· गणेश के गज़णत हो, बनवारी बाँसुरी,...

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  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    1 / ओशो सहस्र अलंकार

    1ओशो चेतना-चचतेरे हो, मन के मदारी,हृदय के हकीम हो, तुम पे जान वारी।।

    2ध्ानी के धे्य हो, श्रद्ालु के श्रदे्य,साधक के साध् हो, तुम पे बचलहारी।

    3सपनांे के सत्य हो, सत्यो ं की साधना,साधनाओ ं की संबोधध, हैं शरण तुम्ारी।

    4पथिक की पे्रणा हो, ववज्ञ-ववधाता,भक्त के भगवान, हो जयकार तुम्ारी।

    5गृहस्थ के गंतव्य हो, वानप्स्थ के वरदान,तपस्ी के तीि्थ हो, ये ज़िदंगी तुम्ारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 2 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    6मवुन के मौन हो साध ु की धसथद्,ऋवि की ऋथद्, है संगत प्ारी।

    7मीरा के मरुारी हो, बुद्ो ं के बोध,वीर के वववेक, तुम्ी ं हररहर वबहारी।

    8संगीत के सरगम हो, उजाले के उद्गम,सुमन के सौरभ हो, चेतना-उज़जयारी।

    9गुरुओ ं के गुरू हो, सबके सदु्गरू,जीवन-जीवंतगुरू, तुम्हें प्णाम हमारी।

    10परमात्म-प्काश हो, आत्म के आकाश,सृवटि-सौदंय्थ हो, तुम्ारी छवव न्ारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    3 / ओशो सहस्र अलंकार

    11प्कृवत के प्ाण हो, अस्तित्व के आनंद,समाधध के सुकून हो, छूटी होज़शयारी।

    12मैं की मकु्क्त हो, तृष्ा की तृप्ति,प्ीवत की प्तीवत हो, अहं-मतृ्यकुारी।

    13शाश्वत की शावंत हो, सामाययकी-समय,अतंर के अमतृ हो, वनरंजनकारी।

    14प्ातः की प्ाि्थना हो, दोपहर की दौड़,संध्ा सफलता हो, जीवन-सँवारी।

    15मा ं की ममता हो, संत की क्षमता,के्षत्रज की क्षमता हो, पल्ल्वकारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 4 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    16नीर से वनम्थल हो, वाय ु से हो ववमल,कली से कोमल हो, स्भाव व्यवहारी।

    17पानी से पनीले हो, स्ण्थ से सुनहले,चादंी से चमकीले, हो सव्थगुणधारी।

    18धन् से धन् हो, ववशेि से ववशेि,महान से महान हो, पूण्थ परमपदवीधारी।

    19शून् से शून् हो, पूण्थ से पूण्थ,ब्रह्म के ब्रह्म हो, गुरू अवतारी।

    20मन-मनातीत हो, भाव-भावातीत,गुण-गुणातीत हो, परमवनराकारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    5 / ओशो सहस्र अलंकार

    21पररचय महें पे्म हो, संबंध महें साक्षी,वनवास महें वनजता हो, परमरूपधारी।

    22पे्म से पववत्र हो, सौरभ से स्तंत्र,रंग से रंगीन हो, बड़े प्भावकारी।

    23समय से सतत हो, बहाव से बहते,तट से तटस्थ हो, परम स्भावधारी ।

    24पर प्वतक्रमण हो, अपने अवतक्रमण,प्ाण प्वतप्सव, हो परमप्त्याहारी

    25संसार महें संसारी, संन्ास महें साध,ुसंतुलन महें संत हो, बड़े प्फुल्लकारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 6 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    26अक्ल महें अव्वल हो, परीक्षा महें प्िम,बल महें बचलष्ठ, हो ववजयकारी।

    27अमावस्ा-अधंकार हो, पूर्णमा प्काश,चंद्रमा के चल हो, प्भ-ुआज्ञाकारी।

    28परम के पत्र हो, परम के पैगम्बर,परम के पैगाम हो, परमअधधकारी।

    29कृवत के कता्थ हो, कला के कलाववद,सृजन के सज्थक हो, सत सृजनकारी।

    30धम्थ के धारक हो प्कृवत के पोिक,ऋृतु ऋृतुराज हो बड़े नामधारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    7 / ओशो सहस्र अलंकार

