क्लाससक बर §ल की त्रमाससक पसत्रका...

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सीएमओ-लाससक बरेली कᳱ ैमासक पसका, वेशािक, माच 2017 लैᳯिनम जयिती सवशेषािक ी सुर कुमार वमाच (प महाबिधक व लिर मॉसनिᳳरग मुख) ी हᳯर मोहन सतवारी (मुय बिधक) ी मनोज वैय (मुय बिधक) महामाया साद पाडेय (सहायक बिधक, राजभाषा) मुय सिपादक परामशचदाता ससमसत सिपादक 1. य सॊऩादक महोदय का उबोधन 2. ेीय गतिविधधयाॉ 3. ििीकरण एिॊ हहदी का विकास 4. सीएमओ-ऱाससक, बरेऱी के 31 माच ,2017 के आॉकड़े 5. मोबाइऱ िकनीक और हमारा जीिन 6. ा ऋण योजना 7. राजभाषा से सॊबॊधधि क छ महिऩ णच ािधान 8. 'भीम' एऱीके शन के बारे म ायः ऩ छे जाने िाऱे न अन मणणका

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  • सीएमओ-क्लाससक बरेली की त्रैमाससक पसत्रका, प्रवेशाांक, मार्च 2017

    प्लैटिनम जयांती सवशेषाांक

    श्री सुरेंद्र कुमार वमाच

    (ाईप महाप्रबांधक व क्लस्िर मॉसनिररग प्रमुख)

    श्री हटर मोहन सतवारी

    (मुख्य प्रबांधक)

    श्री मनोज वैश्य

    (मुख्य प्रबांधक)

    महामाया प्रसाद पाण्डेय

    (सहायक प्रबांधक, राजभाषा)

    मुख्य सांपादक

    परामशचदाता ससमसत

    सांपादक

    1. मुख्य सॊऩादक महोदय का उद्बोधन 2. ऺेत्रीय गतिविधधयाॉ 3. िैश्िीकरण एिॊ हहन्दी का विकास 4. सीएमओ-क्ऱाससक, बरेऱी के 31 मार्च,2017 के आॉकड़ े5. मोबाइऱ िकनीक और हमारा जीिन 6. मुद्रा ऋण योजना 7. राजभाषा से सॊबॊधधि कुछ महत्तत्तिऩूणच प्रािधान 8. 'भीम' एप्ऱीकेशन के बारे में प्रायः ऩूछे जाने िाऱे प्रश्न

    अनुक्रमणणका

  • भुख्म संऩादक का उद्फोधन

    सप्रय सासथयो,

    सीएमओ-क्लाससक कायाचलय , बरेली की त्रैमाससक ाइ-पसत्रका “ओबीसी

    रूहलेखांड दपचण” का प्रवेशाांक ाअपके साथ साझा करते हुए मुझे ाऄत्यांत प्रसन्नता हो रही ह।ै

    यह हमें ाऄपने सवर्ारों को परस्पर साझा करने का एक बेहतर मांर् सासबत होगा , ऐसी

    ाईम्मीद ह।ै हम सबके सामूसहक प्रयासों से पहले ाऄांक के सफलतापूवचक प्रकाशन के सलए ाअप

    सभी को बधााइ! ाआसी सतमाही में हमारे बैंक के स्थापना के 75 वषच पूरे हुए हैं। ाआस

    ऐसतहाससक ाऄवसर के हम सभी साक्षी बने हैं, ाआसकी भी ाअप सभी को एक बार पुनाः बधााइ!

    ाआसी को ध्यान में रखते हुए हमने ाआस ाऄांक को “प्लैटिनम जयांती सवशेषाांक” के रूप में

    प्रकासशत करने का सनणचय सलया।

    प्रधान कायाचलय द्वारा बैंक की 75वें स्थापना ददवस के ाईपलक्ष्य में र्लाए गए

    “स्थापना ददवस ाऄसभयान” में हमने सवमुद्रीकरण और छोिी एवां मध्यम ाअकार की शाखाओं ,

    दगुचम पवचतीय क्षेत्र की शाखाओं के बावजूद पूरे मनोयोग से कायच करते हुए , सवसभन्न ाऊण

    ाईत्पादों- खुदरा, मुद्रा, कृसष ाअदद में ाईल्लेखनीय योगदान ददया। यही नहीं , हमने थडच पािी

    ाईत्पाद (जीवन बीमा) के क्षेत्र में भी लक्ष्य से ाऄसधक योगदान ददया। सवसभन्न वैकसल्पक

    रै्नलों में भी ाआस दौरान सराहनीय वृसि दजच की गाइ। लेदकन बैंककग क्षेत्र की वतचमान

    पटरसस्थसतयों को दखेते हुए ाअने वाले समय में और भी जोश व ाईत्साह के साथ कायच करना

    होगा। ाऄनजचक सांपसियााँ को न्यूनतम रखते हुए सकल ाऄसिम में बढ़ोतरी करना हमारे सलए

    सबसे बड़ी र्ुनौती होगी।

    शुभकामनाओं ससहत,

    सरेुन्द्र कुमार वमाच, ाईप महाप्रबांधक

    2

  • क्षेत्रीय गसतसवसधयााँ

    बैंक की 75वीं वषचगााँठ को ाईल्लासपूवचक मनाते हुए ाऄिणी िाहक

    (बी.एल.एिो के प्रबांध सनदेशक) श्री जी.डी. खांडेलवाल , सीएमओ-

    क्लाससक, बरेली प्रमुख श्री एस.के. वमाच व एमएसएमाइ क्लस्िर

    प्रमुख श्री श्रीदि शमाच(दाएाँ स)े।

    स्थाऩना ददवस के अवसय ऩय सीएभओ- क्राससक, फयेरी प्रभुख (उऩ भहाप्रफंधक) श्री सुयेंद्र कुभाय वभाा के नेततृ्व भें आमोजजत योड शो भें क्राससक, एभएसएभई क्रस्टयों एवं शा.का. डी.डी .ऩुयभ के स्टाप सदस्मों ने फढ़-चढ़ कय दहस्सा सरमा।

    फैंक के स्थाऩना ददवस ऩय आमोजजत यक्तदान सशववय भें बाग रेत े सीएमओ-क्लाससक, बरेली प्रमुख श्री एस.के. वमाच(मध्य) व एमएसएमाइ क्लस्िर प्रमुख श्री श्रीदि शमाच(दाएाँ) व स्िाफ सदस्य।

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  • जनवयी 13 , 2017 को ‘होटर ऩंचभ ’, फयेरी भें आमोजजत “व्मावसायमक ववकास फैठक” भें सीएभओ-क्राससक फयेरी की शाखाओं के प्रफंधकों/प्रबारयमों को संफोधधत कयत ेभहाप्रफंधक श्री फी.जी. संधधबफग्रह(फाईं तस्वीय) व सीएभओ-क्राससक प्रभुख श्री सुयेंद्र कुभाय वभाा(दाईं तस्वीय)।

    बैंक के 75वें स्थापना ददवस के ाऄवसर पर स्िाफ सदस्यों व

    िाहकों को सांबोसधत करते शा.का. रावतपुर के शाखा प्रबांधक श्री

    सांतोष कुमार।

    स्थापना ददवस के ाऄवसर पर वरुण ाऄजुचन मेसडकल कॉलेज ,

    बांथरा की नर्ससग स्िाफ़्स को वृक्षारोपण हतेु पौधा प्रदान करते

    शा.का. बांथरा के शाखा प्रबांधक श्री योगेंद्र प्रसाद।

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  • नाबाडच के सहयोग से ाअयोसजत सविीय जागरूकता साक्षरता

    कायचक्रम में ाईपसस्थत िाहकों को सांबोसधत करते शा.का. बामस्यूाँ

    के शाखा प्रबांधक श्री नीलेश बणचवाल।

    नाबाडच के सहयोग से ाईसके ाऄसधकाटरयों की ाईपसस्थसत में शा.का.

