प्रयोगशाला पुस्तिका के सवषय में...प रय...

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1 योगशाला प सका के सवषय म अच विन वि बच क जिन और विन क वि ईमनदर होि है । — रय पठ्यय की परख – 2005 विन सीखने के दो आिशक घटक होने चवहए – न के ढँचे की समझ और उन म की समझ विनके र न क वनमण, सपन और चरण होत है । हमरे देश म विली विन की ितमन वसवत नमम को इनम से वकसी एक घटक को स ट करती है और अन क अविकतर धन नह दे पती । अन शबद म, हमर त विन की स कलपनओ की उतपव एि चन करने िले म पर जोर देने के बि, परणम त करने के वलए विन के तथ को रटने से भर हुआ है । अन िन ने दश है वक छोटे बचचे म त और एक तरफ विचरक नह होते ह, िे आशच िनक प से पररकत एि विविि विचरक मतएँ दशते ह । उनके पस कत विशि क पत न होत है । अत: क छ वशविद के मध ह भिन, वक बचच के मवसतक खली घडे होते ह विनह वशक के अन देश के मधम से नोद की ती रहती है, प ण प से असमनी तक है । िब बचचे उच वमक सतर पर पहुँच िते ह तो िे ि की स नतमक िव के स होते ह और अपने आस-पस की द वन के बरे म बोि और तक के विवभनन तरीक की सहि ोगत विकवसत वकए हो सकते ह । इन िसतविकतओ की रोशनी म, विन वशण अविगम क वपछले क छ दशक म रगमी प तरण भी हो ग है । इसने वशक-क वत से बल-क वत, म िनकरी के उबऊ स ेण से न क सिन, क-क म वनव वखओ से िोशप ण, अनोनवतमक, वकलप आिररत अविगम रटकर द करने से रचनतमक ोग करन और आन भविक अविगम िैसे आम ल-च ल बदलि देखे ह । सवान के सशण-असिगम को रोमा चक कै से बनाएँ? क मैगनीवशम के एक ट कडे को िलत हुआ देखन रोम चक नह होत, बि इसके वक उसे पकर द कर लेन वक ह कैसे िलत है? क वकसी फ ल को खोलन और उसके भग क अिलोकन करन रोम चक नह होत बि इसके वक उसे प सतक म प वल िए? अपनी हेली म बफ क कड रखन वकतन मिेदर और रोम चक होग (आप अहस कर सकते ह चीख सकते ह) लेवकन

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Page 1: प्रयोगशाला पुस्तिका के सवषय में...प रय गश ल प स त क क सवषय म अच छ व ज ञ न व क

1

परयोगशाला पसतिका क सवषय म

अचछी विजञान विकञा बचच कच जछीिन और विजञान कच परवि ईमञानदञार होिछी ह ।

— रञाषटछीय पञाठययञाया की रपरचखञा – 2005

विजञान सीखन क दो आिशयक घटक होन चञावहए – जञान क ढञाच की समझ और उन परकरमो की समझ विनक दञारञा जञान कञा वनमञामाण, सञापन और सचरण होतञा ह । हमञार दश म विदञालयी विजञान की ितमामञान वसवत नञाममञातर को इनम स वकसी एक घटक को सतषट करती ह और अनय कञा अविकतर धयञान नही द पञाती । अनय शबदो म, हमञारञा ततर विजञान की सकलपनञाओ की उतपवति एि सचयन करन िञाल परकरम पर जोर दन क बिञाय, पररणञाम परञापत करन क वलए विजञान क तथयो को रटन स भरञा हआ ह ।

अनसिञान न दशञामायञा ह वक छोट बचच मतमा और एक तरफञा विचञारक नही होत ह, ि आशचयमािनक रप स पररषकक त एि विविि विचञारक कषमतञाए दशञामात ह । उनक पञास परञाकक त विशि कञा पयञामापत जञान होतञा ह । अत: कछ वशकषञाविदो क मधय यह भञािनञा, वक बचचो क मवसतषक खञाली घड होत ह विनह वशकषक क अनदशो क मञाधयम स जञानोदय की परतीकषञा रहती ह, पणमा रप स असम मानीय तकमा ह । िब बचच उचच परञावमक सतर पर पहच िञात ह तो ि िरषो की सजञानञातमक िकवधि क सञा होत ह और अपन आस-पञास की दवनयञा क बञार म बोि और तकमा क विवभनन तरीको की सहि योगयतञा विकवसत वकए हो सकत ह । इन िञासतविकतञाओ की रोशनी म, विजञान वशकषण अविगम कञा वपछल कछ दशको म दरगञामी रपञातरण भी हो गयञा ह । इसन वशकषक-क वरित स बञाल-क वरित, मञातर िञानकञारी क उबञाऊ सपररण स जञान कञा सकिन, ककषञा-ककषो म वनवषकरय वयञाखयञाओ स िोशपणमा, अनयोनयवकरयञातमक, वकरयञाकलञाप आिञाररत अविगम रटकर यञाद करन स रचनञातमक परयोग करनञा और आनभविक अविगम िस आमल-चल बदलञाि दख ह ।

सवजान क सशकषण-असिगम को रोमाचक कस बनाए?कयञा मगनीवशयम क एक टकड को िलतञा हआ दखनञा रोमञाचक नही होतञा, बिञाय इसक वक उस पढकर यञाद कर लनञा वक यह कस िलतञा ह? कयञा वकसी फल को खोलनञा और उसक भञागो कञा अिलोकन करनञा रोमञाचक नही होतञा बिञाय इसक वक उस पसतक म पढ वलयञा िञाए? अपनी हली म बफमा कञा टकडञा रखनञा वकतनञा मिदञार और रोमञाचक होगञा (आप अटञाहञास कर सकत ह यञा चीख सकत ह) लवकन

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परयोगशाला पसतिका सिजान — उच‍च पराथसिक तिर

2

सञा ही दखनञा वक बफमा कस वपघलकर िल म पररिवतमात होती ह? इस परकञार क रोमञाचक अनभिो की सची कञा कोई अनत नही, विनह हम विजञान की ककषञा म योवित कर सकत ह ।