    31अटके की आशा हो, भटके के भरोसा,भलेू की ज़भज्ञा हो, परमपताधारी।

    32ववपक्ष से ववनम्र हो, वववाद से संवाद,ववरोधी से ववनोद, हो महतमवतधारी

    33संज्ञा के सव्थनाम हो, ववशेिण के ववशेि,कता्थ के कम्थ हो, परम अववकारी।

    34दृश्य के दश्थन हो, दृवटि के दृटिा,सब के साक्षी हो, परमपुजारी।

    35कपड़े महें कशीदा हो, किन महें कसीदा,उवाच महें उपमा, हो प्तीकधारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 8 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    36जीवन के जाबँाज हो मतृ्य ु के महाराज,जन्म के जागरण हो, परमहोशधारी।

    37कुसुम महें कमल हो, सुरवत महें सूरत,कंुडचलनी-कतूिरी, हो परम सुगंधकारी।

    38औकात महें अनंत हो, हैधसयत महें हतिी,प्वतष्ठा महें प्तापी हो, परमशक्क्तधारी।

    39पूजा की प्वतमा हो, अध््थ के आराध्,वंदना के वंदनीय, हो समाधधकारी।

    40भतू के भलेू हो, भववष्य भम्रनाशक,वत्थमान के वत्थक, हो क्षण आधारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    9 / ओशो सहस्र अलंकार

    41राम के रंगरेज हो, राम के रंगदार,राम के रंग, हो राम रंग कारोबारी।

    42ममट्ी से मरू्त हो, प्तिर से परमेश्वर,मानव से महात्मा, सुतिउठावनहारी।

    43कृत्य महें कल्ाण हो, सोचने महें सुजान,वाचा महें वागीश हो, सव्थ कल्ाणकारी।

    44चकोर के चादं हो, सूय्थमखुी के सूय्थ,पवतत के पावन, हो उद्ारकारी।

    45मखमल से मलुायम हो, संगीत से सुरीले,मध ु से मीठे हो, मधरु गुणकारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 10 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    46आफताब से ओजस्ी, तारो ं से तेजस्ी,शीताशंु से शीतल हो, सदा उपकारी।

    47

    मोह की मौत हो, कामना के काल,अहंकार के अतं हो, सव्थक्षषुधाहारी।

    48दे्ि के दषुश्मन हो, मद के मसुीबत,मत्सर के महाकाल, असत ववधं्सकारी।

    49हहसंा के हंता हो, लोभ के लड़ाकू,खदुी के खात्मा हो, ररपुदमनकारी।

    50परम के परदे हो, ददव्य के दर,असर की ओट, हो परमदरबारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    11 / ओशो सहस्र अलंकार

    51खाचलक की खबर हो, सत की सूचना,सदानंद के संदेश हो, अतंरमौनधारी।

    52पे्म की पाठशाला, हो पे्म की पुतिक,पे्म के पाठ, हो पे्म प्योगकारी।

    53महुए की मद्य हो, अगूंर के आसव,ईश्वर की ईख हो, सोमरसधारी।

    54अलख के अखबार हो, ददव्य-दूरदश्थन,ईश के इंटरनेट हो, शुभसमाचारधारी।

    55असीम के अजु्थन हो, एक के एकलव्य,कण्थधार के कण्थ, परमसंधानकारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 12 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    56संन्ासी के सारिी, साध ु के सदु्गरू,आम के आचाय्थ हो, पारलगावनहारी।

    57कुदरत के कररशे्म, प्ारब्ध के प्ारंभ,भाग्य के भगवान हो, भाग जगावनहारी।

    58पुर के पुरुि हो, प्ज्ञा के प्हरी,मन के महाराज हो, जगु जगतधारी।

    59ववद्या महें ववज्ञान, हो ववधध महें ववद्रोह,ववमश्थ महें वववेक हो, परमववद्याधारी।

    60परमवपता के पया्थय, शब्द के शब्दकोश,सृटिा के समानािथी, हो वनर्वकारी।

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    13 / ओशो सहस्र अलंकार

    61कलम महें कम्थ हो, स्ाही महें स्यं,अध्यन महें अवधान, हो परमअध्यनकारी।

    62अि्थ के अि्थवेत्ा हो, गुण के गुणवेत्ा,तत्व के तते्वत्ा हो, बहुगुणधारी।

    63तत्व के तथ्य हो, सत्य के सार,ब्रह्म के बीज, हो ब्रह्म क्ारी।

    64ज़जज्ञासा महें जीवन हो, खोज महें खदु,समाधान महें सत्य हो, सत्य अने्िणकारी।

    65अध्ात्म के अद्य हो, अगोचर के ओम,तत की तस्ीर, हो जीवंत ईशधारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 14 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    66वेदना के वैद्य, चचत् के चचहकत्सक,उर के उपचारक हो, सव्थरोगहारी।

