सहाा सलता है सजसे टेक्ट सनक प्लेट्स...

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भारत म जलवायु परवततन और पयातवरण संरण के पहल वततमान समय मे जलवायु पररवततन और पयातवरण संबंधी सम˟ा न सत भारत वरन सɼूणत सवʷ के सलए असत महȕपूणत और संवेदनशील मुȞा है भारत म पया तवरण कानून काी समृȠ और सवकससत है भारतीय सं सवधान सवʷ के उन सगने -चुने सं सवधानं म से एक है , सजनम पयातवरण संरण के ावधान भी सदए गए ह 42व सं सवधान संशधन असधसनयम , 1976 के जररए सं सवधान म जड़ी गई धाराओं 48ए और 51(जी) के अȶगत पया तवरण संरण का दासयȕ रा और उसके नागररकं पर डाला गया है परȶु भारतीय पया तवरण कानून का सवकाटुकड़ं म आ है और यह अɊ कु छ घटनामं के लˢऱप वसतत आ है भारत दुसनया म CO2 के सबसे बड़े उȖजतक देशं म से एक है . भारत दुसनया की चौथी सबसे बड़ी अथतʩवथा है तथा पांचवा सबसे बड़ा ीनहाउस गैस उȖजतक देश है . भारत वैसʷक उȖजतन का कु 5% उȖजतन करता है . भारत का उȖजतन 1990 तथा 2005 के बीच म 65% बढ़ा है और इसके 2020 तक 70% हने की उʃीद है . जलवायु पररवतन के मु कारण जलवायु पररवततन का मु कारण वैसʷक तपन है ज हररत गृह भाव (ीन हाउस इे ) का पररणाम है हरत गृह भाव वह सया सजसम पृțी से टकराकर लौटने वाली सूयत की सकरणं क वातावरण म उपथत कु छ गैस अवशसित कर लेती ह सजसके पररणामˢरप पृțी के तापमान म वृȠ हती है जलवायु पररवततन के अɊ कारणं मे नगरीकरण , औȨगीकरण, कयले पर आधारत सवद् युत तापगृह , तकनीकी तथा पररवहन े म ाȶकारी पररवततन, कयला खनन, मानव जीवन के रहन-सहन म पररवततन (सवलाससतापूणत जीवनशैली के कारण रेसिजरेटर , एयर कं डीʲर तथा परɡूम का वृहद पैमाने पर उपयग) , धान की खेती के ेल म अभूतपूवत सवˑार , शाकभी पशुओं की जनसंा म वृȠ , आधुसनक कृ सि म रासायसनक खादं का अंधाधुंध यग आसद मुख ह ज हररत गृह गैसं के वातावरण म उȖजतन के सलए उरदायी ह जलवायु पररवततन के अंतगत आंतररक और बाहरी दनं कारण ह आंतरक कारणं अथवा ाकृ सतक कारणं म जलवायु सयाओं म बदलाव (जैसे गमी संचलन, ालामुखी सव˛ट) या मानव सनसमत (जैसे ीनहाउस गैसं और धूल उȖजतन म वृȠ) कारण शासमल ह I. ाकृतक कारण जलवायु पररवततन के सलये अनेक ाकृ सतक कारण सजʃेदार ह इनम से मुख ह - महाȪीपं का खसकना , ालामुखी, समुी तरंग और धरती का घुमाव महाीपीय बहाव सजन महाȪीपं से आज हम पररसचत ह उनका जɉ सैकड़ं वित पहले आ था जब भू -भाग अलग हने शुऱ ए थे इस सवखंडन का असर मौसम पर भी आ ं सक इससे इलाके की भौसतक सवशेिताओं , इसका थान और जल सनकायं का थान बदल गया इलाके के इस असंतुलन ने समु और लहरं की हवाओं क बदल सदया सजसने मौसम जलवायु पररवततन ा है ? जलवायु पररवततन के कारण जलवायु पररवततन ा है ? सम˟ाएँ संवैधासनक ावधान भारत पर इसके भाव संरण की नीसत CPO -21 पर पहल भारत का रड मैप भारत सरकार की पहल सनʺित

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  • भारत में जलवायु पररवततन और पयातवरण संरक्षण के पहल

    वततमान समय मे जलवायु पररवततन और पयातवरण संबंधी समस्या न ससर्त भारत वरन समू्पणत सवश्व के सलए असत

    महत्वपूणत और संवेदनशील मुद्दा है । भारत में पयातवरण कानून कार्ी समृद्ध और सवकससत है। भारतीय संसवधान

    सवश्व के उन सगने-चुने संसवधान ंमें से एक है , सजनमें पयातवरण संरक्षण के प्रावधान भी सदए गए हैं। 42वें संसवधान

    संश धन असधसनयम , 1976 के जररए संसवधान में ज ड़ी गई धाराओ ं48ए और 51ए (जी) के अन्तगतत पयातवरण

    संरक्षण का दासयत्व राज्य और उसके नागररक ंपर डाला गया है। परनु्त भारतीय पयातवरण कानून का सवकास

    टुकड़ ंमें हुआ है और यह अन्य कुछ घटनाक्रम ंके र्लस्वरूप प्रवसततत हुआ है। भारत दुसनया में CO2 के सबसे

    बड़े उत्सजतक देश ंमें से एक है. भारत दुसनया की चौथी सबसे बड़ी अथतव्यवस्था है तथा पांचवा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस

    गैस उत्सजतक देश है. भारत वैसश्वक उत्सजतन का कुल 5% उत्सजतन करता है. भारत का उत्सजतन 1990 तथा 2005

    के बीच में 65% बढ़ा है और इसके 2020 तक 70% ह ने की उम्मीद है.

    जलवायु पररवर्तन के मुख्य कारण

    जलवायु पररवततन का मुख्य कारण वैसश्वक तपन है ज हररत गृह प्रभाव (ग्रीन हाउस इरे्क्ट) का पररणाम है। हररत

    गृह प्रभाव वह प्रसक्रया सजसमें पृथ्वी से टकराकर लौटने वाली सूयत की सकरण ंक वातावरण में उपस्स्थत कुछ गैसें

    अवश सित कर लेती हैं सजसके पररणामस्वरुप पृथ्वी के तापमान में वृस्द्ध ह ती है। जलवायु पररवततन के अन्य कारण ं

    मे नगरीकरण , औद्य गीकरण, क यले पर आधाररत सवद्युत तापगृह , तकनीकी तथा पररवहन के्षत्र में क्रास्न्तकारी

    पररवततन, क यला खनन, मानव जीवन के रहन-सहन में पररवततन (सवलाससतापूणत जीवनशैली के कारण रेसिजरेटर ,

    एयर कंडीश्नर तथा परफू्यम का वृहद पैमाने पर उपय ग) , धान की खेती के के्षत्रर्ल में अभूतपूवत सवस्तार , शाकभक्षी

    पशुओ ंकी जनसंख्या में वृस्द्ध , आधुसनक कृसि में रासायसनक खाद ंका अंधाधंुध प्रय ग आसद प्रमुख हैं ज हररत गृह

    गैस ंके वातावरण में उत्सजतन के सलए उत्तरदायी हैं।

    जलवायु पररवततन के अंतगतत आंतररक और बाहरी द न ंकारण हैं। आंतररक कारण ंअथवा प्राकृसतक कारण ंमें

    जलवायु प्रसक्रयाओ ंमें बदलाव (जैसे गमी संचलन, ज्वालामुखी सवस्फ ट) या मानव सनसमतत (जैसे ग्रीनहाउस गैस ंऔर

    धूल उत्सजतन में वृस्द्ध) कारण शासमल हैं।

    I. प्राकृतर्क कारण

    जलवायु पररवततन के सलये अनेक प्राकृसतक कारण सजमे्मदार हैं। इनमें से प्रमुख हैं- महाद्वीप ंका स्खसकना,

    ज्वालामुखी, समुद्री तरंगें और धरती का घुमाव।

    • महाद्वीपीय बहाव

    सजन महाद्वीप ंसे आज हम पररसचत हैं उनका जन्म सैकड़ ंवित पहले हुआ था जब भू-भाग अलग ह ने शुरू हुए थे।

    इस सवखंडन का असर मौसम पर भी हुआ क् संक इससे इलाके की भौसतक सवशेिताओं , इसका स्थान और जल

    सनकाय ंका स्थान बदल गया। इलाके के इस असंतुलन ने समुद्र और लहर ंकी हवाओ ंक बदल सदया सजसने मौसम

    जलवायु पररवततन

    क्ा है ?

