¡य ददन चौफी घंटेभेंएक घंटा मा कुछ ऐ ा ¡ी...

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हय ददन चौफीस घंटे भ एक घंटा मा क छ ऐसा ही त ह भौन होना जयी है , जफ बी विधाजनक हो| बीतयी संिाद चरता यहेगा भगय त भ ककसी ऩ भ शामभर भत होओ|” ओशो दन के चौफीस घंट एक घंटा भौन यहना जयी है , जफ बी हायी विधा हो। हाया आंतरयक संिाद चरता यहेगा रेककन उसके बागीदाय भत फनो। बफना संरन नो। जी मह है आंतरयक ितााराऩ को इस बांतनो जैसे दो मततम को फोरते नते हो। तटथ यहो। संरन भत होओ, दभाग का एक दहसा सये दहसे को तमा फता यहा है इसे नो। जो बी यहा है उसे आने दो, उसे दफाओ भत; मसपा साी यहो।

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  • “हय ददन चौफीस घटें भें एक घंटा मा कुछ ऐसा ही तुम्हें भौन होना जरूयी है, जफ बी सवुिधाजनक हो| बीतयी सिंाद चरता यहेगा भगय तुभ ककसी ऩऺ भें शामभर भत होओ|” ओशो

    ददन के चौफीस घंटों भें तुम्हें एक घंटा भौन यहना जरूयी है, जफ बी तुम्हायी सवुिधा हो। तुम्हाया आंतरयक सिंाद चरता यहेगा रेककन तुभ उसके बागीदाय भत फनो। बफना सरंग्न हुए सनुो। कंुजी मह है कक आंतरयक िातााराऩ को इस बांतत सनुो जैसे दो व्मक्ततमों को फोरत ेहुए सनुते हो। तटस्थ यहो। सरंग्न भत होओ, ददभाग का एक दहस्सा दसूये दहस्से को तमा फता यहा है इसे सनुो। जो बी आ यहा है उसे आने दो, उसे दफाओ भत; मसपा साऺी यहो।

  • जंगरी घोड़ ेतुभने िर्षों से जो बी कूड़ा इकट्ठा ककमा है िह तनकरेगा। ददभाग को कबी इस कचये को फाहय पें कने की इजाजत नहीं दी गई है। एक फाय भौका मभरने ऩय भन ऐसे दौड़गेा जैसे रगाभ छूटने ऩय घोड़ा बागता है। उसे बागने दो। तुभ मसपा फैठो औय अिरोकन कयो। इस तयह मसपा देखना धीयज की करा है। तुभ उस घोड़ ेऩय सिाय होना चाहोगे, उसे ददशा देना चाहोगे इधय मा उधय तमोंकक मह तुम्हायी ऩुयानी आदत है। इस आदत को तोड़ने के मरए तुम्हें धीयज की जरूयत है। भन जहा ंबी जाए उसे मसपा देखना। इसभें कोई व्मिस्था देने की कोमशश भत कयना। तमोंकक एक शब्द से दसूया शब्द ऩैदा होता है, औय कपय तीसया , कपय एक औय, कपय हजायों, तमोंकक हय चीज एक दसूये से जुड़ी है।

    जो भन भें आए उसे जोय से फोरो मह सवुिधाऩूर्ा है औय सबंि है। अऩने विचायों को जोय से फोरो ताकक तुभ बी उन्हें सनु सको तमोंकक भन के बीतय विचाय कापी सकू्ष्भ होते हैं औय हो सकता है तुभ उन्हें न सनु सको। जोय से फोरो, उन्हें सनुो, औय ऩूर्ातमा सजग औय सतका यहो ताकक तुभ उनसे दयू यह सको। भन भें जो बी आता हो उसे फोरने का पैसरा रो रेककन जया बी ऩूिााग्रह न हो, तटस्थ यहो कक तुम्हाये औय उनके फीच एक अरगाि हो। भन को खारी कयना अत्मंत आिश्मक है, कभ से कभ छह भहीने तक्। ऩूये जीिन तुभ उस ऩय विचायों का फोझ डारते आए हो। मदद तुभ धैमा ऩूिाक औय रगन से रगे यहे, तो मसपा छह भहीने कापी हैं अन्मथा छह सार रग सकते हैं मा छह जन्भ! सफ कुछ तुभ ऩय तनबाय है कक तुभ ककतनी सभग्रता से औय ईभानदायी से इस विधध को कयते हो। धीये-धीये, हल्के से तुभें भौन का ऩदचाऩ सनुाई देगा।