    रावतपुर द्वारा ाअयोसजत सविीय जागरूकता साक्षरता कायचक्रम में

    ाईपसस्थत िाहकों को सांबोसधत करते शा.का. ददरौल के शाखा प्रबांधक

    श्री रवींद्र कुमार।

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    नाबाडच के सहयोग से ाईसके ाऄसधकाटरयों की ाईपसस्थसत में

    ाअयोसजत सविीय जागरूकता साक्षरता कायचक्रम में ाईपसस्थत

    िाहकों को सांबोसधत करते शा.का. रघुनाथपुर के शाखा प्रबांधक श्री

    कैलाशनाथ प्रसाद(दाएाँ)।

    नाबाडच के सहयोग से शा.का. रुद्रप्रयाग द्वारा ाअयोसजत सविीय

    जागरूकता साक्षरता कायचक्रम में ाईपसस्थत िाहकों को सांबोसधत

    करते नाबाडच के ाऄसधकारी(दाएाँ से दसूरे शा. प्र. श्री ाअलोक डाांगी)।

  • वैश्वीकरण एवां सहन्दी का सवकास

    रहगेी। ाआस सांदभच में यह भी भसवष्यवाणी की गाइ दक

    वैश्वीकरण के ाआस दौर में सवश्व की दस भाषाएाँ ही जीसवत

    रहेंगी, सजनमें सहन्दी भी एक होगी। ाऄमेरीका की सेंट्रल

    ाआांिेलीजेंस एजेन्सी की 2005 की ‘वल्डच फैक्ि बुक ’ के

    ाऄनुसार धरती पर बोले जाने वाली भाषाओं में से हहदी

    सवश्व की र्ौथी सबसे प्रभावशाली भाषा ह।ै जबदक वैसश्वक

    सहन्दी शोध सांस्थान के सनदशेक जयांती प्रसाद नौटियाल ने

    ाऄपने हासलया शोध में ाईदूच को सहन्दी की एक सवशेष शैली

    मानकर शासमल करते हुए सहन्दी को सवश्व में सवाचसधक

    प्रयुक्त होने वाली भाषा ससि दकया ह।ै

    वस्तुताः भाषा की सामासजक प्रसतष्ठा ाईसके बोलने वालों की

    सामासजक प्रसतष्ठा से जुड़ी होती ह।ै भारत के पड़ोसी दशेों -

    पादकस्तान, नेपाल, बाांग्लादशे व वमाच में सहन्दी भाषा

    बोलने व समझने वालों की सांख्या पयाचप्त ह।ै भारत के बाहर

    दफज़ी, मॉटरशस, सूरीनाम, सत्रसनदाद व दसक्षण ाऄफ्रीका में

    बसे लाखों प्रवासी भारतीय सवगत 150 वषों से मातृभाषा

    के रूप में सहन्दी का व्यवहार करते हैं। ये प्रवासी मूलताः

    पसिमी सबहार व पूवी ाईिर प्रदशे से ाआन दशेों में पहुाँर्े थे।

    यहााँ जाने वाले भारतीय ाऄवधी , भोजपुरी व कुछ खड़ी

    बोली का प्रयोग करते थे। धीरे-धीरे ाआनकी यह भाषा एक

    नए रूप में नाइ शैली में सवकससत हो गाइ , सजसका प्रयोग वे

    घर में तथा औपर्ाटरक बातर्ीत में करते हैं। दफजी के

    कमला प्रसाद समश्र , मॉटरशस के ाऄसभमन्यु ाऄनन्त , सोमदि

    बरर्ौरी, सूरीनाम के मुांशी रहमान खान, सूयच प्रसाद वीरे के

    सहन्दी में सासहसत्यक ाऄवदान को कौन भूल सकता ह।ै यही

    नहीं वतचमान में सहन्दी भाषा का ाऄध्ययन और ाऄध्यापन

    सवश्व के लगभग सभी प्रमुख दशेों में हो रहा है । ाऄमरीका

    की डॉ. शोमर के ाऄनुसार यहाां 113 सवश्वसवद्यालयों और

    कॉलेजों में सहन्दी ाऄध्ययन की सुसवधाएाँ ाईपलब्ध हैं सजनमें

    13 शोध स्तर के केन्द्र हैं , जहााँ सवदशेी शोधार्थथयों द्वारा

    हहदी में ाऄनेक शोध हो रह ेहैं।

    हहदी का जब से तकनीकी सवकास शुरू हुाअ है , ाआसके

    सवस्तार में और भी ाईल्लेखनीय वृसि हुाइ है । य़ूसनकोड के

    माध्यम से कां प्यूिर पर हहदी में कायच करना सरल हो गया

    ह।ै जहााँ वेब दसुनया जैसे सर्च ाआांजन पर पलक झपकते ही

    महामाया प्रसाद पाण्डेय

    सहायक प्रबांधक(राजभाषा)

    सीएमओ-क्लाससक, बरेली

    वैश्वीकरण का शासब्दक ाऄथच ह ै- समस्त सवश्व का एकीकरण ,

    सवशेषकर ाअर्थथक सांदभच में। वेटे्ट क्लेर रोस्सर ने वैश्वीकरण

    के सवषय में कहा था दक यह प्रदक्रया ाऄर्ानक बीसवीं सदी

    में नहीं, बसल्क दो हज़ार वषच पूवच शुरू हुाइ थी जब भारत ने

    ाईस समय सवश्व के व्यापार क्षेत्र में ाऄपना धाक जमाया था।

    जब वह ाऄपने जायकेदार मसालों , खुशबूदार ाआत्रों एवां रांग-

    सबरांगे कपडों के सलए जाना जाता था। यह व्यापार ाआतना

    व्यापक था दक एक बार रोम की साांसद ने एक सवधेयक के

    माध्यम से ाऄपने लोगों के सलए भारतीय कपडेऺ का प्रयोग

    सनसषि कर ददया तादक वहााँ के सोने के ससक्कों को भारत ले

    जाने से रोका जा सके। तभी से भारत की ाईसक्त ‘वसुधैव

    कुिुम्बकम् ’ प्रर्सलत ह ैऔर ाआसीसलए ाअज भी भारत के सलए

    ‘वैश्वीकरण’ का मुद्दा कोाइ नया नहीं ह।ै

    दकन्तु 1991 के ाअर्थथक ाईदारीकरण , सनजीकरण व

    वैश्वीकरण की नीसत ने सहन्दी भाषा को राजनीसतक और

    साांस्कृसतक सांवाद से ाअगे बढ़ाकर बाजार की ाईपभोक्ता

    सांस्कृसत की नाइ भाषा के ाऄनुरूप ढाल ददया। सहन्दी का

    महत्त्व वैश्वीकरण के सांदभच में ाआससलए भी बढ़ा है दक भारत

    व्यवसासयक एवां व्यापाटरक दसृि से सवश्व के तेजी से ाईभरती

    ाऄथचव्यवस्थाओं में से एक ह।ै यही कारण ह ैदक सवदशेी

    वायुसेवा कां पसनयााँ भी , सवशेषकर यूरोप की , हहदी को

    ाऄपनी ाअवश्यकता बतला रही हैं।

    प्रससि भाषावैज्ञासनक नोम र्ॉमस्की के ाऄनुसार ‘वैश्वीकरण’

    का ाऄथच ाऄांतरराष्ट्रीय एकीकरण ह।ै ाआस एकीकरण में भाषा

    की ाऄहम् भूसमका होगी और जो भाषा व्यापक रूप से प्रयोग

    में रहगेी, ाईसी का स्थान सवश्व में सुसनसित होगा। र्ॉमस्की

    के ाऄनुसार जब सवश्व एक बडाऺ बाज़ार हो जाएगा तो

    बाज़ार में व्यापार करने के सलए सजस भाषा का प्रयोग होगा

    ाईसे ही प्राथसमकता दी जाएगी और वही भाषा जीसवत

    रहगेी। ाआस

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  • हहदी में खोजे गए सवषयवस्तु से सांबांसधत समस्त जानकारी