विदञालयो म सीखन की परवकरयञा को रोमञाचक बनञान और बचच की विशि की वदन-परवतवदन की समझ पर आिञाररत िजञावनक तथयो क वनमञामाण क वलए भी, रञाषटीय पञाठयचयञामा की रपरखञा–2005 न हमञार विदञालयो म वशकषण अविगम क वलए एक रचनञािञादी परवतमञान सझञायञा ह । विदञालयो/वशकषको और बचचो को मदद करन क वलए एन.सी.ई.आर.टी. न विजञान म पञाठयपसतक तयञार की ह, विनम एक अनतवनमावहत, वकरयञाकलञाप-अवभमखी और बञाल-क वरित उपञागम ह । यह एक जञात तथय ह वक हमञार अविकञाश गञामीण विदञालयो म कोई परयोगशञालञा सवििञाए नही ह और बचच बहत नकसञान म रहत ह कयोवक ि वकरयञाकलञाप करन क रोमञाच स िवचत रह िञात ह । इन बवनयञादी सचचञाइयो को धयञान म रखत हए, हमन बहत सरल परकक वत क वकरयञाकलञाप सझञाए ह, तञावक वशकषक और विदञाथी उनह नयनतम आिशयक उपकरणो और सञामवगयो क सञा आसञानी स कर सक । य वकरयञाकलञाप विदञाव मायो को विजञान की सकलपनञाओ को अविक परभञािी रप म समझन म मदद करग । इसस यिञा मञानस िजञावनक खोि क प पर चलन क वलए परवरत होग तञा समय क सञा-सञा उनम िजञावनक अवभिकवति क सभी आिशयक अियिो, िस– परकषण, पररकलपनञा, परयोग, विशलरण, मलयञाकन और वनषकरमा वनकञालनञा, क विकञास म मदद वमलगी।

ककषञाओ 6, 7 और 8 की विजञान की ितमामञान पञाठयपसतको म िजञावनक सकलपनञाओ को विरय विशर क अनरप नही बनञायञा गयञा ह परनत उनह ीमो (मल विरयो) क आस-पञास वयिवसत वकयञा गयञा ह । य ीम ह — भोिन; पदञा मा; िीि-िगत; गवतमञान िसतए, लोग और विचञार; िसतए कस कञायमा करती ह; परञाकक वतक पररघटनञाए और परञाकक वतक ससञािन ।

यदवप हमञारी पञाठयपसतक वकरयञाकलञापो क अनक अिसर उपलबि करञाती ह, वफर भी यह अनभि वकयञा गयञा वक वशकषको और विदञावमायो को कछ परमख वकरयञाकलञाप करन क वलए अविक विसतकत और सपररषकक त िञानकञारी दी िञानी चञावहए । इस आिशयकतञा को परञा करन क वलए वकरयञाकलञापो की यह परयोगशञालञा पसतक तयञार की गई ह । इस पसतक को विदञाथी अनकल बनञान क परयञास वकए गए ह । यह पसतक ि तरीक भी दशञामाती ह विनस वकसी वकरयञाकलञाप को एक सरल पररयोिनञा म रपञातररत वकयञा िञा सकतञा ह विस बचच सिय कर सकत ह । बचचो को सरल, समयबधि पररयोिनञाए लन क वलए परोतसञावहत करनञा चञावहए, कयोवक यह उनह ककषञा-ककष स बञाहर भी खोि और परयोग करन क मञागमा पर ल िञाएगञा । परतयक वकरयञाकलञाप क उपशीरमाक ऐस ह वक ि बचचो क सञा औवचतयपणमा सीि सिञाद विमवशमात करत ह । उदञाहरण क वलए परपरञागत उपशीरमाक ‘उदशय’ क सञान पर ‘हम कयञा करनञा ह?’ बचच स सीिञा सिञाद करतञा ह और ततकञाल बचच की विजञासञाओ को कनरि म ल आतञा ह । इसी परकञार अनय सभी उपशीरमाको म वशकषञाशञासतीय सझञाि वनवहत ह । परतयक वकरयञाकलञाप म ‘वशकषक क वलए’ उपशीरमाक क अनतगमात बचचो क परशनो क उतिर दन क वलए उपयकत सकत वदए गए ह और वकरयञाकलञाप करन क वलए सञाििञावनयञा दी गई ह ।

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परयोगशाला पि स‍तका क ििषय म

बचचो को अपनञा कञायमा अविक परभञािी रप स करन म मदद हत िकवलपक सञामगी और िकवलपक वकरयञाकलञापो क वलए भी सझञाि वदए गए ह ।

सीखन क सलए बाल-कसरिति, सरियाकलाप आिाररति उपागम क लाभ ह सक यह —zिजञावनक सोच विकवसत करतञा ह और पञाठयचयञामा सबिी सकलपनञाओ को सदढ

करतञा ह;

zरचनञातमकतञा और निञाचञार को पोवरत करतञा ह;

zतञावकमा क और विशलरणञातमक सोच को विकवसत करतञा ह;

zपरकषण कौशलो को सिञारतञा ह;

zआनददञायक और अ मापणमा अविगम अनभि उपलबि करञातञा ह;

“Science is built up of facts, as a house is with of stones. But a collection of facts is no more a science than a heap of stones in a house”

Henri Poincare,La Science et el’Hypothese (1908)

( विजञान िथयो सच वनवमयाि होिञा ह, जसच वक मकञान पतथरो सच । परनित मञातर िथयो कञा सगरह विजञान नही होिञा, जसच पतथरो कञा ढचर एक मकञान नही होिञा।)

— हचनरछी पॉइनकच यर

लञा सञाइस एट एल हञाइपॉवथस (1908)

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परयोगशाला पसतिका सिजान — उच‍च पराथसिक तिर

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“ ििपपणी ”

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हम कया करना ह ?बीिो स पौि कस उगत ह, यह दखन क वलए बीिो को अकररत करनञा ।

हम कया सामगी चासहए ?चनञा यञा मग क कछ सख बीि, पटी विश, सती कपडञा ।

आग कस बढ ?1. चन यञा मग क 20 –25 सख बीिो को पञानी स भरी पटी विश यञा पञातर म वभगो द ।

2. अगल वदन अवतररकत पञानी को वनकञाल द और सती कपडञा गीलञा करक इन बीिो को ढक द ।

3. दो- तीन वदन तक इस सती कपड को वनयवमत अतरञाल पर गीलञा करक इस नम बनञाए रख । परवतवदन बीिो को िोए विसस वक बीि सडन/ गलन न पञाए ।

4. परवतवदन बीिो को धयञान स दख ।

थीम

1

वतर 1.1 नच कच बछीज (a) ितषक (b) अकत ररि

(a) (b)

भोजन

िरियाकलाप 1

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परयोगशाला पसतिका सिजान — उच‍च पराथसिक तिर