    जलवायु पररवततन

    के कारण

    जलवायु पररवततन

    क्ा है ? समस्याएँ

    संवैधासनक

    प्रावधान

    भारत पर इसके

    प्रभाव

    संरक्षण की

    नीसत

    CPO -21

    पर पहल

    भारत का

    र ड मैप

    भारत सरकार

    की पहल

    सनष्कित

  • क प्रभासवत सकया। महाद्वीप ंका यह सवखंडन आज भी जारी है क् संक महाद्वीप ंक चट्टान के सवशाल सै्लब का

    सहारा समलता है सजसे टेक्ट सनक पे्लट्स कहा जाता है ज हमेशा चलती रहती हैं। ये सभी कारक जलवायु पररवततन

    का कारण है।

    • ज्वालामुखी का फूटना

    ज्वालामुखी र्टने से उसमें से ज लावा सनकलता है, उसके सकसी जल स्र त में जाने या कही ंभी जाने से वहाँ प्रदूिण

    रै्ल जाता है और जलवायु पररवततन का मुख्य कारण भी प्रदूिण ही है।

    • पृथ्वी का झुकाव

    धरती 23.5 सडग्री के क ण पर , अपनी कक्षा में झुकी हुई है। इसके इस झुकाव में पररवततन से मौसम के क्रम में

    पररवततन ह ता है। असधक झुकाव का अथत है असधक गमी व असधक सदी और कम झुकाव का अथत है कम मात्रा में

    गमी व साधारण सदी।

    • समुद्री र्रंगें / लहरें

    समुद्री तरंग ंमें मौसमी प्रणाली का एक प्रमुख घटक शासमल ह ता है। ये पृथ्वी के 71% सहसे्स में रै्ल गए हैं और

    वातावरण से रेसडएशन क अवश सित करते हैं। सागर लहरें पूरे ग्रह में बड़ी मात्रा में गमत हवाओ ंक रै्लाती हैं। सजन

    इलाक ंसे महासागर सघरे हुए हैं वहां गमत तरंगे भूसम पर रै्लती है।

    • आसमान से रेतडएशन

    इसर के पूवत अध्यक्ष और भौसतक सवज्ञानी प्र रे्सर यू आर राव के अनुसार पृथ्वी पर अंतररक्ष से रेसडएशन सीधे सौर

    ससक्रयण से संबंसधत है। यसद सूयत की गसतसवसध बढ़ जाती है त ब्रह्माण्ड से लगातार कासे्कड रेसडएशन सनचले-स्तर

    के बादल ंके गठन में एक प्रमुख भूसमका सनभाता है। सनचले स्तर के बादल सूयत से आने वाले रेसडएशन क दशातते हैं

    सजससे पृथ्वी पर सूयत से आने वाली गमी ब्रह्मांड में वापस आ जाती है।

    वैज्ञासनक ंने पाया सक 1925 से सूयत की गसतसवसध लगातार बढ़ गई है सजसके कारण पृथ्वी पर आने वाली कासे्कड

    रेसडएशन लगभग 9 प्रसतशत कम ह गया है। इससे सूयत के आने वाले रेसडएशन क र कने के सलए पृथ्वी पर बनने

    वाले सनम्न-स्तर वाले सवशेि प्रकार के बादल ंके गठन में कमी आई है।

    II. मानवीय कारण

    ग्रीन हाउस प्रभाव

    पृथ्वी द्वारा सूयत से ऊजात ग्रहण की जाती है सजसके चलते धरती की सतह गमत ह जाती है। जब ये ऊजात वातावरण से

    ह कर गुज़रती है, त कुछ मात्रा में, लगभग 30 प्रसतशत ऊजात वातावरण में ही रह जाती है। इस ऊजात का कुछ भाग

    धरती की सतह तथा समुद्र के ज़ररये परावसततत ह कर पुनः वातावरण में चला जाता है। वातावरण की कुछ गैस ंद्वारा

    पूरी पृथ्वी पर एक परत सी बना ली जाती है व वे इस ऊजात का कुछ भाग भी स ख लेते हैं। इन गैस ंमें शासमल ह ती

    है काबतन डाईऑक्साइड, समथेन, नाइटर स ऑक्साइड व जल कण, ज वातावरण के 1 प्रसतशत से भी कम भाग में ह ते

    है। इन गैस ंक ग्रीन हाउस गैसें भी कहते हैं। सजस प्रकार से हरे रंग का कांच ऊष्मा क अन्दर आने से र कता है,

    कुछ इसी प्रकार से ये गैसें, पृथ्वी के ऊपर एक परत बनाकर असधक ऊष्मा से इसकी रक्षा करती है। इसी कारण

    इसे ग्रीन हाउस प्रभाव कहा जाता है।

    हम ग्रीन हाउस गैस ंमें सकस प्रकार अपना य गदान देते हैं?

    • क यला, पेटर ल आसद जीवाष्म ईंधन का उपय ग कर

    • असधक ज़मीन की चाहत में हम पेड़ ंक काटकर

    • अपघसटत न ह सकने वाले समान अथातत प्लास्िक का असधकासधक उपय ग कर

    • खेती में उवतरक व कीटनाशक ंका असधकासधक प्रय ग कर

  • • प्रौद्योतगकी और पररवहन के्षत्र में क्ांतर्कारी बदलाव

    पयातवरण के नुकसान के मामले में कीमती य गदान के रूप में प्रौद्य सगकी और वाहन ंका अंधाधंुध उपय ग है। ऊजात

    के बढ़ते उपय ग के साथ गमी बढ़ रही है। यह अनुमान लगाया जा रहा है सक सर्लामेंट बल्ब ज रात में जलते हैं

    एक से असधक सडग्री सेस्ियस से पूरे वातावरण का तापमान बढ़ा देते हैं।

    कार, बस और टर क ज्यादातर शहर ंमें ल ग ंके पररवहन के मुख्य साधन हैं। वे मुख्य रूप से पेटर ल या डीजल पर

    काम करते हैं ज सक जीवाश्म ईंधन हैं। यह माना जाता है सक वाहन ंमें स्थासपत डीजल / पेटर ल इंजन के कारण

    दुसनया के काबतन डाइऑक्साइड का 20 प्रसतशत उत्ससजतत ह ता है।

    • प्लास्टिक / पॉतलथीन का अंधाधंुध उपयोग

    हम प्लास्िक के रूप में बड़ी मात्रा में कचरे का उत्पादन करते हैं ज पयातवरण में विों से मौजूद है और इसे

    नुकसान पहंुचाता है। व्यापक रूप से इसे्तमाल सकए गए पॉलीथीन हवा क जहरीला बना रही है, इसके अलावा पृथ्वी

    की उवतर शस्ि क भी नष्ट कर रही है।

    इसके अलावा इस संकट का सबसे बड़ा कारण सभ्यता, सवकास और औद्य सगकरण के सलए क यले और पेटर सलयम

    पदाथों जैसे र्ाससल फू्यएि का अंधाधंुध उपय ग है ।

    o जनसंख्या वृस्द्ध : पयातवरण के क्षरण का प्राथसमक कारण जनसंख्या का तीव्र सवकास है, ज प्राकृसतक संसाधन ंऔर

    पयातवरण क प्रसतकूल रूप से प्रभासवत करता है। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या और पयातवरण में सगरावट सतत

    सवकास की चुनौती प्रसु्तत कर देती है।

    o जल क बेसहसाब उपय ग

    o वन ंकी अंधाधंुध कटाई

    o वायुमंडल का सुरक्षा कवच ओज न परत मे क्षरण ज सूयत के खतरनाक रेसडएशन क र कता है, उसका खतरे में