    र्ांद पलों में समल जाती ह।ै वही ाइ-पत्र जैसी मेल सेवा रोमन

    सलसप में सलखे पत्रों को शुि हहदी में ाऄनूददत करके एक दशे से

    दसूरे दशे तक बिन दबाते ही पहुाँर्ा दतेी ह।ै हहदी नेक्स्ि ,

    गीता, कसवता , ाऄनुभूसत , ाऄसभव्यसक्त , गभचनाल जैसी वेब

    पसत्रकाएाँ हहदी सासहत्य को दसुनया भर के हहदी पे्रसमयों तक

    पहुाँर्ा रही हैं। ाअज सोशल मीसडया के माध्यम से लेखक

    ाऄपनी रर्नाओं को घर बैठे पाठकों तक पहुाँर्ा रह ेहैं। गूगल

    के प्रमुख एटरक सश्मि का मानना ह ैदक ाऄगले कुछ वषों में

    हहदी ाआांिरनेि पर ाऄांिेजी और र्ीनी के साथ दसुनया की प्रमुख

    भाषा होगी।

    सांर्ार माध्यमों की भाषा के रूप में भी हहदी की प्रगसत

    ाईल्लेखनीय ह।ै कुछ साल पहले जारी नेशनल रीडरसशप सवे

    के टरपोिच के मुतासबक दशे के 10 सबसे ाअसधक प्रसाटरत

    समार्ार पत्रो में एक भी ाऄांिेजी ाऄखबार नहीं थे। ‘दसैनक

    भास्कर’ समार्ार पत्र की रोज़ 1 करोड़ 60 लाख प्रसतयााँ

    छपती हैं , जबदक सवाचसधक सबकने वाले ाऄांिेज़ी पत्र ‘िााआम्स

    ाअफ़ ाआसण्डया ’ की 75 लाख प्रसतयााँ ही छपती हैं। ाआसी से

    सहन्दी के प्रर्ार-प्रसार पता र्लता ह।ै

    वैश्वीकरण की एक और दने ह-ै ाऄनुवाद के कायच का सवस्तार।

    जैसे-जैसे सवश्व ससकुड़ता जाएगा , वैसे-वैसे दशे-सवदशे के

    सवर्ार, तकनीक, सासहत्य ाअदद का ाअदान-प्रदान ाऄनुवाद के

    माध्यम से ही सम्भव होगा। सवदशेों में भारत के प्रसत सवद्वानों

    की बढ़ती रुसर् ने सवदसेशयों को भारतीय सासहत्य और

    सवशेषकर सहन्दी सासहत्य के ाऄनुवाद की ओर पे्रटरत दकया है।

    सहन्दी सासहत्य का सवश्व की ाऄनेक भाषाओं में सनरन्तर

    ाऄनुवाद हो रहा ह।ै पे्रमर्ांद के ‘गोदान’ का सवश्व की लगभग

    सभी प्रमुख भाषाओं में ाऄनुवाद हुाअ है । तुलसी कृत

    ‘रामर्टरतमानस’ के तो बााआसबल के बाद सवश्व की सवसवध

    भाषाओं में सवाचसधक ाऄनुवाद हुए हैं । ाऄनुवाद का सवाचसधक

    लाभ दफल्मों को समला ह।ै ाआसका ाऄनुमान ाआस बात से लगाया

    जा सकता ह ैदक सहन्दी ाऄनुवाद के माध्यम से ाऄांिेज़ी दफल्म

    ‘ाऄवतार’ ने 90 करोड़ की कमााइ की। ाआस ाअाँकड़ ेसे ाऄनुवाद

    की ाईपयोसगता स्वताः प्रमासणत ह।ै ाआसके ाऄलावा हहदी के

    सांपकच व प्रसार को बढ़ाने में बॉलीवुड का ाऄिणी स्थान ह।ै

    हहदी दफल्में केवल गीत-नृत्य ही नहीं , बसल्क ाआसके साथ

    हमारे दशे की सभ्यता और सांस्कृसत का भी सवश्व में प्रसार कर

    रही हैं।

    ककतु ये सारी बातें तस्वीर के ससफच एक पहलू को बयााँ

    करती हैं। ाआसका दसूरा पहलू ाआतना सौम्य नहीं ह।ै रघुवीर

    सहाय की पांसक्तयााँ हैं – “हहदी ह ैमासलक की/ तब ाअज़ादी

    से लड़ने की भाषा दफर क्या होगी ?/ हहदी की मााँग/ ाऄब

    दलालों की ाऄपने दास-मासलकों से/ एक मााँग ह/ै बेहतर

    बताचव की/ ाऄसधकार की नहीं।” ये पांसक्तयााँ तब की हैं जब

    वैश्वीकरण का ाईड़नखिोला भारत नहीं पहुाँर्ा था , पर ये

    वतचमान समय में हहदी की सूरते-हाल बखूबी बयााँ करती

    हैं।

    भारतवषच में 1991 के ाईदारीकरण की प्रदक्रया के साथ

    सशक्षा को बाजारोन्मुखी बनाने का प्रयास ाअरांभ हुाअ।

    ाऄच्छी कक्षाओं के कॉन्वेंि स्कूलों तथा ाऄांिेजी माध्यम के

    सशक्षण सांस्थाओं की बाढ़ सी ाअ गयी। छात्रों का ाऄांिेजी की

    तरफ रुझान हुाअ , क्योंदक हहदी के सहारे ाईन्हें जीवन में

    सफलता एवां ाईन्नसत की सम्भावना नहीं ददखााइ द ेरही थी।

    हहदी को सपछड़पेन का प्रतीक माना जाने लगा , हहदी

    माध्यम के स्कूलों को सहकारत की सनगाहों से दखेने की

    प्रवृसि बढ़ी। ाआस प्रकार से एक ऐसी नींव डाली गाइ सजस

    पर पसिमीकरण की सवशाल ाआमारत खड़ी हो सके।

    पसिमी सवर्ारों को ाऄल्पसवकससत दशेों पर थोपने की

    ाआसी प्रदक्रया को वैश्वीकरण की सांज्ञा दी गाइ। ऐसे में प्रश्न ये

    ाईठता ह ैदक क्या बाजार पे्रटरत सवस्तार और प्रयोक्ताओं की

    सांख्या में वृसि को हहदी के सवकास का प्रसतमान माना जा

    सकता ह?ै

    र्ूाँदक वैश्वीकरण एकरूपता का सहमायती है, ाआससलए दशेज

    तत्वों पर सांकि ाअना स्वाभासवक था। बाजार ाआस बात को

    ाऄपने सहत में मानता ह ैदक भाषाओं की सांख्या सजतनी कम

    हो सके हो , ाआतनी ाऄसधक भाषाओं की क्या जरुरत है ?