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हमन कया परकषण सकया ?पहल वदन बीि फल गए यञा उनकञा आकञार बडञा हो गयञा । अगल वदन परतयक बीि म स एक छोटी-सी सफद सरचनञा वनकल आती ह । अगल दो-तीन वदनो म यह सरचनञा िीर-िीर लमबी हो िञाती ह और इसकी नोक क पीछ चञारो तरफ छोटी-छोटी बञाल िसी उदिमा (बञाहर की ओर वनकली हइमा सरचनञा) वदखञाई दती ह ।

हमारा सनषकषष कया ह ?zपञानी की उपवसवत स बीि अकररत होत ह । बीिो स पौि विकवसत होन की परवकरयञा को अकरण

(यञा अकर कञा वनकलनञा) कहत ह ।

zअकरण क दौरञान, सबस पहल वदखञाई दन िञाली सफद आकञार की सरचनञाए िडो क रप म विकवसत हो िञाती ह ।

zबञाद म वनकलन िञाल बञाल िस उदिमा मलरोम होत ह ।

zअगर बीिो को कछ और वदनो तक नम रखञा िञाए तो बीि क उसी वबद स एक और सफद सरचनञा परसफवटत होगी िो बञाद म तन क रप म विकवसत होती ह ।

(a) (b)बछीज सच परस त वटि होिञा ननहञा पौधञा

वतर 1.2

आओ उततर द 1. रसोईघर म विबबो म रखी दञालो म अकरण कयो नही होतञा ह ?

2. पौि क उस भञाग कञा नञाम बतञाइए िहञा बीि वसत होत ह ।

3. कयञा बीि कभी मञातक पञादप (mother plant) पर अकररत होत ह? कञारण बतञात हए अपनञा उतिर दीविए ।

4. कयञा सभी पौिो म स बीि उतपनन होत ह ? उदञाहरणो सवहत अपनञा उतिर दीविए ।

5. अनय पधिवतयञा कौन-सी ह विनस पौिो कञा पनरतपञादन वकयञा िञा सकतञा ह ?

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भोजन

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हम और कया कर सकति ह ? zउपयमाकत वकरयञाकलञाप को घर पर अलग-अलग बीिो पर दबञारञा कर / दोहरञाए उस धयञान स दख

और 2–3 वदनो बञाद इसक बञार म अधयञापक को बतञाए ।

z1–2 अकररत बीिो को एक बतमान म वमटी यञा रत म बो द और रोज उसम पञानी द । आप दखग वक बीि एक छोट पौि क रप म विकवसत हो िञाएग विसकञा आकञार िीर-िीर बडञा हो िञाएगञा । परवतवदन पौि की ऊचञाई को धयञान स दख । यह भी नोट कर वक इसम पहली पतिी वकतन वदनो म वनकलती ह । पवतियो और िडो क सञा एक छोट पौि कञा वचतर बनञाए ।

सशकषक क सलएवकरयञाकलञाप आरमभ करन स पहल अधयञापक को चञावहए वक िह बीि क अकरण की अििञारणञा सपषट कर । इस वकरयञाकलञाप को गकहकञायमा क रप म करन क वलए भी कहञा िञा सकतञा ह । अधयञापक परवतवदन अकरण की परवकरयञा पर गौर करन म छञातरो की सहञायतञा कर ।

“ ििपपणी ”

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परयोगशाला पसतिका सिजान — उच‍च पराथसिक तिर

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हम कया करना ह ?खञाद पदञाषो म सटञाचमा (कञाबबोहञाइडट), परोटीन और िसञा की उपवसवत कञा परीकषण करनञा ।

2A खादय पदाथथो म सिारच (कारबोहाइडि) की उपिसथि‍त का परीकषण करना ।

हम कया सामगी चासहए ?िबलरोटी कञा एक टकडञा, आल कञा टकडञा, भीग हए कञाबली चन क बीि, पटीविश, 3% आयोिीन विलयन, डरॉपर ।

आग कस बढ ?1. िबलरोटी कञा एक टकडञा, आल कञा टकडञा और भीग हए कञाबली चन क वछलक उतञार हए

कछ बीि, अलग-अलग और सिचछ पटीविश म रख ।

2. डरॉपर की सहञायतञा स परतयक सञामगी पर आयोिीन विलयन की 2–3 बद िञाल ।

3. रग म होन िञाल पररितमान को नोट कर और अपन परकषणो को ररकरॉिमा कर ।

वतर 2.1सटञाया कञा परछीकण

िरियाकलाप 2

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भोजन

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वतर 2.2परोटछीन कच वलए परछीकण

हमन कया परकषण सकया ?िबलरोटी क टकड और आल क टकड पर नीलञा-कञालञा रग वदखञाई दन लगतञा ह िबवक कञाबली चन क बीिो क रग म कोई पररितमान नही होतञा ह ।

हमारा सनषकषष कया ह ?zिबलरोटी और आल म सटञाचमा होतञा ह विसक कञारण आयोिीन विलयन वमलञान पर नीलञा-कञालञा

रग परकट हो िञातञा ह िबवक कञाबली चन म सटञाचमा नही होन क कञारण इनक रग म कोई पररितमान नही होतञा ह ।

zसटञाचमा कञाबबोहञाइडट कञा एक परकञार होतञा ह िो वक हमञार अनक खञाद पदञाषो म उपवसत रहतञा ह । कञाबबोहञाइडट भोिन क ि घटक होत ह विनस हम ऊिञामा वमलती ह ।

हम कया करना ह ?

2B खादय पदाथथो म परोिीन की उपिसथि‍त का परीकषण करना ।

हम कया सामगी चासहए ?चन यञा मटर क बीि, एक कलञा, परखनवलयञा, िल, करॉपर सलफट विलयन, कञावसटक सोिञा, डरॉपर ।

आग कस बढ ?1. चन यञा मटर क 10 –15 बीिो कञा चणमा बनञा ल और कल क एक टकड को

पसट बनञान क वलए अलग स मसल ल ।

2. इन खञाद पदञाषो को ोडी मञातरञा म अलग-अलग परखनवलयो म िञाल और उन पर ‘A’ और ‘B’ लबल लगञा द ।

3. परतयक परखनली म िल की 10 –15 बद िञाल ।

4. डरॉपर की मदद स परतयक परखनली म 2–3 बद करॉपर सलफट विलयन की और 10 बद कञावसटक सोिञा की िञाल (वचतर 2.2) ।

5. परखनवलयो को अचछी तरह वहलञाए और कछ वमनटो क वलए एक तरफ रख द ।

6. रग म होन िञाल पररितमान को नोट कर और अपन परकषणो को ररकरॉिमा कर ।

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परयोगशाला पसतिका सिजान — उच‍च पराथसिक तिर

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हमन कया परकषण सकया ?परखनली ‘A’ म वलए गय चन यञा मटर क बीि क चणमा क घोल कञा रग बगनी हो गयञा िबवक परखनली ‘B’ म रख मसल हए कल क घोल क रग म पररितमान नही हआ ।

हमारा सनषकषष कया ह ?zपरखनली ‘A’ म बगनी रग क परकट होन स इस बञात की पवषट होती ह वक चन और मटर

क बीिो म परोटीन होतञा ह । चवक कल म परोटीन नही होतञा ह, परखनली ‘B’ म बगनी रग नही वदखञाई वदयञा ।

zपरोटीन हमञार अनक खञाद पदञाषो म उपवसत रहन िञालञा एक अनय घटक ह । भोिन क इस घटक स शरीर कञा वनमञामाण होतञा ह ।

हम कया करना ह ?