    67परा की पुकार हो, गूढ़ की गँूज,धी की ध्वन हो, सुरताल लयकारी।

    68माचलक के मन हो, पुरुि के प्वाह,प्ाति के पररतोि, सहजलयधारी।

    69ववभ ु के वैभव हो, सृवटि की संपदा,केशव के कोश हो, क्रोड़ कोिाधधकारी।

    70कृपालु के कमान हो, ब्रह्म के बाण,तत ् के तरकश, हो बड़े धनधुा्थरी।

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    15 / ओशो सहस्र अलंकार

    71मसीहा के मोबाईल, हो कता्थ के कंप्टूर,यीशु के उपकरण हो, परम तकनीकधारी।

    72धम्थ महें ध्ान, हो धंधे महें ध्ान,धारणा महें ध्ान हो, परम ध्ानधारी।

    73जीवन के जादूगर हो, जीवन के जगदीश,जीवन के जानकार हो, परमसंसारी।

    74आवाज महें ओकंार, आकार महें अनाकार,आकृवत महें अहसास, हो वनरंकारी।

    75हरर के हवाईयान, जगदीश के जलपोत,प्भ ु की पनडुब्ी, हो पारउतारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 16 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    76फल से फले हो, फूल से फूले,बीज से बढ़े हो, परमधैय्थधारी।

    77ऊजा्थ के उत्सव, मतिी के महोत्सव,रास के रस हो, परम रसधारी।

    78उड़ते से उल्लास, ववहंसते से ववलास,ऐश से ऐश्वय्थ हो, परम ऐश्वय्थधारी।

    79नतृ्य महें नटराज हो, गीत महें गीतकार,चचत्र महें चचत्रकार हो, प्ाि्थनाकारी।

    80तथ्य के तिाता हो, सत्य के स्ीकार,पररवत्थन के पक्षधर हो, अहोभावधारी

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    17 / ओशो सहस्र अलंकार

    81अतंर के अलाम्थ हो, घटने की घड़ी,सुई के सामाययकी हो, कालअकालधारी।

    82पूण्थ के पररमल हो, शून् की ज़शखा,व्याति के वाष्प हो, धम्थप्सारी।

    83भोले के भोले हो, दीन के दातार,वर के वरदायक, हो पापउबारी।

    84बाररश की बौछार हो, बसंत की बयार,शरद के शीतल, हो सदाबहारी।

    85चक्रपाज़ण के चक्र हो, गदाधारी के गदा,धनधु्थर के धनिु हो, समयानसुार प्हारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 18 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    86घट के घटाकाश हो, अतंर के अतंआ्थकाश,चैतन् के चचदाकाश हो, परम आकाशधारी।

    87उपस्स्थत के उपग्रह, असीम के अतंररक्षयान,ऊपर वाले की उड़नतश्तरी, शून्संपक्थ धारी।

    88तंग की तसल्ली हो, ढहते के ढाढ़ंस,सभी के सहारे हो, सव्थपीड़ाहारी।

    89साईं के धसनेमा हो, चचन्मय के चलचचत्र,ववश्वात्मा के वृत्चचत्र, प्भ ु परमचचत्रधारी।

    90वनगु्थण के नाटक हो, सव्थज्ञ सीररयल,पुरुिोत्म के पात्र हो, सव्थ अज़भनयकारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    19 / ओशो सहस्र अलंकार

    91सनातन के साहहत्य, अदृश्य की आकके टिट्ा,धरंुधर की ध्वन, हो स्रबद्कारी।

    92कता्थ के केन्द्र हो, हक्रया की कील, धम्थ की धरुी हो, सतत पररवत्थनकारी।

    93साक्षी के से्डडयम हो, महा के मंच,अतंया्थमी के ऑडीटोररयम, परमआसनधारी।

    94केशव की कला हो, ज़शवंकर की ज़शला,शुभंकर के शुभ हो, सव्थशुभकारी।

    95उत्म की उम्ीद हो, बहुआयामी का बीमा,ववश्वववधाता के वादे, दावँ ज़जतावनहारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 20 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    96शंकर के शेयर हो, लोकनाि के लाभाशं,लचलत के लाभ हो, पूण्थ लाभकारी,

