रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |rdquo

रशन इस कपवता की िारा सबध पवशरताओ पर रकाश डाभलए ndash

उततर - १ रत कातमकता

२ लाकषणणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पातर सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

72

रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 46: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

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रशन २ रस अलौककक अमत धाराएा रोपाई ndash कटाई-रत को क अिट सपषट कीनदजए |

उततर - रस अलौककक ndash कावय रस ननषपपतत

अमत धाराएा- कावयानद

रोपाई ndash अनिनत को शबदबदध करना

कटाई ndashरसासवादन

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

कपवता ndash

छोटा मरा खत

रशन १ उमाशकर जोश न ककस िारा म कपवताएा भलख ि

उततर - गजरात िारा

रशन२ कपरndashकमट एव कपवndashकमट म कया कया समानताएा ि

उततर - कपरndashकमट एव कपवndashकमट म ननमनभलणखत समानताएा ि-

कावय कनत की रचना ब जndash वपन स लकर पौध क पनदषपत िोन क पवभिनन चरणो स गजरत ि

कपरndashकमट एव कपवndashकमट म समानताएा -

कागज का पनना नदजस पर रचना शबदबदध िोत ि कपव को एक चौकोर खतलगता ि

इस खत म ककस अाधड़ (आशय िावनातमक आाध स िोगा) क रिाव स ककस कषण एक ब ज

बोया जाता ि यि ब ज-रचना पवचार और अभिवयकति का िो सकता ि

यि मल रप कलपना का सिारा लकर पवकभसत िोता ि और रककरया म सवय पवगभलत िो जाता ि

इस रकार ब ज ि खाद पान सयट की रोशन िवा आहद लकर पवकभसत िोता ि |

कावय ndashरचना स शबदो क अकर ननकलत ि और अततः कनत एक पणट सवरप गरिण करत ि जो कपर-कमट क भलिाज स पललपवत ndashपनदषपत और फभलत िोन की नदसिनत ि

अिट-गरिण-सबध रशन

73

कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

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रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

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कपवताndash बगलो क पख

नि म पाात - बाध बगलो क पख

चराए भलए जात व मरी आाख |

कजरार बादलो की छाई नि छाया

िौलndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |

उस कोई तननक रोक रकखो |

वि तो चराए भलए जात मरी आाख

नि म पाात - बाध बगलो की पााख |

तरत सााझ की सतज शवत काया|

रशन१- इस कपवता म कपव न ककसका धचतरण ककया ि

उततर - कपव न काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतरण ककया ि|

रशन२- आाख चरान का कया अिट ि

उततर - आाख चरान का आशय ि ndashधयान परी तरि ख च लना एकटक दखना मतरमगध कर दना

रशन३-

ldquoकजरार बादलो की छाई नि छाया

िौल ndashिौल जात मझ बााध ननज माया स |rdquo- आशय सपषट कीनदजए |

उततर- काल बादलो क ब च सााझ का सरमई वातावरण बित सदर हदखता ि | ऐसा अरनतम सौदयट अपन

आकरटण म कपव को बााध लता ि |

रशन ४ ldquoउस कोई तननक रोक रकखो |rsquo- स कपव का कया अभिराय ि

उततर - बगलो की पकति आकाश म दर तक उड़त जा रिी ि कपव की मतरमगध आाख उनका प छा कर रिी ि | कपव उन बगलो को रोक कर रखन की गिार लगा रिा ि कक किी व उसकी आाख िी अपन साि न ल जाएा |

सौदयट-बोध-सबध रशन

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रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |

Page 48: 1 कप्वता · 28 1 कप्वता :– आत्म पररचय िररवंश राय बच्चन ‘आत्मपररचय’-‘ननशा ननमंत्रण’

74

रशन १ कपवता की िारा सबध दो पवशरताएा भलणखए|

उततर -१ धचतरातमक िारा

२ बोलचाल क शबदो का रयोग - िौल ndashिौल पाात कजरारसााझ

रशन २ कपवता म रयि अलकार चन कर भलणखए |

उततर - अनरास अलकार - बाध बगलो क पख

मानव करण अलकार - चराए भलए जात व मरी आाख |

रशन ३ -lsquo ननज मायाrsquo क लाकषणणक अिट को सपषट कीनदजए |

उततर - रकनत का अरनतम सौदयट वि माया ि जो कपव को आतमपविोर कर दत ियि पकति ि रशसातमक उकति ि

पवरय-वसत पर आधाररत रशनोततर

रशन१- lsquoचराए भलए जात व मरी ऑखrsquo स कपव का कया तातपयट ि

उततर -धचतरातमक वणटन दवारा कपव न एक ओर काल बादलो पर उड़त बगलो की शवत पकति का धचतर अककत

ककया ि तिा इस अरनतम दशय क हदय पर पड़न वाल रिाव को धचबतरत ककया ि कपव क अनसार यि

दशय उनकी आाख चराए भलए जा रिा ि |मतर मगध कपव इस दशय क रिाव स आतम पवसमनत की नदसिनत

तक पिाच जाता ि

रशन२-कपव ककस माया स बचन की बात किता ि

उततर - माया पवशव को अपन आकरटण म बााध लन क भलए रभसदध ि | कब र न ि lsquoमाया मिा िधगन िम

जान rsquo किकर माया की शकति को रनतपाहदत ककया ि | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर कपव को अपन वश म कर रिी ि |