2C खादय पदाथथो म िसा की उपिसथि‍त का परीकषण करना ।

हम कया सामगी चासहए ?मगफली, सखञा नञाररयल, चञािल क दञान, सफद कञागज ।

आग कस बढ ?1. सफद कञागज की तीन शीट ल ।

2. कञागजो की अलग-अलग शीट पर कछ मगफवलयञा, सख नञाररयल (खोपरञा) क टकड और चञािल क दञान रख ।

3. कञागज को इस परकञार मोड वक इसम रखी सञामगी सब तरफ स कञागज स ढक िञाए ।

4. यह धयञान रखत हए वक कञागज फट न िञाए, खञाद सञामगी को चर-चर कर ।

5. कञागजो को खोवलए और खञाद सञामगी को उन पर स हटञा ल ।

6. कञागजो को सखन द और कञागजो की परकक वत म हए पररितमान को नोट कर ।

7. कञागजो को वकसी परकञाश क सोत क सञामन लञाए और अपन परकषणो को ररकरॉिमा कर ।

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भोजन

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हमन कया परकषण सकया ?मगफली और सख नञाररयल क टकड क चञारो ओर वलपट कञागजो पर तल क िबब वदखञाई दत ह िबवक चञािल क दञानो िञाल कञागज पर इस परकञार क िबब नही वदखञाई दत ह । हम िब कञागज को परकञाश क सोत क सञामन करत ह, तल क िबब पञारभञासी परतीत होत ह ।

हमारा सनषकषष कया ह ?zकञागज पर तल क िबबो क वदखञाई दन स मगफली और सख नञाररयल म िसञा की उपवसवत कञा

पतञा चलतञा ह । चञािल क दञानो स कञागज की परकक वत म पररितमान नही होतञा ह कयोवक इनम िसञा नही होती ह । तल क िबब पञारभञासी हो िञात ह कयोवक कञागज की परिकवति तल सोखन की होती ह ।

zिसञा हमञार अनक खञाद पदञाषो म उपवसत रहन िञालञा एक अनय घटक ह । कञाबबोहञाइडट क समञान य भी भोिन क ऊिञामा परदञायक घटक होत ह ।

आओ उततर द 1. भोिन क परमख घटको और परतयक घटक क कम स कम दो खञाद पदञाषो क नञाम बतञाइए ।

2. यवद हम किल कञाबबोहञाइडट समकधि भोिन कञा सिन कर, तो कयञा होगञा ?

3. करॉलम ‘A’ म वदए गए पोरक ततिो को करॉलम ‘B’ म वदए गए उस पोरक तति स समकधि खञाद पदञा मा क सञा वमलञाइए ।

कॉलम ‘A’ कॉलम ‘B’ (a) परोटीन (i) वतल और सरसो क बीि (b) कञाबबोहञाइडट (ii) पतिदञार सवबियञा (c) िसञा (iii) मछली और अणि (d) विटञावमन (iv) गह और चञािल4. वनमनञावकत म स असगत को चवनए और उस विकलप को चनन कञा कञारण बतञाइए । (अ) दढफल (nuts), घी, कलञा, सरिमखी (ब) मटर, गह, अि कञा सफद भञाग, चनञा (स) आम, आल, शकरकद, वतल

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परयोगशाला पसतिका सिजान — उच‍च पराथसिक तिर

12

5. सही विकलप चवनए ।

(a) भोिन क ऊिञामा परदञायक घटक होत ह —

(i) कञाबबोहञाइडट और विटञावमन (ii) परोटीन और िसञा

(iii) कञाबबोहञाइडट और िसञा (iv) िसञा और विटञावमन

(b) अि क पील भञाग म परचर मञातरञा म होतञा ह —

(i) कञाबबोहञाइडट (ii) विटञावमन (iii) परोटीन (iv) िसञा

हम और कया कर सकति ह ? विवभनन खञाद पदञाषो म विवभनन परकञार क पोरक तति होत ह– कञाबबोहञाइडट, परोटीन, िसञा, विटञावमन, और खवनि पदञा मा ।

zउपयमाकत परीकषण उन खञाद पदञाषो पर कीविए विनकञा सिन आप परवतवदन करत ह और पतञा लगञाइए वक उनम वकस परकञार क पोरक तति ह । विशलरण कीविए वक कयञा आप सतवलत आहञार कञा सिन कर रह ह यञा नही । पोरणविद स वमवलए और सिय क वलए सनतवलत आहञार हत परञामशमा कीविए । बलशञाली और सिस बनन क वलए तदनसञार अपन भोिन म सिञार कीविए ।

zकल कञा एक छोटञा टकडञा ल । इस अचछी तरह मसल ल और एक परखनली म िञाल द । इसम 5–10 बद बनविकट विलयन वमलञा द । परखनली को 2–3 वमनट क वलए खौलत हए पञानी िञाल िल ऊषमक (िञाटर बञा) म रख । रकतञाभ-नञारगी रग कञा वदखञाई दनञा, कल म कञाबबोहञाइडट की उपवसवत की पवषट करतञा ह ।

zएक परखनली म अि कञा सफद भञाग िञाल और उसम कछ बद तनकक त नञाइवटक अमल को वमलञा द । परखनली को खौलत हए पञानी िञाल िल ऊषमक म रख िब तक वक पीलञा रग वदखञाई न दन लग । विलयन को ठिञा कर और उसम कछ बद अमोवनयम हञाइडरॉकसञाइि की वमलञा द । चटक (चटकीलञा) नञारगी रग कञा वदखञाई दनञा अि क सफद भञाग म परोटीन की उपवसवत की पवषट करतञा ह ।

zदश क विवभनन कषतरो म खञाए िञान िञाल विवभनन परकञार क वयिनो (खञाद पदञाषो) कञा पतञा लगञाइए । उनकी सची बनञाइए और उनम विदमञान परमख खञाद घटको क अनसञार उनह िगथीकक त कीविए ।

zभोिन म उपवसत पोरक ततिो की अविकतञा और कमी स होन िञाल परभञािो क विरय म पवढए । परभञािो क बञार म अपनी ककषञा म चचञामा कीविए ।