    यही नहीं एक भाषा में भी एकासधक यानी पयाचयवार्ी

    शब्दों की जरुरत नहीं ह।ै हम स्पितया दखे सकते हैं दक

    ाअज हमारा शब्द-भांडार दकस तेजी से घि रहा ह।ै जैसा

    दक यूनेस्को की एक टरपोिच बताती ह ैदक हर वषच सांसार से

    जैसवक प्रजासतयों की ही तरह बीससयों भाषाएाँ भी सदा के

    सलए लुप्त होती जा रही हैं। ाऄांतत: कुछ बड़ी व सक्षम

    भाषाएाँ ही शायद बर्ी रह पाएाँ।

    वैश्वीकरण के एक सनसहताथच के तौर पर कह सकते हैं दक

    बाजार की शसक्तयों व बाजारवाद के सलए पोषक सांस्कृसत

    और ाईस सांस्कृसत पर पसिमी ाऄमटरकी वर्चस्व। साांस्कृसतक

    7

  • वर्चस्व के सलए जैसा दक हाविच शीलर जैसे सवर्ारकों का मत

    ह ै– भाषा माध्यम पर वर्चस्व जरूरी ह.ै ाऄन्य सवकासशील

    दशेों की तरह भारत और ाईसकी राजभाषा/राष्ट्रभाषा हहदी

    भी साांस्कृसतक साम्राज्यवाद से रूबरू ह।ै ऐसी प्रसतकूल

    सस्थसत में हहदी भाषा के सामने ये सबसे बड़ी र्ुनौती ह ैदक

    वो ाऄपना ाऄसस्तत्व कैसे कायम रखे ? ाऄांिेजी को हिाने की

    बात ाईठते ही यह सवाल पूछा जाता ह ैदक ाईसकी जगह कौन

    सी भाषा लााइ जाए ? भारत जैसे बहुभाषी दशे में ऐसे

    सवालों का ाईठना स्वाभासवक ह।ै स्वाधीनता ाअन्दोलन के

    दौरान जब हहदी को सांपकच भाषा के रूप में स्वीकार दकया

    गया तो ऐसा कोाइ कारण नहीं दक स्वाधीनता के बाद ाईसे

    नकार ददया जाये। लेदकन ाआसके साथ यह ध्यान रखना

    जरूरी ह ैदक भारत के सवसभन्न क्षेत्रों की जनता ाऄलग-ाऄलग

    भाषाओं में ाऄपनी हजदगी जीती है , ाईन्ही भाषाओं में सोर्ने

    और रर्ने का काम भी करती ह।ै ाऄगर वह काम कभी भी

    ाऄांिेज़ी के माध्यम से नहीं हुाअ तो वह हहदी के माध्यम से भी

    नहीं होगा। ाआससलए क्षेत्रीय भाषाओं की कीमत पर नहीं ,

    बसल्क सवसभन्न क्षेत्रीय भाषाओं के साथ और ाईनसे समल कर

    हहदी का सवकास ाअवश्यक ह।ै ाऄांिेज़ी को ज्ञान की भाषा के

    रूप में सीखना और जानना ाईपयोगी हो सकता ह ैलेदकन

    ाईसे भारतीय जनता के जीवन , शासन और सवर्ार की भाषा

    के रूप में बनाए रखना ाऄनावश्यक ही नहीं ाअत्मघाती भी

    ह।ै

    दकसी भी भाषा के सवकास और प्रर्ार-प्रसार में सांर्ार

    माध्यमों का सवसशि योगदान रहा ह.ै ाईन्नीस वीं सदी के

    ाअसखरी तथा बीसवीं सदी के शुरूाअती दशकों में हहदी

    भाषा, सवशेष रूप से हहदी गद्य के सवकास और पटरमाजचन में

    हहदी के पत्र-पसत्रकाओं के योगदान का ऐसतहाससक महत्त्व

    रहा ह।ै ाऄस्सी के दशक तक समार्ार पत्रों की सुर्थखयााँ स्पि ,

    वस्तुसनष्ठ और ाऄसभधापरक हुाअ करती थीं, सजनसे खबरों का

    ाअभास ाऄच्छी तरह समल जाता था। ाऄांिेजी के ाईन्हीं शब्दों

    का प्रयोग होता था जो सहज और सरल हों , सजनसे पूरी

    पांसक्त के प्रवाह में बाधा नहीं पड़ती हो। लेदकन ाअज

    ाऄखबारों की सुर्थखयाां र्ुिीली , मुहावरेदार और ाऄांिेजी की

    छौंक सलए होती हैं। काइ बार शीषचक और खबर में तालमेल

    सबठाना मुसश्कल हो जाता ह.ै एक खास ाईभर रह ेाईपभोक्ता

    वगच को ध्यान में रखकर ाआस तरह की भाषा का प्रयोग

    दकया जा रहा ह।ै यह शहरी नव धनाढ्य वगच है , सजसकी

    ाअय में भूमण्डलीकरण के दौर में ाऄप्रत्यासशत वृसि हुाइ ह।ै

    यही वगच स्वयां को ाआस भाषा में ाऄसभव्यक्त कर रहा ह।ै ाआस

    वगच में हहदी क्षेत्र के बहुसांख्यक दकसान , मजदरू, स्त्री तथा

    दसलत नहीं ाअते।

    जो मीसडया पहले दशेी सरोकारों व राष्ट्रीय भावनाओं का

    वाहक था , वह लोकताांसत्रक मूल्यों की बजाय ाऄब

    पूाँजीवादी सहतों के ाऄनुसार सवर्ारों को ढालने की पूरी

    कोसशश कर रहा ह।ै ाअज हहदी पत्रकाटरता से गम्भीर

    ाअर्थथक, राजनीसतक, सामासजक व साांस्कृसतक बहस खत्म

    होते जा रह ेहैं। हहदी पत्रकाटरता में ‘प्रोफेशनसलज्म‘ जैसे

    शब्द के नाम पर पत्रकाटरता के मूल्यों को कुर्ला जा रहा

    ह।ै ाआस दौर में हहदी पत्रकाटरता पर यह सवाल और

    र्ुनौती ह ैदक वह कैसे ाऄपनी नैसतकता और ाऄांतरात्मा को

    बर्ाते हुए जनता को सवश्वास ददलाये दक पत्रकाटरता

    जनता के सहतों का रक्षक और सच्चा पहरेदार ह।ै

    ाअजादी के 69 साल बाद भी समाज सवज्ञान , सवज्ञान और

    तकनीक जैसे सवषयों पर कोाइ ढांग का हहदी में मौसलक

    लेखन दलुचभ ह।ै हहदी में स्तरीय शोध पसत्रकाएाँ सगनी-र्ुनी

    हैं। दशे के प्रसतसष्ठत ाईच्च ाऄध्ययन सांस्थानों में सारा शोध

    ाऄांिेजी भाषा में हो रहा ह.ै दशे की बहुसांख्य जनता की

    सजसमें कोाइ सहस्सेदारी नहीं ह.ै ाआन सांस्थानों में सारा शोध

    सजन गरीबों, सपछड़ों, दसलत-ाअददवाससयों, सस्त्रयों को कें द्र

    में रख कर दकया जाता ाईसकी पहुाँर् ाईन तक कभी भी

    नहीं हो पाती। हहदी पुस्तकों के प्रकाशन तथा सबक्री के

    ाअाँकड़ ेदकेर यह ससि करने के प्रयास दकए जा रह ेहैं दक

    हहदी की लोकसप्रयता बढ़ रही है, जबदक हहदी पुस्तकों की

    सबक्री मुख्यत: सरकारी तथा सांस्थागत खरीद तक ही

    सीसमत ह।ै पयाचवरणसवद ्ाऄनुपम समश्र की ‘ाअज भी खरे हैं