    97परमपँूजी के पँूजीपवत, महामाकके ट के मौके,लीलाकर की लाटरी हो, परम पँूजीधारी।

    98कता्थ की कंपनी हो, स्ामी के स्ाममत्व,सव्थकार के साझेदार, सव्थदावँधारी।

    99अनहद के अनाहत हो, नाम के हो नाद, प्णव के प्िम हो, परम शब्दाधधकारी।

    100तका्थतीत के तक्थ हो, वणा्थतीत के वण्थन,व्यक्तातीत के व्यक्त हो, परमशून्कारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    21 / ओशो सहस्र अलंकार

    101गणेश के गज़णत हो, बनवारी बासुँरी,सरस्ती के धसतार, हो सव्थकलाधारी।

    102योगेश के यंत्र हो, महेश के हो मंत्र,तंते्रश के तंत्र हो, रहस्ववद्याधारी।

    103वाय ु के वेग हो, तडड़त से तेज,धारा की धार हो, भव्य तेजधारी।

    104गहराई से गंभीर हो, ऊँचाई से उत्ुंग,समतल से सरल हो, बहुव्यक्क्तत्वधारी।

    105गॉड की गारंटी हो, ववशंभर के ववज्ञापन,सदानंद की स्ीम, हो सम्ोहनकारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 22 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    106सजगता के स्ामी, द्रटिा के द्रटिा,साक्षी के संलीन हो, सततबोधधारी।

    107धरम की ध्जा हो, प्णव की पताका,थत्रमरू्त के वतरंगे, हो झंडाधारी।

    108अनाधार के आलोक हो, वनगु्थण के नरू, कृष् की कावंत हो, ज्ोवत शीतलकारी।

    109ऋृवि की ऋचा हो, उमेश के उपवनिद,पाश्व्थनाि की पूजा हो, परमनादकारी।

    110शेि के शेिनाग हो, नंदीश्वर के नंदी,हंसवाहहनी के हंस हो, प्भ ु की सवारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    23 / ओशो सहस्र अलंकार

    111मन के मोर हो, तन के वततली,चचत् के चीतल हो, एकातं वनज्थनचारी।

    112एकातं के एकरस हो, समहू के सािी,समक्ष के साक्षात हो, स्स्थवतसाक्षात्ारी।

    113अतंर से अतंया्थमी, बाहर से बहहगा्थमी,दहलीज से दृढ़ हो, अपलायनकारी।

    114माग्थ के मज्झम हो, सूत्र के सम्यक,आचरण की अहक्रया हो, चलध्ानधारी।

    115चक्रो ं के चक्रपवत हो, नाडड़यो ं के नाड़ीपवत,कंुडचलनी के कूटस्थ हो, महाप्ाणधारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 24 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    116अकाल की अपील हो, अकंप की आवाज,अनाम के अनरुोध हो, वनवेदनकारी।

    117संभतू-संपककी हो, संबुद् के संबंधी,राम ररशे्तदार हो, ववज़शटिाधधकारी।

    118ईष्या्थ ़के इलाज हो, क्रोध के काल,बैर के बैरी हो, अहम ववनाशकारी।

    119स्भाव महें सरल हो, समझ महें सहज,सत्य महें सरस हो, सत्यस्भावचारी।

    120स् के स्ािथी हो, परम के परमािथी,सव्थ के सवा्थिथी, हो सत्याि्थकारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    25 / ओशो सहस्र अलंकार

    121फहीम की फैशन, डमरूवाले-डडजाइन,नटनागर नवीनता हो, सतक्रावंतकारी।

    122ववष्लुोक वीसा हो, परलोक के पासपोट्थ,सत्यलोक के सर्टडफकेट, हो परमवीसाधारी।

    123हकसना की करहेंसी, सावंररया के धसके्,मोहन की मदु्रा हो, परमभंडारी।

    124अमत्य्थलोक-अमे्बसेडर, कल्पवृक्ष-कूटनीवतज्ञ,रामराज्-राजदूत हो, आवागमनछुटकारी।

    125खदुा की खान हो, फादर की फैक्ट्ी,उद्योगी के उद्योग हो, उत्ादनकारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 26 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    126शास्ो ं के ज़शखर हो, वेद के वेदंात,पुराणो ं के परे हो, परमररक्तताधारी।