    ओशो, दद ट्रू नेभ, बाग 1 # 5

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    पे्रभ भें होने का अथथ होता है: हभ ऩास बी होंगे इतने कक हभें एक-दसूये से कोई बम का कायण नह ीं, औय हभ इतने दयू बी होंगे कक हभ एक-दसूये को यौंद बी न डारेंगे, हभाये फीच आकाश होगा। औय तुम्हाया ननभींत्रण होगा तो भैं आऊीं गा, औय भेया ननभींत्रण होगा तो तुभ भेये बीतय आओगे। भगय ननभींत्रण ऩय। मह हक न होगा, अधधकाय न होगा।

    यवीींद्रनाथ के एक उऩन्मास भें एक मुवती अऩने पे्रभी से कहती है कक भैं वववाह कयने को तो याजी हूीं, रेककन तुभ झीर के उस तयप यहोगे औय भैं झीर के इस तयप।

  • पे्रभी की फात सभझ के फाहय है। वह कहता है: तू ऩागर हो गई है? पे्रभ कयने के फाद रोग एक ह घय भें यहते हैं।

    उसने कहा कक पे्रभ कयने के ऩहरे बरा एक घय भें यहें, पे्रभ कयने के फाद एक घय भें यहना ठीक नह ीं, खतये से खार नह ीं। एक-दसूये के आकाश भें फाधाएीं ऩड़नी शुरू हो जाती हैं। भैं झीर के उस ऩाय, तुभ झीर के इस ऩाय। मह शतथ है तो वववाह होगा। हाीं, कबी तुभ ननभींत्रण बेज देना तो भैं आऊीं गी। मा भैं ननभींत्रण बेजूींगी तो तुभ आना। मा कबी झीर ऩय नौका-ववहाय कयते अचानक मभरना हो जाएगा। मा झीर के ऩास खड़ ेवृऺ ों के ऩास सफुह के भ्रभण के मरए ननकरे हुए अचानक हभ मभर जाएींगे, चौंक कय, तो प्रीनतकय होगा। रेककन गुराभी नह ीं होगी। तुम्हाये बफना फुराए भैं न आऊीं गी, भेये बफना फुराए तुभ न आना। तुभ आना चाहो तो ह आना, भेये फुराने से भत आना। भैं आना चाहूीं तो ह आऊीं गी, तुम्हाये फुराने बय से न आऊीं गी। इतनी स्वतींत्रता हभाये फीच यहे, तो स्वतींत्रता के इस आकाश भें ह पे्रभ का पूर खखर सकता है।

    ऐसा दसूया पे्रभ फहुत कठठन है।

    औय यह भ जजसकी फात कय यहे हैं वह तो तीसया पे्रभ है, वह तो अनत कठठन है। मह दसूया पे्रभ बी शामद कबी-कबी सींबव हो जाता है—ककसी कवव को, ककसी धचत्रकाय को, ककसी भनूत थकाय को, ककसी सींगीतऻ को। ऩहरा पे्रभ तो साधायण, आभ जन का पे्रभ है; ऩथृक जन का पे्रभ है; बीड़-बाड़ का, बेड़ों का। दसूया पे्रभ भनुष्मों का पे्रभ है, जजनकी थोड़ी गरयभा है, जजनभें थोड़ा फोध है, प्रनतबा है। दसूया बी फहुत कठठन है। औय यह भ तो तीसये पे्रभ की फात कय यहे हैं।