    तालाब’ जैसी दकताबें , सजसकी सफलता और पहुाँर्

    ाऄसांददग्ध है , ाईन लोगों पर करारा व्यांग्य ह ैजो ाआस बात

    का रोना रोते ह ैदक हहदी में लोक-मन को छूने वाली

    भाषा में सासहत्य से ाआतर रर्ना सांभव ही नहीं ह।ै

    राजनीसतशास्त्री रजनी कोठारी ‘भारत में राजनीसत’ जैसी

    8

  • दकताब की हहदी में पुनरचर्ना कर एक नाइ पहल की

    शुरूाअत करते हैं। कभी समाजशास्त्री के.एल. शमाच ने

    एनसीाइाअरिी की समाजशास्त्र की दकताब मूल रूप से हहदी

    में सलख कर सासबत दकया था दक स्कूल-कालेज की समाज

    सवज्ञान की दकताबें हहदी में सलखना सांभव ह।ै समस्या यह

    ह ैदक हहदी क्षेत्र के काइ सवद्वान ाऄांिेजी और हहदी दोनों में

    दक्ष होने के बावजूद हहदी में सलखने की जहमत नहीं ाईठाते।

    ाआसकी वजह ससफच ाअर्थथक नहीं , कहीं गहरे ाऄवर्ेतन में

    हहदी के प्रसत हीनता बोध भी ह।ै

    ाअज ाईिर भारत की तमाम भाषाओं की कसवता में सांदभच

    सबन्द ुबदल गए हैं। हम ाअज की कसवता को दशेज , क्षेत्रीय

    और भारत के प्राकृसतक सांदभों और पुरातन प्रतीकों से नहीं

    समझ सकते। दशेज सांदभच और सबम्ब ाऄब कसवता में नहीं हैं।

    ाऄब हम ाईन्हें ाईन दशेों के कसवयों की कसवता के सांदभों से

    ही समझ सकते हैं जो भूमण्डलीकरण वाले दशेों के कसव हैं

    या वे ाअज के कसव जो भूमण्डलीकरण की ाऄवधारणा को

    समथचन दतेे और सवकससत करते हैं। भूमण्डलीकरण ने हमें

    ाऄपने सनजी और ाअांतटरक सौंदयच से सवकेसन्द्रत दकया ह।ै

    कसव का प्रयास होना र्ासहए था दक सांस्कृसत सांक्रमण के

    दौरान ाईसकी कसवताएाँ प्रसतरोध का हसथयार बनें ; लेदकन

    वह खुद ही ाआस सांक्रमण से िससत ह।ै

    सनष्कषचत: यह कहना ही ठीक ह ैदक सनकि भसवष्य में हहदी

    की सस्थसत में सुधार की राह ाआतनी ाअसान नहीं है । सवदशेों

    में रहनेवाले भारतीयों के सलए भी हहदी का मह त्त्व

    ाऄसधकाांश में प्रतीकात्मक ही ह।ै ाऄनेक सवदशेी

    सवश्वसवद्यालयों में हहदी का ाऄध्यापन बांद होता जा रहा है ,

    जैसा दक हाल ही में कैसम्िज में हुाअ। जहााँ हहदी पढ़ााइ हो

    भी रही ह ैवहााँ छात्रों की सांख्या ाऄत्यल्प ह।ै ऐसे में हहदी के

    ाऄभूतपूवच प्रसार के गुणगान करना बहुत ाईसर्त नहीं प्रतीत

    होता। भसवष्य में और भी नाइ र्ुनौसतयााँ ाअ सकती हैं

    सजनके समाधान के सलए हमें कारगर ाईपाय करने होंगे।

    ाआांिरनेि पर हहदी के प्रयोग में सबसे बड़ी कटठनााइ फॉन्ि की

    बहुलता के सनदान हतेु ाऄथक प्रयासों से यूसनकोड के

    ाअसवष्कार ने हहदी फॉन्ि को एकरूपता दनेे का प्रयास

    दकया, ककतु ाऄभी मुसश्कलें और भी हैं। हहदी की सवसभन्न

    सॉफ्िवेयर कां पसनयों को भी ाआस ददशा में कुछ कारगर कदम

    ाईठाने र्ासहए ककतु व्यावसासयक जोसखमों के कारण वे

    साथचक पहल नहीं कर पा रही हैं। हमारे भाषा वैज्ञासनकों

    को सहन्दी की तकनीकी शब्दावली के सवकास की ददशा में

    ाऄसधक ध्यान दनेा होगा भाषा में परस्पर सांवाद बढ़े ,

    सजससे सहन्दी तकनीकी तौर पर भी एक सम्पूणच एवां समृि

    भाषा बन सके। हहदी का वास्तसवक और सही ददशा में

    सवकास करके ही हम भूमांडलीकरण की बुरााआयों से सनजात

    पा सकते हैं और ‘वसुधैव कुिुम्बकम् ’ ाईसक्त को एक बार पुनाः

    र्टरताथच कर सकते हैं।

    *सभी स्िाफ सदस्यों से ाऄनुरोध ह ैदक पसत्रका के

    सनयसमत व सफल प्रकाशन हतेु ाऄपनी रर्नाएाँ, कसवता,

    कहानी, पे्ररक प्रसांग , सांस्मरण , यात्रा वृिाांत , ाअलेख ,

    शाखा में ाअयोसजत बैठक , ाऄन्य ाअयोजन , सनरीक्षण

    ाअदद के ससर्त्र सववरण हमें ाइ-मेल

    [email protected] पर भेजें। कृपया ाऄपने

    सुझाव भी ाआस पते पर भेजें।

    *फोिो भेजते समय ाईसकी गुणविा का सवशेष ध्यान

    रखें व ाईसके साथ सववरण ाऄवश्य भेजें।

    *पसत्रका में प्रकासशत रर्नाओं में व्यक्त सवर्ार एवां

    दसृिकोण लेखकों के सनजी हैं। बैंक ाऄथवा सांपादकीय

    ससमसत की सहमसत ाअवश्यक नहीं ह।ै

    9

    mailto:[email protected]

  • कखगघ सवश्लेषण, जहााँ क: बजट हाससऱ। ख: 80% से अधधक बजट हाससऱ। ग+: 50% या इससे अधधक बजट हाससऱ। ग: मार्च 2016 से अधधक। घ: मार्च 2016 से कम।

    *(केिऱ ऩीडीएफ़ प्रारूऩ में प्रकासशि)*

    क्रमाॊक

    माऩदॊड (कयोड़ रु. भें)

    31.03.16

    31.12.16 31.03.17

    1 चार ूजभा 91 126 118 2 फचत जभा 563 758 742 3 सावधध जभा (एन) 600 693 667 4 कोर जमा(1+2+3) 1254 1577 1527 5 थोक जभा 0 0 0

    6 सभग्र जभा (4+5) 1254 1577 1527 7 कुऱ अधिम 816 833 899 8 व्यिसाय (-थोक जमा) 2070 2410 2426

    9

    कुऱ व्यिसाय (अंतयफैंक जभा छोड़कय)

    2070 2410 2426

    सीएमओ-क्लाससक, बरेली का ददनाांक 31.03.2017 तक व्यावसासयक प्रदशचन

    10

    क्या ाअप जानते हैं?

    दहन्दी का ऩहरा सभाचाय-ऩत्र साप्तादहक रूऩ भें कोरकाता से ऩंडडत जुगरककशोय शभाा ने प्रकासशत ककमा। दहदंी सादहत्म का ऩहरा इयतहास ग्रंथ फ्रें च ववद्वान गासााँ द तासी से सरखा था।