    127दषुगा्थ के दोहे हो, चतुरानन चौपाई,अलह की आरती हो, स्रसाधनाकारी।

    128महावीर के मंगलाचार, गॉड के गास्पल,गोववदं के गीत हो, महामंगलाचारी।

    129रब की रीवत हो, रमेश के ररवाज,प्िमपुरुि की प्िा हो, परम प्िाचारी।

    130हरर की हररवतमा हो, पीताम्बर के पीत,नीलकंठ के नील हो, इन्द्रधनिुधारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    27 / ओशो सहस्र अलंकार

    131बहुरूप के ब्राडं हो, बहुमरू्त के बाडं,महेन्द्र के माक्थ हो, सव्थववश्वासधारी।

    132सव्थव्यापी के स्ाद हो, सृटिा के स्पश्थ, ब्रहम की बास हो, खदुा की खमुारी।

    133सूत्रकार के सूत्र हो, यजे्ञश्वर के यज्ञ,योगेश की यकु्क्त हो, स्ामी-सूत्रधारी।

    134गजानन-गुदगुदाहट, महादेव-मलंगता,हरर की हँसी हो, आह्ादकारी।

    135साववत्री के सतीत्व हो, काली के काल,गौरी की गररमा हो, परमसौन्दय्थधारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 28 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    136कमलेश की कामधेन,ु कौतिभु के कल्पवृक्ष,भगवन के भावपूणा्थ, हो अचाहकारी।

    137मतो ं के मतैक् हो, वादो ं के ववतककी,वैपरीत्य के ववशे्िक हो, महासंशे्िणकारी।

    138अनेक के अदै्त हो, कई के कैवल्,नही ंके वनवा्थण हो, परमबुद्त्वधारी।

    139सुदश्थन से सुदश्थन, सरस्ती से सुकुमार,महागौरी से मनोरम, हो मनभावनकारी।

    140अव्यतिता के आदश्थ हो, ववश्राम की ववभवूत, ववराम के वीर हो, ध्ान नीवंधारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    29 / ओशो सहस्र अलंकार

    141जगदेव जगमगाहट, खीति खखलखखलाहट,माधव की मसुु्राहट, हो लुभावनकारी।

    142संकल्प के साक्षी हो, समप्थण के संलीन,समता महें धसद् हो, ब्रह्मअधधकारी।

    143यदषुनाि की याद हो, खदुा के ख्ाल,सच्चिदानंद के सुममरन, सतसुरतकारी।

    144रमैया के राग हो, थत्रलोकी की ताल,धनवंत की धनु हो, ओमधनधारी।

    145अकमा्थ के आउटसोस्थ, अकाम के आउटलेट,शंभ ू के शोरूम हो, परमधन व्यापारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 30 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    146थत्रलोचन तृतीयलोचन, थत्रपुरारी थत्रशूल,थत्रलोकनाि थत्रकुटी, हो वतलकधारी।

    147चतुयु्थगनाि-चेन हो, कतृकार-कड़ी,फरमानी-फामू्थला हो, सत फामू्थलाधारी।

    148हुकुमी के हुकुम हो, ऋतुराज की ऋतु,तन्मय के ताओ हो, प्भ ु हुकुमकारी।

    149प्भ ु के पता हो, वनयंता के वनवास,गोववदं के गढ़ हो, पार पुलधारी।

    150वबहारी के बैंक हो, जगन्ाि के जमा,खदुा के खाते हो, खदुा खाताधारी।

  • डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    31 / ओशो सहस्र अलंकार

    151ऊध््थ की ऊजा्थ हो, शक्क्तपुरुि की शक्क्त,बलवंत के बल हो, बलवध्थककारी।

    152मलूाधार के मलू, स्ाददष्ठान के स्ाद,मज़णपुर की मज़ण हो, नीवं-आधारी।

    153अनाहत की आहट, ववशत के वाचा,आज्ञा की आज्ञा हो, ऊध््थकारी।

    154सहस्ार की सीढ़ी हो, पारचक्र के पररवहन,पारगमन की गाड़ी हो, तीव्र वाहनधारी।

    155सनातन के सुराग हो, स्ामी के सबूत,परम की पहचान हो, असली सुरागधारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 32 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    156सूक्ष्म के स्थलू हो, ब्रह्म के वबन्दषु,ववराट के वीय्थ हो, परम बीजधारी।

    157साधना महें सातत्य हो, पररणाम महें प्तीक्षाअनंत,जीने महें जीवंत हो, परम अनशुासनधारी।