    पड़ना,

    o जीव-जंतु का लगातार कम ह ना

    o अनुकूल प्राकृसतक संसाधन ंका अस्स्तत्व या अभाव

    o भूसम पर भरी दबाव : तीन मूलभूत जनसांस्ख्यकीय कारक, जन्म (जन्मदर), मृतु्य (मृतु्यदर) तथा ल ग ंका प्रवासन

    (प्रवासन) व अप्रवासन (जब ल ग सकसी दूसरे देश में जाकर रहने लगते हैं त वहां की जनसंख्या बढ़ जाती है),

    जनसंख्या की वृस्द्ध, संय जन तथा सवतरण क प्रभासवत करते हैं तथा इसके कारण तथा प्रभाव से समं्बसधत महत्वपूणत

    प्रश्न प्रसु्तत करते हैं। जनसंख्या में वृस्द्ध और आसथतक सवकास भारत में कई गंभीर पयातवरणीय आपदाओ ंमें य गदान

    दे रहे हैं। इनसे भूसम पर भारी दबाव, भूसम क्षरण, वन, सनवास का सवनाश और जैव सवसवधता के नुकसान पैदा ह ते हैं।

    o प्रदूिण : उपभ ग के बदलते स्वरुप ने ऊजात की बढ़ती मांग क पे्रररत सकया है। इसका अंसतम पररणाम सभी रूप ं

    का प्रदूिण है यथा वायु प्रदूिण, ग्ल बल वासमिंग, जलवायु पररवततन, पानी की कमी और जल प्रदूिण के रूप में ह ता

    है।

    जलवायु पररवर्तन से संबस्टिर् समस्याएँ

    भारत की पयातवरणीय समस्याओ ंमें सवसभन्न प्राकृसतक खतरे , सवशेि रूप से चक्रवात और वासितक मानसून बाढ़ ,

    जनसंख्या वृस्द्ध , बढ़ती हुई व्यस्िगत खपत , औद्य गीकरण, ढांचागत सवकास, घसटया कृसि पद्धसतयां और संसाधन ं

    का असमान सवतरण हैं और इनके कारण भारत के प्राकृसतक वातावरण में अत्यसधक मानवीय पररवततन ह रहा है।

  • एक अनुमान के अनुसार खेती य ग्य भूसम का 60% भूसम कटाव, जलभराव और लवणता से ग्रस्त है। यह भी अनुमान

    है सक समट्टी की ऊपरी परत में से प्रसतवित 4.7 से 12 अरब टन समट्टी कटाव के कारण ख रही है। देश भर के वन ंके

    लगभग आधे मध्य प्रदेश (20.7%) और पूवोत्तर के सात प्रदेश ं(25.7%) में पाए जाते हैं ; इनमें से पूवोत्तर राज्य ंके

    वन तेजी से नष्ट ह रहे हैं। वन ंकी कटाई ईंधन के सलए लकड़ी और कृसि भूसम के सवस्तार के सलए ह रही है। यह

    प्रचलन औद्य सगक और म टर वाहन प्रदूिण के साथ समल कर वातावरण का तापमान बढ़ा देता है सजसकी वजह से

    वितण का स्वरुप बदल जाता है और अकाल की आवृसत्त बढ़ जाती है।

    ज्यादातर पयातवरणीय समस्याएँ पयातवरणीय अवनयन और मानव जनसंख्या और मानव द्वारा संसाधन ंके उपभ ग में

    वृस्द्ध से जुड़ी हैं। पयातवरणीय अवनयन के अंतगतत पयातवरण में ह ने वाले वे सारे पररवततन आते हैं ज अवांछनीय

    हैं[14] और सकसी के्षत्र सवशेि में या पूरी पृथ्वी पर जीवन और संधारणीयता क खतरा उत्पन्न करते हैं। अतः इसके

    अंतगतत प्रदूिण, जलवायु पररवततन, जैव सवसवधता का क्षरण और अन्य प्राकृसतक आपदाएंइत्यासद शासमल की जाती

    हैं। पयातवरणीय अवनयन के साथ समलकर जनसंख्या में चरघातांकी दर से ह रही वृस्द्ध तथा मानव द्वारा उपभ ग के

    बदलते प्रसतरूप लगभग सारी पयातवरणीय समस्याओ ंके मूल कारण हैं।

    प्रमुख पयातवरणीय समस्याओ ंमें वन और कृसि-भूसमक्षरण , संसाधन ररिीकरण (पानी , खसनज, वन, रेत, पत्थर

    आसद), पयातवरण क्षरण, सावतजसनक स्वास्थ्य, जैव सवसवधता में कमी , पाररस्स्थसतकी प्रणासलय ंमें लचीलेपन की कमी ,

    गरीब ंके सलए आजीसवका सुरक्षा शासमल हैं।

    भारत में पयातवरण ऺानून पयातवरण (रक्षा) असधसनयम 1986 से सनयसमत ह ता है ज एक व्यासपक सवधान है। इसकी

    रूप रेखा केन्द्रीूूय सरकार के सवसभन््न केन्द्रीसूय और राज्यव प्रासधकरण ंके सक्रयाकलाप ंके समन्रपयन के सलए

    तैयार सकया गया है सजनकी स्थारपना सपछले कानून ंके तहत की गई है जैसा सक जल असधसनयम और वायु

    असधसनयम। एक राष्टर ीय हररत प्रासधकरण का भी गठन सकया गया है।

    भारर् में जलवायु पररवर्तन से संबस्टिर् संवैधातनक प्रावधान

    भारतीय संसवधान की उदे्दसशका के यद्यसप प्रत्यक्ष रूप से पयातवरण के बारे में कुछ भी नही ंकहा गया है तथासपत

    सजस समाजवादी राज्य की पररकल्पना की गई है वह तभी सम्भव है जब सभी का जीवन स्तर ऊंचा ह । यह सत्य है

    सक सभी का जीवन स्तर केवल स्वच्छ पयातवरण अथातत प्रदूिण रसहत पयातवरण में ही सम्भव है। मूलासधकार ंमें

    प्रत्यक्ष रूप से पयातवरण के बारे में क ई प्रावधान नही ंहै लेसकन कुछ मूलासधकार ंमें पयातवरण क अप्रत्यक्ष रूप से

    समासहत सकया गया है। 42वें संसवधान संश धन के पूवत भारतीय संसवधान में अनुचे्छद 47 एक मात्र ऐसा अनुचे्छद था,

    ज पयातवरण के बारे में प्रसवधान करता था।

    अनुचे्छद 47 के अनुसार

    राज्य अपने स्तर क प िाहार और जीवन स्तर क ऊंचा करने और ल क स्वास्थ्य के सुधार क अपने प्राथसमक

    कततव्य ंमें मानेगा और राज्य सवसशष्टता, मादक पेय ंऔर स्वास्थ्य के सलए हासनकर औिसधय ंके औिधीय प्रय जन ंसे

    सभन्न, उपय ग का प्रसतिद करने का प्रयास करेगा। पयातवरण संरक्षण तथा सुधार के सलए भारतीय संसवधान में 1976

    में 42वें संसवधान संश धन द्वारा अनुचे्छद 48-क से ज ड़ा गया ज सनम्न उपबंध करता है।

    "राज्य देश के पयातवरण के संरक्षण तथा उसमें संवद्धन और वन तथा वन्य जीव ंकी रक्षा के सलए प्रयास करेंगा।"

    42वें संसवधान संश धन असधसनयम, 1976 द्वारा संसवधान में एक नया भाग 4-क भी ज ड़ा गया। इस भाग के अनुचे्छद

    51-क में नागररक ंके 10 मूल कततव्य ंका समासवष्ट सकया गया है। अनुचे्छद 51- क खण्ड (छ) स्पष्ट रूप से