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भोजन

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सशकषक क सलएवकरयञाकलञाप आरमभ करन स पहल, वशकषक भोिन की आिशयकतञा और महति क विरय म बतञाए । खञाद पदञाषो क विवभनन घटको और सतवलत आहञार की अििञारणञा स छञातर अिशय ही पररवचत होन चञावहए । अधयञापक परतयक घटक की महतिञा क बञार म भी चचञामा कर । खञान की आदतो स सबवित वमको को भी सपषट कर । कछ वमक वनमनित ह –

• भोिन लघन स ििन कम होतञा ह (बीच-बीच म भोिन न करन स ििन कम होतञा ह) ।

• परचर मञातरञा म कञाबबोहञाइडट यकत सभी भोजय पदञामा लन स मोटञापञा बढतञा ह ।

वशकषक छञातरो को वनमनञावकत पररयोिनञा द सकत ह । छञातरो स विवभनन खञाद पदञा मा लञान क वलए कहञा िञा सकतञा ह । छञातरो को तीन समहो म बञाटञा िञा सकतञा ह । परतयक समह खञाद पदञा मा क एक विशर घटक कञा परीकषण कर और वनमनञावकत सञारणी भर ।

नोट — कछ खञाद पदञाषो को नीच सचीबधि वकयञा गयञा ह । परीकषण करन क वलए छञातर नीच वदए गए यञा अनय खञाद पदञा मा लञाए ।

खादय पदाथच कारबोहाइडि परोिीन िसा

कलञा

उबलञा चञािल (भञात)

दही

मकखन

दि

शकरकद

सब कञा टकडञा

सोयञाबीन

“ ििपपणी ”

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िरियाकलाप 3

हम कया करना ह ?पवतियो म रधो कञा परकषण करनञा ।

हम कया सामगी चासहए ?आम / बरगद / बोगनविवलयञा / सवलियञा / वपटवनयञा / गलमहदी की पवतियञा, मञाइकरो सलञाइि, वचमटी, िल, किर गलञास, सइइ, सयकत सकमदशथी ।

आग कस बढ ?1. उपयमाकत सचीबधि पञादपो म स वकसी एक की पररपकि पतिी लीविए ।

2. वनचली बञाहय तिचञा को खीचकर वनकञाल दीविए और अब आपको पतिी क वनकञाल गए भञाग क वकनञारो पर पतलञा वछलकञा वदखञाई दगञा ।

3. वचमटी की सहञायतञा स सञाििञानीपिमाक छोट स वछलक को वनकञाल लीविए और मञाइकरो सलञाइि पर िल की कछ बदो म उस रख दीविए ।

4. इस पर किर गलञास रख दीविए और धयञान रह इसक नीच हिञा कञा बलबलञा न बनन पञाए ।

5. सकमदशथी क वनमन आििमान शवकत िञाल लनस क नीच वछलक को धयञानपिमाक दवखए और कोवशकञाओ क विवभनन परकञारो को नोट कीविए (वचतर 3.1) ।

6. अपन अधयञापक की सहञायतञा स कोवशकञाओ म रोमकपो को ढवढए, इस उचच शवकत लनस म दवखए ।

7. एक रोमकप कञा वचतर उसक आस पञास की सरचनञा सवहत बनञाइए ।

8. ऊपरी बञाहय तिचञा क वलए भी समञान परवकरयञा को दोहरञाइए ।

हमन कया परकषण सकया ?zहमन अनक कोवशकञाओ को पणमात: वयिवसत दखञा ।

zहम कोवशकञाओ क बीच म अनक लघ रोमकप वदखञाई वदए ।

पतछी कच वलकच की वनलछी बञाहय तिञा

vf/peZ dksf'kdk

ja/zh

j{kd dksf'kdk

ja/z

वतर 3.1

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भोजन

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zपरतयक रोमकप सम क बीि क आकञार की दो विशर परकञार की कोवशकञाओ स वघरञा होतञा ह ।

zअनक रोमकप वबनञा विवशषट वयिसञा क वछलक म वछतर हए होत ह ।

हमारा सनषकषष कया ह ?zपतिी क वछलक म अनक कोवशकञाए होती ह िो आकञार और आमञाप म लगभग एक समञान होती

ह । य बञाहय तिचञा कोवशकञाए होती ह ।

zबीन आकञार कोवशकञाओ क सञा लघ रोमकप (दञार कोवशकञाओ) को रध (विस अगजी म एकिचन म सटोमञा और बहिचन म सटोमटञा ) कहत ह ।

आओ उततर द1. पतिी की वकस सतह पर अविक रध होत ह ?

2. रध पर बीन क आकञार िञाली कोवशकञाओ कञा नञाम बतञाइए ।

3. रध क कयञा कञायमा होत ह ?

4. कयञा िलमगन पञादपो म रध उपवसत होत ह ?

5. रध म रोमकप कञा कयञा कञायमा होतञा ह ?

हम और कया कर सकति ह ? ककषञा म विवभनन पञादपो की पवतियो क नमन लञाए और छञातरो स उनकी ऊपरी और वनचली सतह छीलकर आरोवपत (मञाउट करन) करन को कह । उनस सकमदशथी कषतर म वदखन िञाल रधो की सखयञा वगनन और उस सखयञा को दो यञा तीन अनय पञादपो म वदखन िञाल रधो की सखयञा स तलनञा करन को कह ।

सशकषक क सलए • वशकषक वछलकञा उतञारन और मञाउट चढञान की परवकरयञा कञा परदशमान कर । छञातर अनय पणमा सञामगी कञा परयोग

करक यह वकरयञाकलञाप कर । वशकषक की दख-रख म पहल अलप शवकत लस और बञाद म उचच शवकत लस स वछलक पर फोकस कर ।

• अधयञापक शिसन और परकञाश सशलरण क दौरञान गसीय पररितमान और िञाषपोतसिमान हत रध की महतिञा क विरय म चचञामा कर ।

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िरियाकलाप 4

हम कया करना ह ?अधययन करनञा वक पवतियञा परकञाश सशलरण की परवकरयञा क मञाधयम स मि (सटञाचमा) तयञार करती ह ।

हम कया सामगी चासहए ?वकसी भी पञादप की एक पतिी, वसपररट, एक बीकर, परखनली, बनमार, वतरपञाद सटि, िल, पटीविश, आयोिीन विलयन, डरॉपर, वचमटी ।