    158बेतार के तार हो, बेजोड़ के जोड़,बेनाम के नाम हो, परमजोड़कारी।

    159धसद्ाि्थ की सड़क हो, सुख की सुरंग,राम की राह हो, वनत परमलक्ष्यधारी।

    160प्भ ु के प्माणी हो, प्भ ु के प्णामी,प्भ ु के पररणामी हो, शुभपररणामकारी।

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    33 / ओशो सहस्र अलंकार

    161ज़शवशंकर के शीशे हो, अल्लाह के आईना,दसावतारी के दप्थण, परम अवलोकनकारी।

    162प्भ ु की प्वतमा हो, परम प्वतमरू्त,फलदायक की फोटोकापी, परमप्वतभाधारी।

    163यशस्ी की योजना हो, नंदन के नके्,कल्कि के कोडवड्थ हो, स्त्वाधधकारी।

    164वनवृधत् के नेवत हो, प्वृधत् के अस्ति,संवृधत् के संतुलन हो, सहजसाधनाकारी।

    165स्यं के स्ीकार हो, संसार के साक्षी,जीवन के जीवंत हो, परम संन्ासधारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 34 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    166रेचन के रचेता हो, हास् के हहमायती,उत्सव के उद्ाटक हो, सहजसुखकारी।

    167सवकेश्वर के सैवनक, सकलेश्वर के धसपाही,सगलेश्वर के सूरमा, हो सदा रक्षाकारी।

    168शक्क्त के शक्क्तपीठ, अल्ला के आश्रम,अनात्मा के आसन हो, आनंदसत्ाधारी।

    169कातं के क्लोन हो, डमरुवादक के डबल,जनाद्थन के जड़ुवा,ं हो परमतत्वधारी।

    170काशीनाि की कोपंल, हो परम की पंखड़ुी,परमवृक्ष की पत्ी, हो सुफलाकारी।

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    35 / ओशो सहस्र अलंकार

    171देवता के ददशासूचक, नंदन के वनदकेश,ऊध््थपुरुि के उपदेश हो, परम-उपदेशकारी।

    172उदासी की उपेक्षा हो, वववाद के ववरोध,गाभंीय्थ के गरल हो, सदामसु्ानधारी।

    173सज्थनहार के संतुलन, तत्वज्ञ की तुला,करनहार के काटें, हो न्ाय करनहारी।

    174चंद्रशेखर के चैनल हो, उमेश के उपग्रह,लक्ष्मीनाि के लाचंर, प्भ ु प्दश्थनकारी।

    175अजन्मा के अवतार हो, अचल के अवतथि, अकंप के आदंोलन हो, परम चैतन्धारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 36 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    176श्रीमंत के शं्रगृार हो, आत्म के आभिूण,धाता के धातु, हो परमशं्रगृारी।

    177आत्मा के अक्स हो, स्यंभ ू के साये,प्भ ु की परछाईं, हो परमवबम्बधारी।

    178बदलाव की बयार हो, पररवत्थन के प्हार,उत्ान की उड़ान हो, बड़े पररवत्थनकारी।

    179जनाद्थन के जोड़ हो, भाग्यववधाता के भाग,गुणवंत के गुणनफल, गुणनफलकारी।

    180सत्य के समीकरण हो, घटनाि के घन,वं्यकटेश के वग्थ हो, गोववदं गज़णतधारी।

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    37 / ओशो सहस्र अलंकार

    181देवाधधदेव की दूरबीन हो, खदुाबंद-खदु्थबीन,वनत्य की नजर हो, अनमगन चक्षषुधारी।

    182सव्थ के सदु्गरु हो, सव्थ को समोपलब्ध,सव्थ की सव्थधसथद् हो, परमववधधधारी।

    183पारस के पास हो, टंटाहारी के दटहकट,बनवारी के बैररयर हो, प्भ ु पासधारी।

    184लौ के लुटैया हो, रतनधन के रखैया,बहुमलू् के बाटैँया, हो परमधनधारी।

    185ताड़का के तारक, हो सुरसा के सुधारक,अहहल्ा के अवधराज, हो करुणाधारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 38 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    186अधेंरे से आलोक हो, मतृ्य ु से मतृ्युंजय,असत्य से असल हो, सव्थ आलोककारी।