  • मोबााआल तकनीक और हमारा जीवन

    मोबााआल फ़ोन के फायदे

    1. ाअसान सांर्ार

    हर दकसी व्यसक्त के पास सस्ता हो या महांगा , छोिा हो या बड़ा दकसी न

    दकसी प्रकार का एक मोबााआल फ़ोन तो ाअज के ददन होता ही ह।ै पहली

    बात हो यह ह ैदक ाअप ाअसानी से मोबााआल फ़ोन को कहीं भी ले जा

    सकते ह।ै ाअप कुछ ही सेकां डों में ाअसानी से ाऄपने मीलों दरू के सप्रयजनों

    से बात कर सकते ह।ै ाअप ाआसका ाईपयोग तब तक कर सकते ह ैजब तक

    ाअपके मोबााआल फ़ोन में नेिवकच ससग्नल ाअ रहा हो।

    2. नयी िेक्नोलॉजी या सोशल वेबसााआि से जुड़ें

    ाअज के ददन में मोबााआल फ़ोन मात्र एक मोबााआल फ़ोन नहीं रहा। हर

    ददन मोबााआल फ़ोन िेक्नोलॉजी में कुछ ना कुछ ाईन्नयन(ाऄपिेडेशन) दकया

    जा रहा ह।ै ाअज के एक साधारण स्मािचफ़ोन में ाअप ाअसानी से फोिो ले

    सकते हैं , गाने या सवसडयो का ाअनांद ले सकते हैं , ाइमेल भेज सकते हैं ,

    ाआन्िरनेि की मदद से सवसभन्न सवषयों के बारे में जान सकते हैं, नेसवगेशन

    सवकल्प की मदद से ाअप सबना कोाइ रास्ता खोये ाऄपने सनधाचटरत स्थान

    तक पहुाँर् सकते हैं। ाअप ाआन्िरनेि के ज़टरये सोशल नेिवर्ककग वेबसााआि

    पर ाऄपने समत्रों से बात कर सकते हैं। ऐसे और भी लाखों ऐसे कायच हैं जो

    ाअप ाऄपने मोबााआल फ़ोन से कर सकते हैं। ाअज मोबााआल फ़ोन को छोिा

    कां प्यूिर भी कह सकते हैं।

    1. व्यापार में बढ़ावा

    मोबााआल फ़ोन व्यापा र के क्षेत्र में बहुत ही मददगार सासबत हुाअ है ।

    ाआसकी मदद से ाअप ाऄपने कां पनी के कमचर्ाटरयों से ाअसानी से सांपकच

    रख सकते हैं। ाऄपने कमचर्ाटरयों की पूरी जानकारी मतलब ाऄपने

    व्यापार की भी पूरी जानकारी। ाअप ाऄपने देश में बैठ कर दरू देशों में

    बैठे कां पसनयों के साथ डील कर सकते हैं। ाआससे ाअपको ाऄपने व्या पार

    क्षेत्रक को जानने में भी ाअसानी होगी और व्यापार में भी बढ़त समलगेी।

    2. लोगों की सरुक्षा और क़ानूनी बातों में मदद

    ाअज के ददन में काइ ाऄपरासधक गसतसवसधयााँ हो रहीं हैं। मोबााआल फ़ोन

    में GPS के द्वारा दकसी भी मोबााआल फ़ोन की सस्थसत कां प्यूिर से टै्रक

    दकया जा सकता ह।ै पुसलस भी मोबााआल फ़ोन में हुाइ बातर्ीत से, फोन

    सववेक यादव

    प्रबांधक

    सीएमओ-क्लाससक, बरेली

    मानव जीवन में मोबााआल पर सांर्ासलत तकनीक के ाईपयोग से क्राांसत ाअ

    रु्की ह ैाअज हमारे देश के ाऄसधकाांश नागटरक के पास भी मोबााआल

    सेवा ाईपलब्ध ह ैसजसमें ज्यादातर पर ाआांिरनेि सेवा का ाईपयोग दकया

    जा रहा ह।ै पुराने समय में िाहकों को माकेि में खरीदारी ,

    जानकारी हतेु बाहर जाना पड़ता था , परांतु ाअज के दौर में सस्थसत यााँ

    काफी बदल गाइ हैं। ाअज ऑनलााआन माकेि में ख़रीदारी करनी हो ,

    ाआलाज करना हो , सशक्षा प्राप्त करनी हो, या कोाइ भी जानकारी प्राप्त

    करनी हो , तुरांत ाईपलब्ध ह।ै सरकारी सवभागों द्वारा सांर्ासलत सवसभन्न

    योजनाओं का पूणच ब्योरा ाईपलब्ध ह।ै ाआतना ही नहीं ाअप घर से ही ाआनके

    ाअवेदन की समस्त प्रदक्रया पूणच कर सकते हैं।

    ाआससे हमारे देश के बैंक भी ाऄछूते नहीं है । ाऄभी तक बैंककग सांबसन्धत

    कायच जैसे फ़ां ड के ाऄांतरण करना हो ाअरिीजीएस , नेफ्ि सुसवधाएां प्रदान

    की जा रही थीं, ाऄब ाऄन्य पोिचल भी बनाए गए हैं जहााँ ाऊण की सवसभन्न

    योजनाएाँ जैसे स्िैंड ाऄप ाआांसडया , मुद्रा , पीएमाइजीपी हतेु समस्त

    जानकारी जैसे पात्रता क्या ह ै , प्रोजेक्ि के सहसाब से दकतना मार्थजन

    जमा करना है , दकतनी ससब्सडी समलेगी ाआत्यादद ाअप पा सकते हैं । यही

    नहीं ाअप यह भी जान सकते हैं दक ाअपके द्वारा दी गाइ एसप्लकेशन की

    क्या सस्थसत ह ैऔर दकस स्तर पर यह लांसबत ह।ै ाईक्त योजनाओं का

    ाअवेदन सनरांतर ऑनलााआन प्राप्त दकया जा रहा है । ाआनसे ाअधार को भी

    जोड़ा जा रहा ह ैसजससे कोाइ एक व्यसक्त एक ाअधार नांबर से दकसी एक

    ाऊण के सलए ही ाअवेदन कर सकता है । ाआससे पारदर्थशता ब ढ़ी है ,

    सशकायत भी कम हुाइ हैं । वसूली हतेु ाअरसी का ब्योरा भी ऑनलााआन

    कर ददया गया ह ैसजससे ाअप ाऄपने मोबााआल पर वसूली की सस्थसत देख

    सकते हैं , दकतना बकाया दकतना समय में ाअपको भुगतान करना ह ै

    ाअदद-ाअदद। हमारा बैंक भी सडसजिलीकरण में पीछे नहीं ह।ै

    मोबााआल फ़ोन के फायदे

    1. ाअसान सांर्ार

    11

    http://www.techacid.com/2009/03/21/1o-benefits-of-cell-phones/

  • नांबर या मैसेज के टरकॉडच से

    बहुत सारी गैर क़ानूनी गसतसवसधयों को रोक र्ुकी ह।ै ससफच पुसलस या सेना ही

    नहीं बसल्क माता-सपता भी ाऄपने बच्चों को मोबााआल फ़ोन साथ रखने के सलए

    दतेे हैं तादक वे ाऄपने बच्चों की सुरक्षा के प्रसत में सनहित रह सकें ।

    1. फैशन का पहला नाम

    मोबााआल फ़ोन ाअज के युग में फैशन का पहला नाम ह।ै खासकर की

    युवाओं में यह जरूरत से ज्यादा फैशन का नाम बन रु्का ह।ै

    2. ाअपातकाल में मदद

    सोसर्ये दक ाअप कहीं दकसी कटठन पटरसस्थसत में फाँ स ग ए हैं। ऐसी

    पटरसस्थसतयााँ दकसी भी प्रकार की हो सकती हैं। जैसे ाअपके गाड़ी की

    दघुचिना हो गयी हो और ाअपके घर वालों से बात कर नी हो। या दफ र

    ाअप ाऄपना रास्ता ही भिक गए हों। हो सकता ह ैाअपकी तबीयत बहुत

    ख़राब ह ैऔर ाअपको जल्द से जल्द डॉक्िर की जरूरत हो , ाईस समय

    भी मोबााआल फ़ोन बहुत ाईपयोगी ससि होता ह।ै ाआस तरह मोबााआल

    फोन हमारे सलए बहुाईपयोगी ससि होता ह।ै

    मोबााआल फ़ोन के नुकसान

    (क) गाड़ी र्लाते समय ध्यान भांग

    लोग मोबााआल के ाईपयोग में ाआतने मग्न हो जाते हैं की गाड़ी र्लते हुए

    भी मोबााआल पर बात करते रहते हैं। ाऄमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा पटरषद ्

    के ाऄनुसार ाऄमेटरका में प्रसतवषच 1.6 करोड़ से ज्यादा सड़क दघुचिनाएाँ

    गाड़ी र्लाते समय मोबााआल फ़ोन पर बात करने के कारण होती हैं।

    (क) सुरक्षा खतरे व गोपनीयता का ाईल्लांघन

    मोबााआल फ़ोन का ाईपयोग लोग ददन रात कर रह ेहैं और ाईसमें सभी

    ाऄपनी गोपनीय जानकाटरयों को भी Save करते हैं। ाईदाहण के तौर

    पर, ाऄगर ाअपका मोबााआल खो जा ए सजसमें ाअपके बैंक ाऄकााईां ि से

    जुड़ी जानकाटर यााँ ‘सेव’ हैं, ाअपके मोबााआल फ़ोन में ऑनलााआन

    पासवडच हो या ाअपके ाऄपने लोगों के मोबााआल नांबर हो , सब कुछ

    साझा हो जायेगा। ाऄपराधी भी दसूरों के खोये हुए मोबााआल फ़ोनों की

    मदद से ाऄपरासधक गसतसवसधयों को ाऄांजाम देते हैं। ऐसी बातों को हम

    बहुत ही ाअसानी से लेते हैं जबदक हमें सतकचता बरतनी र्ासहए।

    समिताः, दकसी भी तकनीक का सनमाचण मानव जीवन को ाअसान

    बनाने के सलए होता है , दकन्तु समय के साथ ाईसके दरुुपयोग भी होने

    लगता ह।ै कोाइ भी तकनीक ाऄपने ाअप में ाऄच्छी या बुरी नहीं होती ,

    बसल्क हमारे द्वरा सदपुयोग या दरुुपयोग ाईसे ाऄच्छा या बुरा बनाता

    ह।ै

    12

    राजभाषा सनयम 1976:

    1976 के राजभाषा सनयमों के ाऄांतगचत 12 सनयम हैं, सजनका ाऄनुपालन दकया जाना ाऄसनवायच ह।ै राजभाषा सनयम के ाऄांतगचत समस्त

    दशे को तीन क्षेत्रों में वगीकृत दकया गया ह ै– ‘क’ क्षेत्र, ‘ख’ क्षेत्र एवां ‘ग’ क्षेत्र।

    क्षेत्र ‘क’ में सबहार, हटरयाणा, सहमार्ल प्रदशे, मध्य प्रदशे, छिीसगढ़, झारखांड, ाईिराखांड, राजस्थान और ाईिर प्रदशे राज्य तथा

    ाऄांडमान और सनकोबार द्वीप समूह, ददल्ली सांघ राज्य क्षेत्र को रखा गया ह।ै

    क्षेत्र ‘ख’ में गुजरात, महाराष्ट्र और पांजाब राज्य तथा र्ांडीगढ़, दमण और दीव तथा दादर और नागर हवेली सांघ राज्य क्षेत्र शासमल हैं।