    ऩहरा पे्रभ: पामरींग इन रव, पे्रभ भें धगयना।

    दसूया पे्रभ: फीइींग इन रव, पे्रभ भें होना।

    औय तीसया: फीइींग रव, पे्रभ ह होना।

  • तीसया कोई सींफींध ह नह ीं है, उसका दसूये से कोई नाता ह नह ीं है। वह तो पे्रभ की चैतन्म दशा है। वह तो बीतय से उभगता हुआ पे्रभ है साये अजस्तत्व के प्रनत—इस कूकती कोमर के प्रनत, इन ऩक्षऺमों की आवाजों के प्रनत, सयूज की इन ककयणों के प्रनत, वृऺ ों के प्रनत, रोगों के प्रनत—मह साये सभग्र अजस्तत्व के प्रनत। सच ऩूछो तो प्रनत का सवार ह नह ीं है। ककसी का ऩता नह ीं है उस पे्रभ ऩय। जैसे कोई झयना पूट यहा हो, मा जैसे ककसी पूर से सगुींध उठ यह हो। वह ककसी ऩते-ठठकाने ऩय नह ीं जा यह । वह ऩहरे ऩोस्ट-आकपस नह ीं जाएगी, वह ककसी ऩोस्टभनै ऩय सवाय नह ीं होगी, वह ककसी मरपापे भें फींद नह ीं होगी। वह उड़गेी खरेु आकाश भें। जजसको रेना हो, रे रे। औय न रेना हो तो न रे। जैसे द मे से झयता प्रकाश है। वह झय यहा है मसपथ , वह द मे का स्वबाव है।

    पे्रभ ऩथ ऐसो कठठन। # 1

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  • , व

    रोन ूमजूमदार ने ओशो ग्ऱिंप्स, मुिंबई ऩर अऩने बािंसरुी वादन से मोहहत किया

    ववख्यात बािंसरुीवादि रोनू मजूमदार ने सरुुचिऩूर्ण व सौंदयणमय ढिंग से ननर्मणत मुिंबई िे ओशो ग्ऱिंप्स िें द्र ऩर अभी हाऱ ही में बािंसरुीवादन किया| यह सिंध्या सिंगीत, ध्यान, वािन िा सुिंदर सगममश्रर् थी और रोनू ने अऩने वादन िा प्रारिंभ राग गोरख िल्यार् से किया – जो सममोहि एविं पे्रम से सराबोर थी| उन्होंने द्रतु ऱोिरिना ऩहाड़ी से अऩने वादन िो आगे बढ़ाया, गजसने श्रोताओिं िो तार्ऱयों ऩर थाऩ और ऩािंवों िो चथरि देते हुए छोड़ा| तबऱे ऩर सिंगनत अगजत ऩाठि ने िी; बािंसरुी ऩर सहयोग रोन ूिे र्शष्य िल्ऩेश िा था, जबकि रोनू िे ऩुत्र र्सद्ािंत भी वऩता िे सिंगीत में सगममर्ऱत हुए|

    सिंगीत िे बाद रोन ूने ओशो िी ऩुस्ति दररया िहै सब्द ननरबाना से िुछ अिंशों िा वािन किया गजसने श्रोताओिं िो बहुत गद्गद किया| यह सब िुछ पे्रम िे ही ववववध ऩहऱओुिं ऩर था, और वािन एि प्रिार से सिंगीत िे सरुों िा ही शागब्दि रूऩ था| तमाम आगिंतुिों ने ऩुस्तिें खरीदीिं, गजन ऩर उनिे ऩसिंदीदा सिंगीतिार ने इस सिंध्या िे यादगार स्वरूऩ सहषण हस्ताऺर किए|

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