    187देव की ददशा हो, थत्रभवुनेश्वर की तरफ,अमतृ की ओर हो, अतंर ददशाकारी।

    188अनास्तित्व के अस्तित्व, अबंरहीन के अबंर,चचण्मय के चचत्र हो, वनराकार आकारी।

    189ठाकुर के हठकाने हो, थत्रलोकी की तरकीब,जगन्ाि के जश्न, हो पे्मपुजारी।

    190राम के रि हो, कृष् की हकश्ती,गोववन्द की गाड़ी, हो परमसवारी।

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    39 / ओशो सहस्र अलंकार

    191ववधाता के ववश्राम हो, अल्ला के आराम,छत्रपवत की छुट्ी, हो ववश्रातंकारी।

    192जन की जरूरत हो, आम की आशा,सब की संभावना हो, आशापूण्थकारी।

    193ववश्वात्मा की वादी हो, संभ ू के समदु्रतट,कनै्या के कानन हो, परम सौदंय्थधारी।

    194हरर के हीरे हो, माधव के माज़णक्,राधारमण रत्न हो, परमप्भाधारी।

    195पुष्प से पुप्ष्पत हो, अनंत से असीममत,वट से ववशाल हो, ऐश्वय्थकारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 40 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    196आरुि की आभा हो, ववद्यतु की ववभा,चंद्र की चमक हो, परमआलोककारी।

    197वपता से प्फुक्ल्लत हो, मा ं से मदुदत,गुरू से गर्वत हो, परमउल्लासकारी ।

    198पव्थत से प्वतवष्ठत हो, अबंर से अडडग,काष्ठ से कठोर हो, सहज गुणधारी।

    199नत्थक के नतृ्य हो, गायक के गान,लीलाधर-लीला हो, सव्थधसथद्धारी।

    200कववता के काव्य हो, गीत के गायन,नाटक के नाट्य हो, तत्वददखावनहारी।

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    41 / ओशो सहस्र अलंकार

    201मानक के मान हो, मापक के माप,गणना के गज़णत, हो गररमाधारी।

    202अथनि से आनेिय हो, वाय ु से वायवीय,आकाश से आकाशीय, हो महहमाकारी।

    203मेधा के मेधावी हो, ववद्या के ववद्ान,श्री के श्रीमान हो, बुथद्बलधारी।

    204उतिादो ं के उतिाद हो, वीरो ं के वीर,देवो ं के देव हो, परमनेतृत्वकारी।

    205मानव से मानवीय हो, देव से दैवीय,ईश्वर से ईश्वरीय, सव्थ प्वतमाधारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 42 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    206व्यक्क्तत्व महें ववराट हो, प्वचन में प्ामाज़णक,कम्थ महें कृपा हो, अमायाचारी।

    207तन से तोिक हो, उर से उज्ज्वल,मन से मंगल हो, सव्थमंगलकारी।

    208सदा के सनातन हो, आज के अधनुातन,सव्थदा सव्थकाचलक हो, धसद्ाि्थकारी।

    209बालक का बचपन हो, यवुा का उत्साह,प्ौढ़ की पररपक्वता,वत्थमानआधारी।

    210सूय्थ की सववता हो, ज्ोत्सना की जाज्वल्ता,दीपक की दीप्ति, परमदीप्तिधारी।

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    43 / ओशो सहस्र अलंकार

    211प्ासे के पानी हो, भखेू के भोजन,दद्थ की दवा हो, अनतुोिकारी।

    212पात्र के पुरौधा हो, खेल के खखलाड़ी,नाटक के नटराज हो, परम मखुौटाधारी।

    213 नाव के नाववक हो, पवनयान के पायलट,वाहन के वाहक, परम अचलकारी।

    214यप्य के पे्म हो, मीत की मैत्री,बड़ो ं के बड़प्पन, ववरही बेकरारी।

    215प्वतभा के पारखी हो, जवाहर के जौहरी,कीमत की कसौटी हो, समथृद्कारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 44 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    216पत्र महें पारस हो, राह महें राजपि,नर महें नेता हो, महासौभाग्यकारी।

    217सहलाता सा स्पश्थ हो, बहलाते से बोल,मार्मक सी मसु्ान हो, परमशावंतकारी।

    218बेहतर से बेहतर हो, ऊँचे से ऊँचे,अलग से अलग हो, परमपदधारी।

    219मन के माचलक हो, ददल के ददलदार,चचत् के चंुबक, हो बड़े चमत्ारी।

    220आखहें हेै ं आकि्थक, वाणी है वशीकरण, मम्थ है मम्थस्पशथी, केन्द्रस्पश्थकारी।

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    45 / ओशो सहस्र अलंकार

    221चचत् के चोर हो, हृदय के हो हरर,लगन के लुटेरे हो, अहं अपहरणकारी।

    222उमंग के उव्थरक हो, उत्साह के उते्परक,प्गवत के प्काशतंिभ हो, वनमा्थणकारी।

    223ववश्व महें व्याति हो, अस्तित्व महें आति,बूँ द-बूँ द बासी हो, अस्तित्वधारी।

    224भ्रम के भंजक हो, सत के स्थापक,यिाि्थ के यायावर, परम जागरणकारी।

    225जोखखम महें जीवट हो, हादसे महें हहम्त,हावन महें हौसला हो, समताधारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 46 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    226ववकास महें ववकधसत, सफलता महें सफलतम,साधारण महें साधारण हो, सत आचारी।