    क्षेत्र ‘ग’ में ाईपरोक्त के ाऄसतटरक्त शेष सभी राज्य तथा सांघ राज्य क्षते्रों का समावेश होता ह।ै

    http://www.nsc.org/learn/NSC-Initiatives/Pages/distracted-driving-problem-of-cell-phone-distracted-driving.aspxhttp://www.nsc.org/learn/NSC-Initiatives/Pages/distracted-driving-problem-of-cell-phone-distracted-driving.aspxhttps://blog.udemy.com/advantages-and-disadvantages-of-mobile-phones/https://blog.udemy.com/advantages-and-disadvantages-of-mobile-phones/https://blog.udemy.com/advantages-and-disadvantages-of-mobile-phones/

  • मुद्रा ाऊण योजना

    तले दबे रहते हैं। जब व्यापार में नाकामी हाथ लगती ह ैतो ये साहूकार

    ाऄपनी ताकत और ाऄन्य ाऄपमानजनक तरीकों से ाऊण लेने वालों का

    जीना दभूर कर देते हैं।

    एनएसएसओ के 2013 के सवे के मुतासबक भारत में तकरीबन 5.77

    करोड़ लघु व्यवसासयक ाआकााआयााँ हैं। ाआनमें से ज्यादातर एकल स्वासमत्व

    के तहत र्ल रही हैं। ाआनमें व्यापार , सनमाचण, टरिेल और छोिे स्तर की

    ाऄन्य गसतसवसधयााँ शासमल हैं। यदद ाआनकी तुलना सांगटठत क्षेत्र और बड़ी

    कां पसनयों से की जाए तो यह क्षेत्र ससफच 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार

    देता है । स्पि तौर पर ाआन लघु व्यवसायों के पोषण और दोहन की

    सवशाल सांभावनाएाँ हैं और सरकार भी ाआसे ाऄच्छे-से समझती ह।ै ाअज ,

    ाआस क्षेत्र में न तो कोाइ सनयामक ह ैऔर न ही सांगटठत सविीय बैंककग

    प्रणाली से सविीय सहयोग या सहारा समलता ह।ै

    मुद्रा बैंक के प्रमुख ाईद्देश्य ाआस प्रकार हाैः

    1.सूक्ष्म सवि के ाऊणदाता और ाऊणगृसहता का सनयमन और सूक्ष्म सवि

    प्रणाली में सनयमन और समावेशी भागीदारी को सुसनसित करते हुए

    ाईसे स्थासयत्व प्रदान करना।

    2. सूक्ष्म सवि सांस्थाओं (एमएफाअाइ) और छोिे व्यापाटरयों, टरिेलसच,

    स्वसहायता समूहों और व्यसक्तयों को ाईधार देने वाली एजेंससयों को

    सवि एवां ाईधार गसतसवसधयों में सहयोग देना।

    3. सभी एमएफाअाइ को रसजस्िर करना और पहली बार प्रदशचन के स्तर

    (परफॉमंस रेरिग) और ाऄसधमान्यता की प्रणाली शुरू करना। ाआससे ाऊण

    लेने से पहले ाअकलन और ाईस एमएफाअाइ तक पहुाँर्ने में मदद समलेगी,

    जो ाईनकी जरूरतों को पूरी करता हो और सजसका पुराना टरकॉडच सबसे

    ज्यादा सांतोषजनक ह।ै ाआससे एमएफाअाइ में प्रसतस्पधाचत्मकता बढ़ेगी।

    ाआसका फायदा ाऊण लेने वालों को समलेगा।

    4. ाऊण लेने वालों को ढााँर्ागत ददशासनदेश ाईपलब्ध कराना, सजन पर

    ाऄमल करते हुए व्यापार में नाकामी से बर्ा जा सके या समय पर

    ाईसर्त कदम ाईठाए जा सकें । सडफॉल्ि के मामल ेमें बकाया पैसे की

    वसूली के सलए दकस स्वीकायच प्रदक्रया या ददशासनदेशों का पालन करना

    ह,ै ाईसे बनाने में मुद्रा मदद करेगा।

    5. मानकीकृत सनयम-पत्र तैयार करना, जो भसवष्य में सूक्ष्म व्यवसाय

    की रीढ़ बनेगा।

    6. सूक्ष्य व्यवसायों को ददए जाने वाले ाऊण के सलए गारांिी देने के सलए

    के्रसडि गारांिी स्कीम बनाएगा।

    7. सवतटरत की गाइ पूाँजी की सनगरानी, ाऊण लेने और देने की प्रदक्रया में

    13

    सववेक यादव

    प्रबांधक

    सीएमओ-क्लाससक, बरेली

    “मुद्रा” का पूरा नाम “सूक्ष्म ाआकााइ सवकास एवां पुनर्थविीयन

    सांस्था”(मााआक्रो यूसनि डेव्लपमेंि एांड रीफ़ीनांहसग एजेंसी) ह।ै ाआस की

    शुरुाअत 08 ाऄप्रैल 2015 को माननीय प्रधानमांत्री द्वारा “प्रधानमांत्री

    मुद्रा योजना” नाम से की गाइ थी। हमारे कॉपोरेि कायाचलय द्वारा

    ससतांबर 2015 में समस्त शाखाओं को पहली बार मुद्रा ाऊण का लक्ष्य

    ददया गया , सजसे प्राप्त करने में क्षेत्र के सभी फील्ड प दाधाटरयों न े

    योगदान ददया और शहरी व िामीण जनता को बड़े स्तर पर ाऊण

    स्वीकृत दकए गए सजससे ाअम लोगों को रोजगार समला । भारत

    सरकार ने एमएसएमाइ के ाऄांतगचत 10 लाख रुपए तक के ाऊण को मुद्रा

    ाऊण के ाऄांतगचत रखा गया ह ै। ाआस का ाअवेदन करने के सलए कोाइ भी

    भारतीय नागटरक पात्र ह ै। यदद दकसी के पास कोलेट्रल ाअसस्त बैंक में

    जमा करने के सलए नहीं ह ैतो ाईसके सलए भारत सरकार द्वारा

    गटठत पोिचफोसलयो के्रसडि गारांिी (सीजीएफ़एमयू) के माध्यम से ाऊण

    प्रदान दकया जा सकता है । परांत ुप्राथसमक ससक्यूटरिी जो दक ाऊण के

    माध्यम से खरीदी गयी है, ाईसे बैंक के नाम में बांधक करना ाअवश्यक ह ै

    । ाअरबीाअाइ ने जुलााइ 2016 में कृसष ाऊण के ाऄांतगचत गाय, भैंस, मुगी,

    मछ्ली पालन को भी ाआसमें शासमल दकया है , सज सका लाभ देश के

    ाऄनसगनत नागटरकों तक पहुाँर् रहा ह ै।

    मुद्रा बैंक दकस तरह ाऄथचव्यवस्था में ाऄांतर पैदा कर

    सकता ह?ै

    ज्यादातर लोग , खासकर भारत के िामीण और दरूस्थ सहस्सों में रहने

    वाले, औपर्ाटरक बैंककग प्रणाली के लाभों के दायरे से बाहर हैं। ाआस

    वजह से वे छोिे व्यापार शुरू करने या ाईन्हें बढ़ाने में मदद के सलए

    बीमा, ाईधार और ाऄन्य सविीय ाईपकरणों तक पहुाँर् ही नहीं पाते।

    ाईधार के सलए ज्यादातर लोग स्थानीय साहूकारों पर सनभचर रहते हैं।

    ाऊण पर बहुत ज्यादा ब्याज रु्काना होता ह।ै ाऄक्सर पटरसस्थत यााँ

    ाऄसहनीय हो जाती हैं। ाआस वजह से पीसऺढयों तक ये गरीब लोग ाऊण के

  • मदद के सलए ाईसर्त तकनीक मुहयैा कराएगा।

    8. छोिे और सूक्ष्म व्यवसायों को प्रभावी ढांग से छोिे ाऊण मुहयैा कराने

    की प्रभावी प्रणाली सवकससत करने के सलए प्रधानमांत्री मुद्रा योजना के

    तहत ाईपयुक्त ढााँर्ा तैयार करना।

    प्रमुख ाईत्पादों की पेशकश

    मुद्रा बैंक ने ाऊण लेने वालों को तीन सहस्सों में बााँिा हाैः व्यवसाय शुरू

    करने वाले , मध्यम सस्थसत में ाऊण तलाशने वाले और सवकास के ाऄगले

    स्तर पर जाने की र्ाहत रखने वाले।

    ाआन तीन सहस्सों की जरूरतों को पूरा करने के सलए मुद्रा बैंक ने तीन ाऊण

    ाईपकरणों की शुरुाअत की हाैः

    1. सशशुाः ाआसके दायरे में 50 हजार रुपए तक के ाऊण ाअते हैं।

    2. दकशोराः ाआसके दायरे में 50 हजार से 5 लाख रुपए तक के ाऊण ाअते

    हैं।

    3. तरुणाः ाआसके दायरे में 5 से 10 लाख रुपए तक के ाऊण ाअते हैं।

    शुरुाअत में कुछ ही क्षेत्रों तक योजना एाँ सीसमत थीं, जैसे- “जमीन

    पटरवहन, सामुदासयक, सामासजक एवां वैयसक्तक सेवा एाँ, खाद्य ाईत्पाद

    और िेक्सिााआल प्रोडक्ि सेक्िर ”। ाअगे धीरे-धीरे और क्षेत्रों को शासमल

    दकया गया।

    भसवष्य में की जाने वाली कुछ पेशकशाः

    1. मुद्रा काडच

    2. पोिचफोसलयो के्रसडि गारांिी

    3. साख बढ़ोतरी (के्रसडि एनहाांसमेंि)