आग कस बढ ?1. एक पतिी को वचमटी की सहञायतञा स िीर स परखनली म िञाल ।

2. परखनली म इतनी वसपररट िञाल वक पतिी इसम पणमातः िब िञाए ।

3. िल स आि भर एक बीकर म इस परखनली को रख द ।

4. वचतर 4.1 क अनसञार बीकर को वतपञाई पर रख द ।

5. वसपररट कञा रग हरञा होन तक और पतिी क रग विहीन होन तक िल को उबञाल ।

6. सञाििञानीपिमाक पतिी को परखनली स बञाहर वनकञाल और िल स िो द ।

7. इस एक पटीविश म रख और आयोिीन विलयन की कछ बद वमलञा द ।

परखनलछी

जल

बछीकर

वसपररटिथञा पतछी

विपञाई

बनयार

वतर 4.1(कलोरोवल) कच वनषकरयाण हचित सचट-अप

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भोजन

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हमन कया परकषण सकया ?रग विहीन पतिी पर आयोिीन-विलयन िञालत ही पतिी नील-कञाल रग की हो गई ।

हमारा सनषकषष कया ह ?zिब हम पवतियो को वसपररट म उबञालत ह तो पवतियञा रग विहीन हो िञाती ह कयोवक पणमाहररत

(कलोरोवफल) िणमाक वनकषञावलत हो िञातञा ह ।zपवतियो म सटञाचमा (मि) होतञा ह िो आयोिीन-विलयन क सञा वमलन पर नीलञा-कञालञा रग परदञान

करतञा ह ।zसयमा क परकञाश की उपवसवत म परकञाश सशलरण की परवकरयञा दञारञा हरी पवतियो म सटञाचमा (मि)

सशलरण होतञा ह ।

zमि पवतियो म सगकवहत हो िञातञा ह अिञा पञादप क अनय भञागो म पहच िञातञा ह ।

आओ उततर द 1. वसपररट म उबञालन क बञाद पवतियञा रग विहीन कयो हो िञाती ह ?2. वसपररट सवहत पवतियो स यकत परखनली को िल ऊषमक म कयो उबञालञा िञातञा ह ? 3. कयञा होगञा यवद —

(अ) सयमा कञा पयञामापत परकञाश परञापत करन िञाली वकसी पञादप की तञाजी हरी पतिी को आयोिीन-विलयन स उपचञाररत वकयञा िञाए ?

(ब) वकसी पञादप की तञाजी हरी पतिी को 2–3 वदनो तक अिकञार म रखकर आयोिीन-विलयन स उपचञाररत वकयञा िञाए ?

(स) शबवलत (वचतकबरञा) पवतियो (कछ भञाग हरञा और कछ भञाग गर हरञा रग िञाली पवतियञा ) को आयोिीन-विलयन स उपचञाररत वकयञा िञाए ?

4. पकथिी पर समसत िीिो क िीवित रहन क वलए परकञाश सशलरण अवनिञायमा कयो होतञा ह ?5. गमल म लग विवभनन रगो की पवतियो स यकत एक पौि को 2–3 वदनो तक अिकञार म रख और

आयोिीन परीकषण कर । अब उसी पौि को 3– 4 घट सयमा क परकञाश म रख और आयोिीन परीकषण दोहरञाए । अपन परकषणो को ररकरॉिमा कर और कञारण बतञाए ।

हम और कया कर सकति ह ? zशबवलत (वचतकबरञा) पवतियो क हर और गर हर वहससो को अलग कर । उपयमाकत वकरयञाकलञाप

हत की गई चचञामा क अनसञार परवकरयञा कञा अनसरण कर । वसपररट क रगो क अतर को नोट कर ।

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zगमल म लग एक हर रग की पवतियो स यकत पौि को 2–3 वदनो तक अिर कमर म रख और उसकी एक पतिी तोडकर उस पर आयोिीन परीकषण कर । आप दखग वक पतिी कञा रग नील-कञाल रग म नही बदलतञा ह । ऐसञा पवतियो म एकवतरत मि कञा उपयोग होन और सयमा क परकञाश की अनपवसवत म परकञाश सशलरण कञा अभञाि होन क कञारण होतञा ह ।

zगमल म लग पौि की एक हरी पतिी को चन । उस पतिी क एक भञाग को परी तरह स कञाल कञागज स ढक द और इस 2–3 वदनो तक न छए । अब पतिी को तोड ल और कञालञा कञागज हटञा द और आयोिीन परीकषण कर । आप दखग वक पतिी कञा वबनञा ढकञा भञाग मि (सटञाचमा) की उपवसवत क कञारण नील कञाल रग कञा हो िञातञा ह िबवक पतिी कञा ढकञा हआ भञाग नील कञाल रग कञा नही होतञा ह । कयञा आप इन परञापत पररणञामो क कञारण बतञा सकत ह ?

सशकषक क सलए • वकरयञाकलञाप आरमभ करन स पहल अधयञापक ककषञा म परकञाश सशलरण की अििञारणञा की चचञामा कर ।

चवक वकरयञा-कलञाप म वसपररट और तञापन की आिशयकतञा होगी यञा तो वशकषक इसकञा परदशमान कर यञा इस छञातर वशकषक की दख-रख म कर ।

• वकरयञाकलञाप क बञाद, वशकषक इस पवतियो म मि की उपवसवत को विवभनन खञाद पदञाषो म मि की उपवसवत स सबधि कर िणमान कर । इसस पवतियो स पञादपो क अनय भञागो म भोिन क पररिहन की अििञारणञा सपषट होगी ।

“ ििपपणी ”

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भोजन

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वतर 5.1कीट पछीडक दञारञा स करवमि खञादञानन

हम कया करना ह ?अधययन करनञा वक कीट पीडक वकस परकञार खञादञाननो को नकसञान पहचञात ह ?

हम कया सामगी चासहए ?गह / चञािल / दञालो क कछ सकरवमत / खरञाब दञान / बीि, पलञावसटक क तीन ढककनदञार पञातर (कटनसमा), हि लस, मञाइकरो सलञाइि, बरश और वचमटी ।

आग कस बढ ?1. तीन विवभनन परकञार क खञादञानन– कोई भी दञाल, चञािल और गह क

खरञाब बीिो को लीविए ।

2. परतयक परकञार क एक-एक मटी भर बीिो को एक-एक पञातर कटनर म िञावलए और उन पर ‘A’, ‘B’ और ‘C’ वलख दीविए ।

3. बीिो म वनमनञावकत को धयञान स दवखए — – कयञा कछ बीिो म छोट-छोट छद ह ?– कयञा कटनर क तल म पञाउिर िसी सञामगी ह ? – कयञा दञानो क चञारो ओर िञाली िस िञाग लग हए ह ?– कयञा बीिो म स दगमानि आ रही ह ?