    227जंग महें जझुारू हो, संग्राम महें साहस,यदु् के योद्ा हो, दृढ़वनश्चयकारी।

    228संुदर महें संुदरतम, ज़शव महें ज़शवतम,सत्यम महें सत्यतम हो, सदा त्योहारी।

    229सा के संसारी हो, सा ं के संन्ासी,प के परमात्मा हो, परम सरगमकारी।।

    230राह के रहवर हो, माग्थ के मकुाम,यात्रा के यात्री हो, लक्ष्य संधानकारी।

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    47 / ओशो सहस्र अलंकार

    231पैगाम के पैगंबर हो, तीि्थ के तीिथंकर,योग के योगेश्वर, सव्थधमा्थधधकारी।

    232प्भ ु की पालकी हो, प्भ ु के हो पि,प्भ ु के प्दश्थक हो, प्भपु्भारी।

    233उपमा से ऊपर हो, उपाधध से ऊपर,ऊपर से ऊपर हो, परमउपाधधधारी।

    234सृटिा के संके्षप हो, ववधध के ववतिार,सहज के स्ाभाववक हो, परम वैभवकारी।

    235मदनमयरू मतिी हो, घनश्याम घि्थणनाद,प्भपुुष्प पल्लव हो, परमफुलवारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 48 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    236कृष्ा की कूची हो, कान्ा के कलर,कनै्या के केनवास हो, रंगोत्सवकारी।

    237प्भ ु के प्माण हो, प्भ ु के प्योग,सृटिा के समारोह हो, समारोहकारी।

    238संसारसक्थ स साक्षी, दं्दो ं के द्रटिा,चेतना के चैतन्, स्स्थतप्ज्ञकारी।

    239माधव के मानसून हो, बलवीर की बौछार,ऋिभ की ररमखझम हो, परमविा्थकारी।

    240खदुा की खखड़की हो, ववश्वनाि के वातायन,रौशन के रौशनदान, प्भ ु प्भावकारी।

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    49 / ओशो सहस्र अलंकार

    241राम के ररमोट हो, हरर के होलोग्राम,माधव के मोनो हो, प्भपुहचानधारी।

    242स्यं के स्ामी, भगवान के ज़भक्षषु,महा के मौन हो परमआनंदकारी।

    243ध्वन की धनु हो, आलोक की आभा,आनंद के अहसास हो, अवत ववस्मयकारी।

    244पीरो ं के पीर हो शाहो ं के शाह,कलंदरो ं के कलंदर, परम मनोहारी।

    245गमथी के गरम हो, ठंडी के ठंड,बरसात की बाररश, सवा्थनभुवूतकारी।

  • ओशो सहस्र अलंकार / 50 डॉ. प्रमोद जैनwww.drpramodjain.com

    246ददन के ददनकर हो, रात के रातज,संध्ा के सौन्दय्थ, हो अकालधारी।

    247हहमालय के हहम हो, रेमगतिान की रेत,सागर के सचलल, सव्थआकारधारी।

    248तराने की तरनु्म हो, गँूज की गंुजन,भौरे की ज़भनज़भन, सव्थध्वनकारी।

    249मेरे के मैं हो, तुम के तू हो,सब के सब हो, सव्थरूपधारी।

    250चलायमान केचल, गवतमान की गवत,स्स्थतमान की स्स्थवत, थिरगवतधारी।

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    51 / ओशो सहस्र अलंकार

    251नभ के नील हो, सर के सफेद,हररयाली के हरे, हो सव्थरंगधारी।

    252पार के परम हो, आज के अभी,धार की धारा हो, सतत ् प्वाहकारी।

    253सबके सहायक हो, सबके हो सािी,सबके सदु्गरू हो, योग्ययगुअवतारी।

    254हमारे हमराज हो, हमारे हो हरर,हर जन्म महें रहहें हम छाहँ तुम्ारी।

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