    पयातवरण संरक्षण का उपबन्ध करता है। इसके अनुसार -

  • "भारत के प्रते्यक नागररक का यह कततव्य ह गा सक वह प्राकृसतक पयातवरण की, सजसके अन्तगतत वन, नदी ओर वन्य

    जीव हैं, रक्षा और उसका संवधतन करें तथा प्रासण मात्र के प्रसत दया भाव रखे।"

    भारतीय दण्ड संसहता की सवसभन्न धाराएं , यथा 268, 269,272, 277, 278, 284, 290 तथा 426 में प्रदूिण के सलए

    दण्डात्मक प्रावधान सकये गये हैं। इसी प्रकार भारतीय दण्ड प्रसक्रया संसहता की धारा 133 में प्रदूिण क र कने के

    व्यापक प्रावधान है। इस्ण्डयन र्ॉरेि एक्ट, 1927 के तहत वन ंकी सुरक्षा के सलए प्रभावी सनयम बनाये गये हैं। इस

    असधसनयम में वन ंक तीन वगो में रखा गया है -

    1. आरसक्षत वन

    2. सुरसक्षत वन

    3. पंचायती वन

    इसी पररपे्रक्ष्य मे वन्य जीव संरक्षण असधसनयम, 1972 में जीव ंके संरक्षण संबंधी प्रावधान सकये गये हैं।

    भारर् पर जलवायु पररवर्तन का प्रभाव

    • हमारे देश के सलए जहां असधकांश आबादी गरीब है और लगभग आधे बचे्च कुप सित हैं, खाद्य सुरक्षा सुसनसित

    करना खासा अहम है।

    • जहां खाने की उपलब्धता प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से पररवार/व्यस्िगत आय से प्रभासवत ह ती है, वही ंखाद्य का

    इसे्तमाल पेयजल की उपलब्धता में कमी से सबगड़ जाता है और इसका स्वास्थ्य पर सवपरीत असर पड़ता है।

    • भारत पर वैसश्वक तापमान में बढ़ त्तरी की मार पड़ने की संभावना है, सजससे 1.2 अरब ल ग प्रभासवत ह रहे हैं। ये

    ल ग सवशेिकर बाढ़/चक्रवात/सूखा प्रभासवत के्षत्र ंके हैं।

    • जलवायु पररवततन ‘भूख के ज स्खम क कई गुना बढ़ाने’ के सलहाज से अहम है, सजससे खाद्य/प िण सुरक्षा के सभी

    अंग प्रभासवत ह सकते हैं सजसमें खाद्य की उपलब्धता, पहंुच, इसे्तमाल और स्थासयत्व शासमल हैं।

    जलवायु पररवर्तन से संबस्टिर् संरक्षण की नीतर् / उपाय

    जलवायु पररवर्तन पर राष्ट्र ीय कायतयोजना

    जलवायु पररवततन पर राष्टर ीय कायत य जना (NAPCC) क औपचाररक रूप से 30 जून 2008 क लागू सकया गया। यह

    उन साधन ंकी पहचान करता है ज सवकास के लक्ष्य क प्र त्सासहत करते हैं, साथ ही, जलवायु पररवततन पर सवमशत

    के लाभ ंक प्रभावशाली रूप से प्रसु्तत करता है। राष्टर ीय कायत य जना के क र के रूप में आठ राष्टर ीय समशन हैं। वे

    जलवायु पररवततन, अनुकूलन तथा नू्यनीकरण, ऊजात दक्षता एवं प्रकृसतक संसाधन संरक्षण की समझ क बढावा देने

    पर कें सद्रत हैं।

    आठ तमशन हैं:

    • राष्ट्र ीय सौर तमशन : जलवायु पररवततन पर राष्टर ीय कायत य जना के अंतगतत राष्टर ीय सौर समशन क अतं्यत महत्त्वपूणत

    माना गया है। इस समशन का उदे्दश्य देश में कुल ऊजात उत्पादन में सौर ऊजात के अंश के साथ अन्य नवीकरणीय

    साधन ंकी संभावना क भी बढ़ाना है। यह समशन श ध एवं सवकास कायतक्रम क आरंभ करने की भी माँग करता है

    ज अंतरराष्टर ीय सहय ग क साथ लेकर असधक लागत-प्रभावी, सुस्स्थर एवं सुसवधाजनक सौर ऊजात तंत्र ंकी संभावना

    की तलाश करता है। जलवायु पररवततन पर राष्टर ीय कायत य जना ने वित 2017 तक एकीकृत साधन ंसे 1000

    मेगावाट/वित र् ट व ले्टइक उत्पादन का लक्ष्य रखा है। साथ ही , 1000 मेगावाट की संकें सद्रत सौर ऊजात उत्पादन

    क्षमता प्राप्त करने का भी लक्ष्य है।

  • तवकतसर् ऊजात दक्षर्ा के तलए राष्ट्र ीय तमशन : भारत सरकार ने ऊजात दक्षता क बढ़ावा देने हेतु पहले से

    ही कई उपाय ंक अपनाया है। इनके असतररि जलवायु पररवततन पर राष्टर ीय कायत-य जना के उदे्दश्य ंमें शासमल हैं:

    • बड़े पैमाने पर उजात का उपभोग करने वाले उद्य ग ंमें ऊजात कटौती की समतव्यसयता क वैधासनक बनाना एवं

    बाजार आधाररत संरचना के साथ असधक ऊजात की बचत क प्रमासणत करने हेतु एक ढाँचा तैयार करना तासक इस

    बचत से व्यावसासयक लाभ सलया जा सके।

    • कुछ के्षत्र ंमें ऊजात-दक्ष उपकरण /ंउत्पाद ंक वहनय ग्य बनाने हेतु नवीन उपाय ंक अपनाना।

    • सवत्तीय आवश्यकताओ ंकी पूसतत हेतु एक तंत्र का सनमातण तथा भसवष्य में ह ने वाली ऊजात बचत ंके द हन हेतु

    कायतक्रम ंका सनमातण और इसके सलए सरकारी-सनजी भागीदारी की व्यवस्था करना।

    • ऊजात दक्षता बढ़ाने हेतु ऊजात-दक्ष प्रमासणत उपकरण ंपर सवभेदीकृत करार पण ससहत कर ंमें छूट जैसे सवत्तीय

    उपाय ंक सवकससत करना।

    • सुस्टथथर तनवास पर राष्ट्र ीय तमशन : इस समशन का लक्ष्य सनवास क असधक सुस्स्थर बनाना है। इसके सलए तीन

    सूत्री असभगम पर ज र सदया गया है:

    • आवासीय एवं व्यावसासयक के्षत्रक ंके भवन ंमें ऊजात दक्षता क बढ़ावा देना।

    • शहरी ठ स अपसशष्ट पदाथों का प्रबंधन,

    • शहरी सावतजसनक पररवहन क बढ़ावा देना।

    • राष्ट्र ीय जल तमशन : राष्टर ीय जल समशन का लक्ष्य जल संरक्षण, जल की बबातदी कम करना तथा एकीकृत जल

    संसाधन प्रबंधन के द्वारा जल का असधक न्याय सचत सवतरण करना है। राष्टर ीय जल समशन, जल के उपय ग में 20%

    तक दक्षता बढ़ाने हेतु एक ढाँचा का सनमातण करेगा। यह विातजल एवं नदी प्रवाह की सविमता से सनबटने हेतु सतही

    एवं भूगभीय जल के भंडारण, विातजल संचयन तथा स्रंकलर अथवा सडर प ससंचाई जैसी असधक दक्ष ससंचाई व्यवस्था

    की ससर्ाररश करता है।

    सुस्टथथर तहमालयी पाररस्टथथतर्क रं्त्र हेरु् राष्ट्र ीय तमशन : इस कायतक्रम में शासमल है- स्थानीय समुदाय,

    सवशेिकर पंचायत ंका पाररस्स्थसतक संसाधन ंके प्रबंधन हेतु सशिीकरण करना। यह राष्टर ीय पयातवरण नीसत, 2006

    में वसणतत सनम्नसलस्खत उपाय ंकी पुसष्ट करता है:

