तंत्र शास्त्र के रस तंत्र शाखा में

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वण रहयम- णभ परत अच वण निममण योग तं शा के रस तं शाखा म वण लमी की साधना का अयंत महवपूण थान है और यदि इस मं का पूण ववधान से वनमणत वशु संकाररत पारि वशवललंग के सामने २१ दिन म ५४ हजार म जप कर वलया जाये तो वण वनमाण की दिया म शी सफलता वमल जाती है , ऐसा मुझे सिगुरिेव के सयासी वशय राघव िास बाबा जी ने बताया था.समृ होना हमारा अवधकार है और रस शा के मायम से ऐयण ा दकया जा सकता है.इसम म योग तथा दिया ववशेष का योग करना पता है. येक दिया की सफलता के पीछे म ववशेष की शवि कायण करती है. ऐसा नह है की दकसी भी रसायन वसव म से कोई भी रस कायण को सफल कर दिया जाये , हा ये अलग बात है की सगुर स होकमाटर चाबी ही आपको िे िे , परतु वो उनकी सता का वषय है. नीचे जो २ योग दिए गए ह वे वण लमी म से सबंवधत ही ह , यदि इन कीवमया के योग को न करे तब भवनय वत इस म की एक माला आथणक अनुकूलता और धन की ाव साधक को करवाती ही है. म कमलगे की माला या पारि माला से जप होना चावहए. म- ॐ महालमी आब आब मम गृहे थापय थापय वण वसवम् िेवह िेवह नमः II म जप के बाि साधक या रस शा के वजासु को वन योग करके अवय िेखना चावहए, इन योग को मने राघविास बाबा जी को सफलता पूवणक करते िेखा है , और एक बात मने यान िी थी की वे ,पिाथण का ऱपांतर करते समय इस मं का फुट वर म उार दकया करते थे और वछ व धार करके ही ये योग ,सा जगह पर दकये जाते ह. १. २५ ाम शु नीले थोथे को ेत आक के आधा पाव िूध से खरल करके उस कली म शु सीसा १० ाम वमला कर सपुट बनाकर २० दकलो कंड की अवि िेने से भम तैयार हो जाती है. १० ाम रजत को गलाकर उसमे १ री भम डालने पर वण की ाव होतहै. वण लमी म के मायम से भम वण बीज से यौवगत हो कर चािी म वण की उपव कर िेती है.

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