4. अब धयञान स दवखए वक कयञा कटनर म वकसी परकञार क िीि–कक व म कीड/ कीट पीडक ह ? यवद ह तो धयञान स दवखए वक कटनर म एक ही परकञार क िीि ह यञा विवभनन परकञार क कीट ह ? कीटो / कक वमयो कञा रग, आकञार और सरचनञा नोट कीविए (वचतर 5.1 एि वचतर 5.2) । खोखल दञानो को तोडन की कोवशश कीविए और दवखए वक कयञा दञानो क अदर कोई िीि ह ?

5. दख गए ित कञा वचतर अपनी नोटबक म बनञाइए ।

6. धयञान स दवखए वक कयञा सभी बीि सकरवमत/खरञाब ह यञा कछक ?

7. वचमटी यञा बरश की सहञायतञा स इन िीिो को उठञाइए और सलञाइि पर िल की एक बद म रवखए ।

8. एक हि लस स उस दवखए ।

9. दञानो को कटनर म रहन दीविए और कछ वदनो क बञाद उनह पनः दवखए ।

िरियाकलाप 5

वतर 5.2सकम जछीिो कच दञारञा सकरवमि खञादञानन

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20

हमन कया परकषण सकया ?zविवभनन नमनो म सकरवमत/खरञाब दञानो की सखयञा म अतर होतञा ह ।

zकक वम िस अनक परञाणी होत ह िो दञानो क बञाहर यञा दञानो क अदर (यवद आप दञान को तोडत ह तो) रगत हए दख िञा सकत ह ।

zसकरवमत दञानो म छद होग और खोखल हो गए होग विनकञा किल बीिञािरण बचञा होगञा ।

zकछ अनञाि क दञानो की पञाउिर िसी सञामगी बन िञाती ह ।

zचञािल क दञानो क बीच म िञाल वदखञाई दत ह ।

zकछ वदनो क बञाद और अविक दञान पञाउिर िसी सञामगी म बदल गए होग । दञानो क ऊपर सफद आिरण और खटी तञा परञानी (फफददञार) दगइि आ सकती ह ।

हमारा सनषकषष कया ह ?zभिञाररत अनञाि क दञानो पर विवभनन परकञार क कीट पीडक हमलञा कर दत ह । कीट पीडको क

िीिन की विवभनन अिसञाओ म िस — लञािञामा (कक वम िसञा वदखन िञालञा परञाणी) और ियसक (रकतञाभ भर िीि) दञानो म छद बनञात ह और उनह कषवत पहचञात ह ।

zसकरवमत दञान खोखल हो िञात ह और कटनर की तली म पञाउिर िसी सञामगी वदखञाई दती ह ।

zसकम िीिो क दञारञा बीि सकरवमत हो सकत ह विसक पररणञामसिरप परञानी (फफददञार) दगइि आती ह ।

zसकरवमत अनञाि मञानि दञारञा उपयोग म लञाए िञान क वलए अनपयकत होतञा ह । इसक उपयोग स बीमञार पडनञा, वमतली और िमन (उलटी) की वशकञायत हो सकती ह । य बीि मकत होत ह, अतः य अकररत नही हो सकत ह ।

आओ उततर द 1. कौन स विवभनन तरीक ह विनम बीि नषट हो सकत ह ?

2. यवद हम बीिो को अचछी तरह स नही रखत ह, तो बीिो कञा कयञा होगञा ?

3. आपक घर म परयोग की िञान िञाली भिञारण की कछ विवियो क नञाम बतञाइए । पतञा लगञाइए वक कयञा य भिञारण हत सरवकषत ह ?

4. कयञा आपन दखञा ह वक बड गोदञामो म अनञाि कञा भिञारण कस वकयञा िञातञा ह ?

5. कभी-कभी िब हम कञाबली चन क दञानो को िल म वभगोत ह, उनम स कछ दञान पञानी म तरत ह िबवक अनय दञान नीच बठ िञात ह । कञारण बतञाइए ।

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भोजन

21

हम और कया कर सकति ह ? zचन क कछ सिस और कछ सदवरत बीि लीविए । उनह िोकर अलग-अलग कटनर म िल म

एक वदन क वलए वभगो दीविए । अब इन बीिो को अकररत करन की कोवशश कीविए िस वक आपन बीि अकरण क परयोग म वकयञा ञा । अपन परकषणो को अपन सहपञावठयो क सञा सञाझञा कररए ।

zबीिो को सकरवमत करन िञाल कीट-पीडको क सरवकषत नमनो कञा अधययन कीविए । अपन वशकषक की सहञायतञा स उनक लकषणो को िञावनए । उनक िीिन-चकर की विवभनन अिसञाओ को समझन कञा परयञास कीविए । पतञा लगञाइए वक उनक िीिन-चकर की कौन सी अिसञा बीिो म सकरमण करती ह ।

zगञामीण इलञाको म भिञारण की विवियो कञा पतञा लगञाइए । भिञारण की विवभनन विवियो क बञार म सचनञा एकतर कीविए और ररपोटमा बनञाइए ।

सशकषक क सलए • यह 4 –5 छञातरो कञा समह वकरयञाकलञाप हो सकतञा ह ।

• सकरवमत बीिो को एकतर करन कञा कञायमा छञातरो को वकरयञाकलञाप करन स कछ वदन पहल द ।

• वशकषक सकरवमत/ खरञाब बीिो को पहचञानन और उनम स कीट पीडको को एकतर करन म छञातरो की सहञायतञा कर ।

• छञातर विवभनन परकञार क कीट पीडको क विरय म भी पढ िो हमञारी फसल क पौिो को हञावन पहचञात ह विसस भञारी कषवत होती ह ।

• छञातरो को सदरण की रोकञाम क वलए उपयकत भिञारण परणञावलयो क विरय म सझञाि दन क वलए परोतसञावहत कर ।

“ ििपपणी ”

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परयोगशाला पसतिका सिजान — उच‍च पराथसिक तिर

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िरियाकलाप 6

हम कया करना ह ?सकमिीिो की उपवसवत िञाचन क वलए तञालञाब क िल कञा परकषण ।

हम कया सामगी चासहए ?कञाच कञा एक टमबलर, तञालञाब/ रधि िल (रकञा हआ) कञा नमनञा, मलमल कञा कपडञा, डरॉपर, मञाइकरो सलञाइि, किर गलञास, पटीविश, सयकत सकमदशथी ।