    • पवततीय पाररस्स्थकीतंत्र के सुस्स्थर सवकास हेतु भूसम उपय ग की उसचत य जना एवं जल-छाजन प्रबंधन नीसत क

    अपनाना

    • संवेदनशील पाररस्स्थकी तंत्र क नुकसान से बचाने एवं भू-दृश्य ंके संरक्षण हेतु आधारभूत संरचना के सनमातण की

    सवोत्तम नीसत अपनाना

    • जैव कृसि क बढ़ावा देकर र्सल ंकी पारंपररक सकस् ंकी खेती एवं बागवानी क प्र त्सासहत करना तासक सकसान

    मूल्य प्रीसमयम का लाभ प्राप्त कर सकें

    • स्थानीय समुदाय ंक आजीसवका के बेहतर साधन उपलब्ध ह सकें इस हेतु सुस्स्थर पयतटन क बढ़ावा देने हेतु

    उसचत नीसतय ंका सनमातण एवं बहुल-भागीदारी क सुसनसित करना

    • पवततीय के्षत्र ंमें पयतटक ंके आवागमन क सनयंसत्रत करने के उपाय ंपर बल देना तासक पवततीय पाररस्स्थसतकी तंत्र

    की वहन क्षमता प्रभासवत न ह ं

    • सवसशष्ट ‚अतुलनीय मूल्य ‛ं के साथ कुछ पवततीय के्षत्र ंके सलए सुरक्षात्मक रणनीसत का सवकास करना।

  • • हररर् भारर् हेरु् राष्ट्र ीय तमशन : इस समशन का लक्ष्य काबतन ससंक जैसे पाररस्स्थसतकीय सेवाओ ंक बढ़ावा देना।

    यह 60 लाख हेके्टयर भूसम में वनर पण के सलए प्रधानमंत्री का हररत भारत असभयान का सहस्सा है तासक देश में वन

    आवरण क 23% से बढ़ाकर 33% करना है। इसका कायातन्रयन राज्य ंके वन सवभाग द्वारा संयुि वन प्रबंधन

    ससमसतय ंके माध्यम से ऊसर वन भूसम पर सकया जाना है। ये ससमसतयाँ समुदाय ंद्वारा सीधी कायतवाही क प्र त्सासहत

    करेंगी।

    • सुस्टथथर कृति हेरु् राष्ट्र ीय तमशन : इसका लक्ष्य र्सल ंकी नई सकस्, खासकर ज तापमान वृस्द्ध सहन कर सकें ,

    उसकी पहचान कर तथा वैकस्ल्पक र्सल स्वरूप द्वारा भारतीय कृसि क जलवायु पररवततन के प्रसत असधक लचीला

    बनाना है। इसे सकसान ंके पारंपररक ज्ञान तथा व्यावहाररक सवसधय ं , सूचना प्रौद्य सगकी एवं जैव तकनीकी के साथ-

    साथ नवीन ऋण तथा बीमा व्यवस्था द्वारा समसथतत सकया जाना है।

    • जलवायु पररवर्तन हेरु् रणनीतर्क ज्ञान पर राष्ट्र ीय तमशन : यह समशन , श ध तथा तकनीकी सवकास के सवसभन्न

    सक्रयासवसधय ंद्वारा सहभासगता हेतु वैसश्वक समुदाय के साथ कायत करने पर बल देता है। इसके असतररि , जलवायु

    पररवततन से संबंसधत समसपतत संस्थान ंएवं सवश्वसवद्यालय ंके नेटवकत तथा जलवायु-श ध क ि द्वारा समसथतत इसके

    स्वयं का श ध एजेंडा ह गा। यह समशन , अनुकूलन तथा नू्यनीकरण हेतु नवीन तकनीसकय ंके सवकास के सलए सनजी

    के्षत्र के उपक्रम ंक भी प्र त्सासहत करेगा।

    समशन के सक्रयान्रयन के क्रम मे इन 8 राष्टर ीय समशन क संबद्ध मंत्रालय ंद्वारा संस्थाकृत सकया जाना है तथा इसे

    अंतर-के्षत्रक समूह ंद्वारा संगसठत सकया जाएगा सजनमें संबद्ध मंत्रालय ंके अलावा शासमल हैं- सवत्त मंत्रालय , य जना

    आय ग, उद्य ग जगत एवं अकादसमय ंके सवशेिज्ञ तथा नागररक समाज।

    पेररस में COP 21: जलवायु न्याय की तदशा में कायत

    • भारत पेररस समझौते में अपने सहत ंतथा सवकासशील देश ंके सहत ंकी रक्षा करने में सक्षम हुआ।

    • पेररस समझौते ने एक स्वझर से जलवायु न्या य की असनवायतता क स्वीूाकार सकया और खुद क समानता एवं

    आम लेसकन सवभेदकारी सजमे्मवदाररय ंके ससद्धांत ंपर आधाररत सकया।

    • यह समझौता भारत एवं अन्यौ सवकासशील देश ंकी सवकास असनवायतताओ ंक स्वी कार करता है।

    • सरकार द्वारा स्थांसपत भारतीय पंडाल ने सवसभसन्न मंत्रालय ,ं राज्यी सरकार ,ं जलवायु पररवततन में राष्टर ी य कायत

    य जना के तहत समशन ,ं उद्य ग ,ं सससवल स साइसटय ,ं एनजीओ आसद द्वारा उठाये गये कदम ंक रेखांसकत सकया।

    प्रधानमंत्री ने भारतीय पंडाल का उद्घाटन सकया और भारत की संसृ्कासत एवं जलवायु अनुकूल सतत प्रचलन ंपर

    एक पुसे्तक ‘परंपरा’ का अनावरण सकया।

    • व्यापक एवं संतुसलत आईएनडीसी प्रसु्तकत की गई सजसमें अनुकूलन, लघुकरण, सवत्त की आवश्य कता,

    प्रौद्य सगकी हस्तांकतरण, क्षमता सनमातण शासमल हैं।

    • परंपराओ ंएवं संरक्षण तथा समतव्यएसयता के मूल्य ं पर आधाररत एक स्व,स्थर एवं जीने के एक सनवतहनीय मागत का

    और असधक प्रसतपादन करना।

    • एक जलवायु अनुकूल एवं स्व च्छ रास्ता ्अपनाना, बजाये इसके सक आसथतक सवकास के समान स्स्तर पर अनं्य ल ग ं

    द्वारा अपनाये जा रहे रास्त यं का अनुसरण करना।

    • उत्सवजतन सघनता क 2005 के स्तकर से कम करके 2030 तक जीडीपी के 33 से 35 प्रसतशत तक घटाना।

  • • हररत जलवायु क ि (जीसीएर्) समेत सनम्न। लागत अंतरातष्टर ी य सवत्त एवं प्रौद्य सगकी हस्तांरतरण की मदद से 2030

    तक गैर-जीवाश्मए ईंधन आधाररत ऊजात संसाधन ंसे लगभग 40 प्रसतशत संचयी सवद्युत ऊजात स्थाहसपत क्षमता क

    असजतत करना।

    • 2030 तक असतररि वन एवं वृक्ष आच्छातदन के जररये 2.5 से 3 अरब टन सीओ2 के अनुरूप एक असतररि

    काबतन ससंक का सजतन करना।

    • कृसि, जल संसाधन सहमालयी के्षत्र, तटीय के्षत्र, स्वा2स््य एवं आपदा प्रबंधन जैसे जलवायु पररवततन के प्रसत

    संवेदनशील के्षत्र ंमें सवकास कायतक्रम ंमें सनवेश बढ़ाने के जररये जलवायु पररवततन के प्रसत बेहतर अनुकूलन।

    • घरेलू एवं सवकससत देश ंसे नये एवं असतररिन क ि ंक जुटाना सजससे सक आवश्यकक संसाधन एवं संसाधन

    अंतराल क देखते हुए उपर िे लघुकरण एवं अनुकूलन य जनाओ ंक सक्रयास्न्रत सकया जा सके।

    • भारत में अत्यातधुसनक जलवायु पौद्य सगकी के त्वकररत सवस्तासूर के सलए क्षमता सनमातण, घरेलू संरचनाओ ंएवं