    क्या मुद्रा वास्तव में भारत के सलए सनणाचयक सासबत हो

    सकता ह?ै

    ाऄगर मौजूदा जनसाांसख्यकीय को देखें तो पता र्लता है भारत की

    बहुसांख्य ाअबादी गरीब ह।ै ये ाऄसधकाांशताः भारत के िामीण और दरू-

    दराज क्षेत्रों में रहते हैं। ाआनमें से ज्यादातर को बुसनयादी सुसवधा एाँ तक

    ाईपलब्ध नहीं हैं। ज्यादातर लोगों के पास खेती के सलए जमीन नहीं ह ै

    और नौकटरयों के ाऄभाव में जीवनयापन के सलए ाईन्हें ाऄपनी

    सृजनात्मकता पर सनभचर रहना पड़ता ह।ै वे सवषम कामों को करने के

    रास्ते तलाशते हैं। पैसे की खासतर या सेवाओं के बदले वस्तएुाँ लेकर वे

    ाऄपनी ाअजीसवका र्लाते हैं। ाआनमें से ज्यादातर लोग ाऄनुसूसर्त जासत ,

    ाऄनुसूसर्त जनजासत और ाऄन्य सपछड़ा वगों से हैं। सबसे महत्वपूणच

    ध्यातव्य बात यह ह ैदक ज्यादातर छोिे कारोबार , टरिेल या व्यापाटरक

    गसतसवसधयााँ, मसहलाएाँ शुरू करती हैं और सनयांसत्रत भी। जबदक ाईनके

    पास सशक्षा, औपर्ाटरक प्रसशक्षक या दकसी भी तरह का बैंककग सहयोग

    नहीं रहता। ाऄब यदद कल्पना की जाय दक भारत ाईद्यम की ाआस मुक्त

    भावना का दोहन करे। कुछ मागचदशचन , सहयोग, प्रसशक्षण और सविीय

    सहयोग ददया जाए तो जीडीपी में तत्काल ाईछाल ाअ सकता ह।ै

    माननीय प्रधानमांत्री ने ाआसे पहर्ाना। ाईन्हें कम ाउाँ र्ााइ पर लिके ाआस

    फल की क्षमता स्पि तौर पर पता थी।

    यदद मुद्रा वांसर्त तबके पर ाऄपना फोकस कायम रख पाया और ाऄांदरूनी

    ाआलाकों तक ाऄपनी पहुाँर् बना पाया तो , यह बाांग्लादेश िामीण बैंक से

    बड़ी सक्सेस स्िोरी के तौर पर सामने ाअ सकता ह।ै

    पुरानी कहावत हैाः “एक व्यसक्त को मछली सखलाओ। ाईसे मछली पकड़ना

    ससखाओ और वह कभी भूखा नहीं रहगेा ”। मुद्रा बैंक सरकार का एक

    ऐसा कदम ह,ै जो सनणाचयक सासबत हो सकता ह।ै नए ाईद्यसमयों को जन्म

    दे सकता ह।ै ाईनमें से कुछ ाउाँ र्ााआयों को छू सकते हैं , सजनकी ाअज

    कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह ससब्सडी देने से , जो शुरुाअत में तो

    स्वागतयोग्य लगती ह ैलेदकन बेहतर हजदगी के प्रयासों में बहुत कम

    मदद करती है , कहीं बेहतर ह।ै मुद्रा एक ऐसा रास्ता ह ैसजस पर ाअगे

    बढ़ा जा सकता ह।ै

    मुद्रा बैंक के कामकाज के तौर-तरीके तय हो रु्के हैं। यह सनणचय सलया

    गया ह ैदक सूक्ष्म सवि सांस्थानों की ओर से पैसा ाईपलब्ध कराया जाएगा।

    हालााँदक, छोिे व्यवसायों को मुद्रा बैंक से जुड़ी पूरी जानकारी हाससल

    करने और ाऊण के सलए कौन पात्र ह ैऔर ाआस योजना का लाभ दकस

    तरह सलया जा सकेगा, ाआसकी स्पिता के सलए ाआांतजार करना होगा।

    हमारे बैंक व क्षेत्र में मुद्रा ाऊण की वतचमान सस्थसत

    हमारे बैंक द्वारा भी मुद्रा ाऊण योजना के प्रर्ार प्रसार के सलए समय

    समय पर कैं प ाअयोसजत दकए जाते हैं। सीएमओ -क्लाससक, बरेली के

    ाऄांतगचत ाअने वाली बहुत सी शाखाएाँ छोिे क्षेत्रों एवां दगुचम पहासड़यों में

    सस्थत हैं, दफर भी हमने सविीय वषच 2016-17 में 15.25 करोड़ के ाऊण

    स्वीकृत दकए हैं और ाअगे भी ाआसकी वृसि के सलए प्रयासरत हैं।

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  • राजभाषा ाऄसधसनयम, 1963 की धारा 3(3)

    राजभाषा सनयम: प्रमुख प्रावधान

    सनयम 5: सहन्दी में प्राप्त(या हस्ताक्षटरत) सभी पत्रों के ाईिर सहन्दी में ही ददया जाना ाऄसनवायच ह।ै

    सनयम 11: सभी मैन्यूाऄल, कोड, प्रदक्रया सांबांधी समस्त सासहत्य, लेखन सामिी सद्वभाषी रूप में तैयार करवाने जाने र्ासहए.

    सनयम 12 : कायाचलय के प्रमुख का यह ाईिरदासयत्व होगा दक वह:

    राजभाषा ाऄसधसनयम व सनयमों का ाऄनुपालन सुसनसित करे।

    ाईपयुक्त व प्रभावकारी जााँर् के सलए ाईपाय करे।

    ाअवश्यक सनदेश जारी करे।

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  • ‘भीम’ एप्प के बारे में प्रायाः पूछे जाने वाले प्रश्न

    भीम क्या ह?ै

    भीम एक एसप्लकेशन है , जो यूपीाअाइ के माध्यम से ाअपको सरल व त्वटरत लेन-दने , भुगतान में सक्षम बनाता ह।ै यह वालेट्स से भी

    सुसवधाजनक ह!ै ाअपको बार-बार बोसझल खाते सववरण को भरने की जरूरत नहीं पड़गेी। ससफच मोबााआल नांबर या भुगतान पते से ाअप

    ाअसानी से ‘बैंक से बैंक’ भुगतान कर सकते हैं और तुरांत पैसे मांगा भी सकते हैं।

    भीम एप्प के प्रयोग के सलए क्या-क्या ाअवश्यक ह?ै

    ाआसके सलए एक स्मािचफोन , मोबााआल ाआांिरनेि , यूपीाअाइ भुगतान समर्थथत एक भारतीय बैंक खाता और मोबााआल नांबर बैंक खाते से जुड़ा

    होना ाअवश्यक ह।ै

    भीम एप्प के सलए यूपीाअाइ-सपन कैसे बनेगा?

    ाअप ‘मुख्य सूर्ी>बैंक खाता>यूपीाअाइ सपन बनाएाँ ’ के माध्यम से र्यसनत खाते के सपए यूपीाअाइ-सपन बना सकत