आग कस बढ ?1. सिचछ तञाल अिञा रधि िल कि क िल को कञाच क एक टमबलर म एकतर कीविए ।

2. यवद िल गदञा (पवकल) हो तो उस मलमल क कपड स छञान ल ।

3. डरॉपर की सहञायतञा स छन हए िल की एक बद सिचछ मञाइकरो सलञाइि पर रख ।

4. िल की बद पर किर गलञास इस परकञार रख वक उसक नीच हिञा कञा बलबलञा न बनन पञाए ।

5. सयकत सकमदशथी स इस धयञान स दख ।

हमन कया परकषण सकया ?यदवप नगी आखो स दखन पर िल सिचछ परतीत होतञा ह, सकमदशथी स इस दखन पर विवभनन परकञार क सकमिीि दख िञा सकत ह । कछ सञामञानय सकमिीिो की आकक वतयञा नीच दी गई ह । इन आकक वतयो (वचतर 6.1 एि 6.2) स तलनञा करक सलञाइि म दख गए िीिो को पहचञावनए ।

DysekbMkseksukl Likbjksxkbjk

वतर 6.1 ििञाल

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iSjkehf'k;e

वतर 6.2 परोटोजोआ

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भोजन

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हमारा सनषकषष कया ह ?zिल म विवभनन परकञार क छोट-छोट िीि होत ह िो नगी आखो स वदखञाई नही दत ह लवकन इनह

सयकत सकमदशथी की सहञायतञा स दखञा िञा सकतञा ह । इन िीिो को सकमिीि कहत ह तञावप, िल म अनक ऐस िीि भी हो सकत ह िो नगी आखो स वदखञाई दत ह, उनह सकमिीि नही कहञा िञा सकतञा ।

आओ उततर द 1. सकमिीिो को इस नञाम स कयो पकञारञा िञातञा ह ?

2. कयञा तञालञाब कञा पञानी पीन क वलए उपयकत होतञा ह ? अपनञा उतिर कञारण सवहत दीविए ।

3. हमञार तञालञाब वकस परकञार परदवरत होत ह ?

4. सकमिीिो क चञार परमख समहो क नञाम बतञाइए । परतयक समह क दो-दो उदञाहरण दीविए ।

5. करॉलम ‘A’ म वदए गए िीिो को करॉलम ‘B’ म वदए गए उनस सबवित समह, विस समह क अतगमात ि आत ह, स वमलञाइए ।

कॉलम ‘A’ कॉलम ‘B’

(a) सपञाइरोगञाइरञा (i) किक

(b) सटफञाइलोकोकस (ii) परोटोजोआ

(c) परञामछीवियम (iii) शिञाल

(d) रञाइजोपस (iv) िीिञाण (बकटीररयञा)

6. असगत को चवनए और कञारण बतञाइए ।

(a) अमछीबञा, यगलछीनञा, परञामछीवियम, कलमञाइडोमोनञास

(b) पचवनवसवलयम, ऐसपवजयालस, सपञाइरोगञाइरञा, खमीर (यीसट)

(c) लकटोबवसलस, रञाइजोपस, सटफञाइलोकोकस, रञाइजोवबयम

7. बतञाइए वक वनमनञावकत कन सही ह यञा गलत । यवद गलत, तो कन को सही कीविए ।

(a) किक सिपोवरत होत ह िबवक परोटोजोआ सिपोवरत अिञा परपोवरत हो सकत ह ।

(b) रञाइजोपस फलीदञार पञादपो की मल गवकञाओ म रहत ह और नञाइटोिन यौवगकीकरण म सहञायतञा करत ह ।

(c) िल म विशर िीिञाण (बकटीररयञा) हो सकत ह विनक कञारण हञावनकञारक रोग हो सकत ह ।

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परयोगशाला पसतिका सिजान — उच‍च पराथसिक तिर

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हम और कया कर सकति ह ? सकमिीि लगभग परतयक परकञार क पयञामािरण – मकदञा, िल, िञाय, उषण झरनञा (सोत) इतयञावद म पनपत ह । वभनन-वभनन सञानो पर वभनन-वभनन परकञार क सकमिीि होत ह । इस अििञारणञा को समझन क वलए वनमनञावकत वकरयञाकलञाप वकए िञा सकत ह ।

zमदञान स ोडी-सी नम मकदञा एक बीकर म एकतर कीविए । बीकर को िल स आिञा भर दीविए । मकदञा क कणो क नीच बठन तक बीकर को एक तरफ रख दीविए । िल की एक बद को मञाइकरो सलञाइि पर रख और इस मञाइकरोसकोप स दख । आपको कछ िीि वदखञाई दग िो तञालञाब क िल म दख गए िीिो स वभनन होग ।

zएक गलञास सलञाइि पर दही की एक बद रवखए और उस सयकत सकमदशथी स दवखए । दही म कछ बकटीररयञा िस – लकटोबवसलस, सटफञाइलोकोकस होत ह ।

सशकषक क सलए • वकरयञाकलञाप आरमभ करन स पहल अधयञापक सकमिीि की अििञारणञा क विरय म बतञाए । सकमिीिो क चञार

परमख समहो को भी उनक अवभलकषणो सवहत विसतञार स बतञाए ।

• छञातरो स विवभनन सञानो स िल क नमन एकतर करन को कह उनस मञाइकरोसकोप स दख गए सकमिीिो (िीिञाण) की सरचनञा की रपरखञा कञा वचतर बनञान को कह । अधयञापक दञारञा विवभनन िल क नमनो म दख गए सकमिीिो की तलनञा और पहचञान की िञाए । ऐसञा करन स िल म उपवसत सकमिीिो की विविितञा की अििञारणञा सपषट होगी ।

• अधयञापक को सकमिीिो स होन िञाल नकसञान और लञाभो की भी चचञामा करनी चञावहए । छञातरो को दही म उपवसत बकटीररयञा को दखन क बञाद इस खञान स विमख नही होनञा चञावहए । दही म बकटीररयञा क होन स सबवित लञाभो की चचञामा की िञानी चञावहए ।

• अधयञापक छञातरो को वनमनञावकत पररयोिनञा द सकत ह छञातरो को चञार समहो म बञाटञा िञाए । परतयक समह एक विवशषट सकमिीि/सकमिीिो क समह को चन, वनमनञावकत सञारणी म सकमिीि क विरय म सचनञा एकतर कर ।

रिमाक सकमजीिो का नाम कहा रह‍ता हहािनकारक या

लाभकारीआकि‍त