    अंतरातष्टर ी य ढांचे का सृजन करना और भसवष्यक की ऐसी प्रौद्य सगकी के सलए संयुि् सहय गपूणत अनुसंधान एवं

    सवकास का सनमातण करना।

    • साइंस एस्क्सपे्रस क्लासईमेट एक्शिन से्पीशल (एसईसीएएस) रेलगाड़ी क हरी झंडी सदखाई गई; जलवायु पररवततन

    सवज्ञान की समझ क बढ़ाने की दशा में यह य गदान देगी; यह रेलगाड़ी देश भर में लगभग 20 राज्य नं में 64 स्था न ं

    पर रुकेगी।

    2018 र्क पेररस जलवायु समझौर्ा लागू करने के आह्वान के साथ संपन्न हुआ माराकेश COP 22 समे्मलन

    म रक्क के माराकेश में आय सजत संयुि राष्टर जलवायु पररवततन प्रारूप समे्मलन क प 22 पेररस जलवायु समझौते

    क 2018 तक हर हाल में लागू करने के आह्वान के साथ आज यहां संपन्न ह गया। इसमें धरती के तामपान क बढ़ने

    से र कने के सलए सवातसधक राजनीसतक प्रसतबद्धता के साथ काम करने के प्रसत सभी देश ंने एक स्वर से अपनी

    सहमसत जताई।

    समे्मलन के आस्खरी सदन शसनवार क भारत समेत करीब 200 देश ंने वित 2018 तक पेररस जलवायु समझौते क

    लागू करने के सलए एक सवसृ्तत कायतय जना पाररत की। पेररस समझौते के तहत पूवत औद्य सगक काल के स्तर ंकी

    तुलना में ग्ल बल वॉसमिंग क द सडग्री सेस्ियस से कम और संभव ह त डेढ़ सडग्री सेस्ियस पर रखने की बात की

    गई है।द सप्ताह के लंबे सवचार सवमशत के बाद इस सशखर समे्मलन में इस बात पर ज र सदया गया सक क् ट

    प्र ट काल में सवकससत देश ंकी प्रसतबद्धताओ ंके अनुरूप उत्सजतन कम करने के सलए उनकी ओर से शीघ्र कदम

    उठाए जाएं।

    माराकेश बैठक में मुख्य रूप से पेररस जलवायु समझौते क लागू करने के प्रसक्रयागत मामल ंपर चचात की गई

    सजसमें भारत समेत कई देश ंने कुछ मसौदे क लेकर अपनी सचताएं भी व्यि की।ं पेररस समझौते क सपछले साल

    सदसंबर में अंसतम रूप सदया गया था और यह एक वित से भी कम समय में लागू ह गया। समे्मलन में भारत का

    प्रसतसनसधत्व कर रहे वन एंव पयातवरण मंत्री असनल माधव दवे ने कहा सक भारत का ज र इस बात पर रहा सक पेररस

    जलवायु समझौते के सक्रयान्रयन के सलए पयातप्त सवत्तीय संसाधन ंकी व्यवस्था की जाए और साथ ही प्राकृसतक

    संसाधन ंके न्यायसंगत इसे्तमाल वाली जीवन शैली अपनायी जाए।

    क्या है कॉप23

    कॉप23, 23वी ंक्रॉन्फें स ऑर् द पाटीज टू द यूनाइटेड नेशंस िेमवकत कनवेंशन ऑन क्लाइमेंट चेंज

    (यूएनएर्सीसीसी) का छ टा नाम है. यूएनएर्सीसीसी क साल 1992 में ररय अथत सस्म्मट के दौरान अपनाया गया

  • था. ररय समे्मलन क सवश्व समुदाय का जलवायु पररवततन की सदशा में उठाया गया पहला संयुि कदम माना जाता

    है.

    कॉप23 की अगुवायी सर्जी के द्वारा की गयी . सर्जी का उदे्दश्य पेररस समझौते के तहत कमज र समाज ंक

    जलवायु पररवततन से जुड़े कदम ंका सहस्सा बनाना है. सजसके सलए अध्यक्ष देश समावेशी और पारदशी दृसष्टक ण क

    अपना रहा है. साथ ही यह छ टा सवकासशील द्वीप अपने अनुभव भी साझा कर रहा है.

    ररय अथत ससमट क ररय कनवेंशन के नाम से भी जाना जाता है. इस कनवेंशन में यूनएर्सीसीसी ने वायुमंडल में

    ग्रीनहाउस गैस ंके स्तर में स्स्थरता लाने की सदशा में एक ढांचा तैयार सकया था. यूएनएर्सीसीसी क साल 1994 में

    लागू सकया गया था और अब दुसनया के तकरीबन 195 देश इसके सदस्य हैं.

    हर साल समझौते में शासमल पासटतयां या सदस्य देश कनवेंशन की प्रगसत का आकलन करती हैं . साथ ही चचात करती

    हैं सक कैसे असधक से असधक व्यापक ढंग से जलवायु पररवततन से सनपटा जाये. पहली कॉन्फ्िें स ऑर् पाटीज साल

    1995 में बसलतन में आय सजत की गयी थी. साल 1997 में क् ट प्र ट कॉल स्थासपत सकया गया, ज सवकससत देश ंपर

    उत्सजतन घटाने से जुड़ी कानूनी बाध्यतायें तय करता है.

    साल 2005 तक कॉप का छ टा नाम सीएमपी हुआ करता था. सीएमपी का अथत है, "कॉन्फ्िें स ऑर् द पाटीज ससविंग

    एज द मीसटंग ऑर् पाटीज टू द क् ट प्र ट कॉल". इसका मतलब है सक कॉप23 क सीएमपी13 भी कहा जा

    सकता है.

    COP-23 में इन मुद्ो ंपर हुई चचात

    इस सम्मलेन में सववाद के मुख्य सविय सवत्तीय सहायता, शमन कारतवाई, सवभेदीकरण, और नुकसान एवं क्षसत से

    संबंसधत थे।

    इस सम्मलेन में यह सवाल उठाया गया था सक उपलब्ध काबतन से्पस के बड़े सहसे्स पर कब्ज़ा कर चुके सवकससत देश

    क्ा गरीब और सवकासशील देश ंक सहायता दें गे?

    अमीर देश ंद्वारा ग्रीनहाउस गैस उत्सजतन क कम करने के सलये अब तक क्ा कारतवाई की गई है और क्ा क यले

    का उपय ग सीसमत नही ंसकया जाना चासहये?

    इस सम्मलेन में सहय गी देश ंद्वारा 'टलान आ वातात' के सलये एक र ड मैप लाया गया है ज जलवायु पररवततन के

    संदभत में सवसभन्न देश ंद्वारा सकये जा रहे प्रयास ंएवं इस संबंध में प्रगसत का आकलन करने के सलये एक विीय

    प्रसक्रया है।इसके तहत यह सहमसत व्यि की गई है सक वित 2018 और वित 2019 में ह ने वाले अगले द जलवायु

    समे्मलन ंमें सवशेि 'िॉक टेसकंग' सत्र ह गें।

    कोप 23 जलवायु बैठक में मर्भेद का तविय

    संयुि राष्टर जलवायु समे्मलन में ग्रीन हाउस गैस ंके उत्सजतन में कटौती के लक्ष्य ंसे जुड़े मुदे्द पर सवकससत

    तथा सवकासशील देश ंके प्रसतसनसधय ंमें एक बार सर्र से मतभेद देखा जा रहा है।

  • जमतनी के बॉन शहर में चल रहे क प 23 समे्मलन में प्रसतभागी 2020 से ग्ल बल वॉसमिंग से सनपटने वाले

    अंतरातष्टर ीय ढाँचे क लागू करने के सनयम ंपर चचात कर रहे हैं। इस ढाँचे क पेररस समझौते के नाम से जाना

    जाता है।

    सवकासशील देश ंके प्रसतसनसध उत्सजतन में कटौती के लक्ष्य ंकी पुसष्ट की मांग कर रहे हैं।

    भारत और चीन के प्रसतभागी चाहते हैं सक औद्य सगक देश अपनी उपलस्ब्धय ंके साथ साथ अपनी

    कमज़ ररय ंके बारे में भी घ िणा करें ।

    दूसरी तरफ़ सवकससत देश ंका कहना है सक पुसष्ट की क ई ज़रूरत नही ंहै।

    यूर पीय संघ के प्रसतसनसध मंडल ने एक संवाददाता समे्मलन में कहा सक पूणत बैठक में इस मुदे्द पर बातचीत

    का समय नही ंहै।

    जापान के मुख्य वातातकार तामासक तु्सकादा ने एनएचके क बताया सक पूणत बैठक में सकसी ऐसे मुदे्द पर

    बातचीत की क ई ज़रूरत नही ंहै सजससे पहले सनपटा जा चुका है। उन् नें पुसष्ट के अनुर ध ंक बेतुका

    बताया।

    भारर् द्वारा अपनाए जाने वाले कुछ अन्य पहल

    •अंतरातष्टर ीय जैव सवसवधता सदवस देश भर में 22 मई, 2015 क मनाया गया। इस वित की सविय वसु्ति थी ‘ठ स

    सवकास के सलए जैव सवसवधता’। जमू्मभ-कश्मीर के श्रीनगर में आय सजत मुख्या समार ह में जैव सवसवधता सवत्त पहल

    (बाय सर्न) पर एक पररय जना की शुरुआत की गई।

    • ओखला पक्षी अभ्या रणं्य के ईद-सगतद पाररस्स्थसतकी संवेदनशील के्षत्र (ईएसजेड) घ सित करने के सलए अंसतम

    असधसूचना भारत सरकार द्वारा 19 अगस्तह, 2015 क जारी की जा चुकी है सजससे न एडा एवं गे्रटर न एडा के्षत्र में

    रहने वाले लाख ंमकान मासलक ंक राहत समली है।

    • मंत्रालय ने जैवकीय सवसवधता के नुकसान तथा पाररस्स्थसतकी प्रणाली सेवाओ ंमें संबंसधत सगरावट के आसथतक

    दुषं्पररणाम ंक रेखांसकत करने के सलए पाररस्स्थसतकी प्रणाली एवं जैव सवसवधता टीइतईबी-इंसडया पहल (टीआईआई)

    का शुभारम्भन सकया है। भारत के प्राणी सवज्ञानी सवे के शताब्दीआ वित क सचस्न् त करने के सलए एक स्ाईरडक

    डाक सटकट जारी सकया गया है।

    • मंत्रालय ने 17 जून, 2015 क बंजरीकरण से सनपटने के सलए सवश्वा सदवस का आय जन सकया।

    • पयातवरण, वन एवं जलवायु पररवततन मंत्रालय ने यूनेस्क के साथ समलकर देहरादून में स्स्थत भारत वन्य जीवन

    संस्थाणन (डबू्यवाय आईआई) में एक यूनेस्क वगत 2 केन्द्रय के रूप में एसशया एवं प्रशांत के्षत्र के सलए एक सवश्वस

    प्राकृसतक धर हर प्रबंधन एवं प्रसशक्षण केन्द्र की स्थायपना की है।

    • बेंगलुरु, भ पाल एवं गुवाहाटी में युवा असधकाररय ंके सलये ‘सचंतन सशसवर’ का आय जन सकया गया सजससे सक

    पयातवरण, वन एवं जलवायु पररवततन मंत्रालय एवं वन, प्रदूिण ब डों एवं संबंसधत सवभाग ंके वैज्ञासनक ंक

    अंत:सनरीक्षण करने एवं मंत्रालय से संबंसधत सवसभन्न पहलुओ ंपर चचात करने में सक्षम बनाया जा सके।

    पयातवरण संरक्षण जलवायु पररवर्तन के तलए भारर् का रोडमैप

    िांस की राजधानी पेररस में चल रहे जलवायु पररवततन समे्मलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र म दी द्वारा काही गयी

    कुछ प्रमुख बातें

  • कुछ अहम बार्ो ंपर एक नज़र.

    o म दी ने कहा सक, "हमें काबतन का उत्सजतन कम करना ह गा, 2030 तक भारत की य जना 30-35 र्ीसदी कम

    काबतन उत्सजतन की है.

    o पयातवरण संतुलन पर भारत गंभीर है. इसके सलए ग्ल बल पाटतनरसशप ज़रूरी है.

    o क्लीन एनजी के सलए प्रयास, भारत की जरूरत पूरी करनी है. 2022 तक 175GW एनजी का लक्ष्य है.

    o वैसश्वक स्तर पर इस ओर र्ौरन कारतवाई करने की क सशश की जानी चासहए.

    o प्रदूिण कम करने के सलए भारत 2030 तक 40 र्ीसदी सबजली गैर जीवाश्म ईंधन के जररए पैदा करेगा.

    o दुसनयाभर में प्रकृसत की रक्षा करना, नवीकरणीय ऊजात, स लर एनजी, दुसनया के सभी देश प्रकृसत के अनुरूप चलने

    का काम कर रहे हैं.

    इधर कुछ समय से पयातवरण बचाने क लेकर चल रहे अंतरराष्टर ीय असभयान ंमें भारत की भूसमका बेहद अहम ह

    गई है। अपनी जवाबदेही क भारत ने समझा है इससलए उसने अपना स्थासपत रुख बदलते हुए बाकी देश ंके साथ

    सहय ग की नीसत अपनाई है।

    पृथ्वी को बचाने के तलए भारर् की पहल

    संयुि राष्टर 22 अपै्रल क एक सवशेि सदवस के रूप में पृथ्वी मातृ सदवस मनाता है। 1970 में 10000 ल ग ंके साथ

    प्रारंभ सकये गये इस सदवस क आज 192 देश ंके एक अरब ल ग मनाते हैं। इसका बुसनयादी उदे्दश्य पृथ्वी की रक्षा

    और भसवष्य में पीसढ़य ंके साथ अपने संसाधन ंक साझा करने के सलए मनुष्य ंक उनके दासयत्व के बारे में

    जागरूक बनाना है।

    2017 के सविय "पयातवरण और जलवायु साक्षरता" का उदे्दश्य पृथ्वी माँ की रक्षा के सलए आम ल ग ंमें इस मुदे्द के

    प्रसत जानकारी क और सशि बनाया और उन्ें पे्रररत करना है।

    आईपीसीसी (जलवायु पररवततन पर अंतरातष्टर ीय पैनल) के मुतासबक भारत जलवायु पररवततन के प्रभाव के मामले में

    सबसे कमज र है ज स्वास्थ्य, आसथतक सवकास और खाद्य सुरक्षा पर प्रसतकूल प्रभाव डालता है।

    जलवायु पररवततन की इस चुनौती के समाधान के सलए भारत ने 'राष्टर ीय स्तर पर सनधातररत अंशदान (आईएनडीसी):

    जलवायु न्याय की सदशा में कायत करने ' के उदे्दश्य से एक व्यापक य जना सवकससत की है। इस दस्तावेज़ में इस मुदे्द

    के समाधान के सलए समग्र रूप से अनुकूलता के घटक , शमन, सवत्त, हररत प्रौद्य सगकी और क्षमता सनमातण क

    शासमल सकया गया है। इन लक्ष्य ं के सक्रयान्रयन के दौरान , सवकासशील देश ंके सलए स्थायी सवकास और गरीबी

    उनू्मलन क प्राप्त करने के असधकार के सलये न्याय सचत काबतन उपय ग का भी आहवान सकया गया है।

    2030 तक 33 से 35 प्रसतशत तक काबतन उत्सजतन कम करने के लक्ष्य क हाससल करने के सलए कई पहल ंके

    माध्यम से अक्षय ऊजात हेतु 3500 समसलयन या 56 समसलयन अमरीकी डॉलर से 'राष्टर ीय अनुकूलन क ि' के गठन से

    नीसतय ंकी पहल की जायेगी।

    इसका मुख्य केन्द्र सबन्फ्दुक वायु , स्वास्थ्य, जल और सतत कृसि की पुनः पररकल्पसना के असतररि असभयान के

    साथ जलवायु पररवततन पर राष्टर ीय कायतवाही (एनएपीसीसी) के अतंगतत राष्टर ीय असभयान ंक सर्र से प्रारंभ करना है।

    अनुकूलन रणनीसत का उपय ग भूसम और जल संसाधन के स्थायी उपय ग के सलए सकया जाता है। देश भर में मृदा

    स्वास्थ्य काडत के सक्रयान्रयन , जलश धन और जल कुशल ससंचाई कायतक्रम के उपय ग से ज स्खम रसहत कृसि की

    सदशा का मागत प्रशस्त ह गा। जलवायु पररवततन संबंधी आपदाओ ंसे सकसान ंक बचाने की सदशा में र्सल ंका कृसि

    बीमा एक और महत्वपूणत पहल है।

  • 2022 तक नवीकरणीय ऊजात क्षमता क 35 गीगावॉट (गीगा वाट) से 175 गीगावॉट तक बढ़ाने के द्वारा स्वच्छ और

    हररत ऊजात का सनमातण शमन रणनीसतय ंमें शासमल है। सौर ऊजात में पांच गुना वृस्द्ध के साथ इसे 1000गीगावॉट तक

    बढ़ाना के लक्ष्य के साथ राष्टर ीय सौर समशन के असतररि देश भर में सबजली पारेिण और सवतरण की दक्षता बढ़ाने

    के सलए स्ाटत पावर सग्रड क भी सवकससत करना है। 10 प्रसतशत ऊजात खपत क बचाने हेतु ऊजात की खपत क

    र कने के सलए ऊजात संरक्षण की सदशा में एक राष्टर व्यापी असभयान शुरू सकया गया है।

    हालांसक ये जलवायु पररवततन के मुदे्द के समाधान की सदशा में सूक्ष्म स्तर की नीसतयां हैं , लेसकन भारत सरकार ने

    ऐसी सूक्ष्म पररय जनाओ ंकी शुरुआत की है, ज न ससर्त ऊजात बचाने के सलए महत्वपूणत हैं बस्ि सबसे गरीब समूह ं

    के प्रत्यक्ष लाभ में भी य गदान कर रही हैं।

    नवीकरणीय ऊजात मंत्रालय के तहत , उजाला य जना का शुभारंभ सकया गया है सजसके अंततगत 22.66 कर ड़

    एलईडी बल्ब सवतररत सकए गए हैं इससे न ससर्त 11776 कर ड़ रुपये की बचत ह गी बस्ि यह प्रसतवित काबतन

    उत्सजतन में भी 24 मीसटर क टन की कमी लाएगी।

    इसी प्रकार से , बीपीएल काडत रखने वाली मसहलाओ ंक पेटर सलयम मुि एलपीजी कनेक्शन सदया जा रहा है।

    प्रधानमंत्री उज्ज्वला य जना पहले से ही 2 कर ड़ घर ंतक पहंुच चुकी है और इसे 2019 तक 8 कर ड़ रूपए के

    पररव्यय के साथ 5 कर ड़ घर ंतक पहंुचाने का लक्ष्य है।

    इसके उपय ग से ग्रामीण मसहलाओ ंपर सीधे प्रभाव पड़ता है , इससे स्वच्छ ऊजात स्र त तक न ससर्त आसान पहँुच

    प्रदान करता है बस्ि उनके स्वास्थ्य में सुधार ह ता है और इसके साथ-साथ वन संसाधन ंपर दबाव कम ह ने के

    अलावा काबतन उत्सजतन भी कम ह ता है।

    स्वच्छ भारत समशन की एक और रणनीसत शहरी के्षत्र ंमें अपसशष्ट से ऊजात पैदा करने की पहल भी है। इसी तरह

    देश भर में 816 सीवेज उपचार संयंत्र ंमें पुनतचक्रण के माध्यम से अपसशष्ट जल का पुन: उपय ग करके प्रसतसदन

    23,277 समसलयन लीटर पानी क स्वच्छ बनाना एक और पहल है।

    बंजर भूसम का पुनरुद्धार करके वन की गुणवत्ता क बढ़ाने तथा 5 समसलयन हेके्टयर भूसम क वन के्षत्र में बदलने के

    वासितक लक्ष्य के साथ हररत भारत समशन एक और पहल है सजससे प्रसतवित 100 समसलयन टन काबतन क कम सकया

    जाएगा।

    पारंपररक भारतीय संसृ्कसत ने मनुष्य और प्रकृसत के बीच सामंजस्यपूणत सह-अस्स्तत्व की आवश्यकता पर ज र सदया

    है। "वसुदेव कुटंबकम" की अवधारणा के साथ पृथ्वी पर सभी जीव रूप ंक एक पररवार माना जाता है और यह

    एक दूसरे पर सनभतरता की अवधारणा क मजबूत करता है। आधुसनक दुसनया में पृथ्वी मातृ सदवस के आगमन से

    पहले, वेद और उपसनिद ंने धरती क हमारी मां और मानव क बच्च ंके रूप में माना है। जलवायु पररवततन के

    संकट के आगमन से पहले , हमारे पूवतज ंने पयातवरणीय स्स्थरता की अवधारणा पर सवचार सकया और पृथ्वी क

    सुरसक्षत बनाने के सलए भसवष्य की पीसढ़य ंतक इसे पहँुचाने का कायत भी सकया।

    संयुि राष्टर समे्मलन क संब सधत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र म दी द्वारा सदए गए उस विव्य का स्रण करना

    उसचत ह गा, सजसमें उन् नें कहा सक , "हमें तकनीकी, नवीनता और सवत्त प िण के साथ सभी की पहंुच तक सस्ती ,

    स्वच्छ और अक्षय ऊजात हेतु एक वैसश्वक सावतजसनक साझेदारी बनानी चासहए। हमें अपनी जीवन शैली में समान रूप

    से बदलाव ंक देखना चासहए सजससे ऊजात पर हमारी सनभतरता कम की जा सके और हमारे उपभ ग असधक

    दीघतकालीन ह ।ं यह एक वैसश्वक सशक्षा कायतक्रम क प्रारंभ करने के समान ही महत्वपूणत है ज हमारी धरती मां के

    संरक्षण और इसकी रक्षा के सलए हमारी अगली पीढ़ी क तैयार करता है।"

    इस प्रकार से, यह पयातवरण और जलवायु साक्षरता के माध्यम से ही संभव है, सजसके पररणामस्वरूप जीवन शैली में

    पररवततन से वैसश्वक स्तर पर काबतन उत्सजतन में कमी लाकर हम पृथ्वी माँ क बचा सकते हैं।

    तनष्कित

  • वततमान समय मे जलवायु पररवततन न ससर्त भारत के सलए एक प्रलयकारी समस्या है वरन यह समू्पणत सवश्व के खतर ं

    से सम्बद्ध है । इस प्रकार जलवायु पररवततन में कमी लाना एक वैसश्वक मुद्दा है ; आजीसवक/खाद्य सुरक्षा सुसनसित

    करने के सलए उसचत अनुकूलन की रणनीसतय ंक लागू करना जरूरी है। भारत क अपनी बढ़ती आबादी के सलए

    खाद्य/गैर खाद्य जरूरत ंक पूरा करने के वासे्त अपने पयातवरण क बचाए रखने की जरूरत है। इसमें मृदा संरक्षण

    पर ज र देने, प्राकृसतक संसाधन ंका सही इसे्तमाल की जरूरत है , सजसमें बाररश के पानी से ससंचाई भी शासमल है।

    खाद्य/प िण सुरक्षा के सलए ल ग ंमें र्सल उत्पादन पर जलवायु पररवततन के नकारात्मक प्रभाव ंके प्रसत

    जागरूकता रै्लाना सबसे अहम समाधान है।