इस्लामी युद्ध-नियम व संधि की ......भ य कक ग...

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इलामी य -नियम व संधि की हैससयत ] हदी & Hindi & [ هنديसाइट इलाम धमसंपादनः अताउरहमाि जयाउलाह 2014 - 1436

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  • इस्लामी युद्ध-नियम व संधि की हैससयत ] हहन्दी & Hindi & هندي ]

    साइट इस्लाम धमम

    संपादनः अताउर्रहमाि ज़ियाउल्लाह

    2014 - 1436

  • 2

    ﴾ يف اإلسالمن احلرب واهلدنة وانق﴿

    «باللغة اهلندية »

    وقع دين اإلسالمم

    عطاء الرمحن ضياء اهلل :مراجعة

    2014 - 1436

  • 3

    बिस्स्मल्लाहिर्मिमाननर्मिीम

    मैं अनत मेहर्बाि और् दयालु अल्लाह के िाम से आर्म्भ कर्ता ह ूँ।

    وذ باهلل من رشور إن احلمد هلل حنمده ونستعينه ونستغفره، ونعأنفسنا، وسيئات أعمانلا، من يهده اهلل فال مضل هل، ومن يضلل

    :دفال هادي هل، وبع

    िर् प्रकार् की िम्द व सना (प्रशसंा और् गुणगान) केवल

    अल्लाि के ललए योग्य िै, िम उसी की प्रशसंा कर्त ेिैं, उसी

    से मदद मांगते और् उसी से क्षमा याचना कर्ते िैं, तथा िम

    अपने नफ्स की िुर्ाई और् अपने िुरे् कामों से अल्लाि की

    पनाि में आत ेिैं, स्िसे अल्लाि तआला हिदायत प्रदान कर् दे

    उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमर्ाि) कर्न े वाला निी,ं और् स्िसे

    गुमर्ाि कर् दे उसे कोई हिदायत देने वाला निीं। िम्द व सना

    के िाद :

  • 4

    इस्लामी युद्ध-नियम व संधि की हैससयत

    इस्लाम ने इसके पवपर्ीत िंग के िो लशष्टाचार्

    िताए िैं, उनकी सिी िैलसयत क़ानून की िै, क्योंकक

    वे मुसलमानों के ललए अल्लाि और् र्सूल के हदए िुए

    आदेश िैं, स्िनकी पािन्दी िम िर् िाल में कर्ेंगे,

    चािे िमार्ा दशु्मन कुछ भी कर्ता र्िे। अि यि

    देखना िर् इल्म र्खने वाले का काम िै कक िो िंगी-

    ननयम चौदि सौ साल पिले तय ककए गए थे,

    पस्श्चम के लोगों ने उसकी नक़ल की िै या निीं,

    और् नक़ल कर्के भी वि िंग की सभ्य मयामदाओं के

  • 5

    उस दिे तक पिंुच सका िै या निीं, स्िस पर्

    इस्लाम ने िमें पिंुचाया था। पस्श्चम वाले अक्सर् यि

    दावा ककया कर्ते िैं कक अल्लाि के र्सूल (सल्लल्लािु

    अलैहि व सल्लम) ने सि कुछ यिूहदयों और् ईसाइयों

    से ले ललया िै। इस ललए िाइिल को भी पढ़ डाललए,

    ताकक आपको मालूम िो िाए कक सभ्यता के इन

    दावेदार्ों का पपवत्र ग्रंथ िंग के ककन तर्ीक़ों की

    हिदायत देता िै। (इस उद्दशे्य के ललए िाइिल की

    ककताि ननगममन (Exodus) पाठ 34, ककताि गगनती

    (Numbers) पाठ 31, ककताि व्यवस्था-पववर्ण

    (Deuteronomy) पाठ 30,7,2 और् ककताि यशूअ

    (Joseph) पाठ 6,8 को पढ़ लेना काफ़ी िै।)

  • 6

    शुरू िी में यि िात भी समझ लीस्िए कक इस्लाम में

    इन्सान के इन्सान िोने की िैलसयत से िो अगधकार्

    ियान ककए गए िैं, उनको दोिर्ाने की अि ज़रूर्त

    निीं िै। इनको हदमाग़ में र्खते िुए देखखए कक

    इस्लाम के दशु्मन के क्या िुक़ूक़ इस्लाम में मुक़र्म

    ककए गए िैं।

    युद्ध ि कर्िे वालों के अधिकार्

    इस्लाम में सिसे पिले दशु्मन मुल्क की िगं कर्ती

    िुई (Combatant) और् िंग न कर्ती िुई (Non-

    Combatant) आिादी के िीच फ़क़म ककया गया िै।

    ििा ं तक िंग न कर्ती िुई आिादी का संिंध िै

  • 7

    (यानी िो लड़ने वाली निीं िै या लड़ने के क़ाबिल

    निी ं िै। लमसाल के तौर् पर् और्तें, िच्चे, िूढ़े,

    िीमार्, अंधे, अपाहिि वग़ैर्ि) उसके िारे् में अल्लाि

    के र्सूल (सल्लल्लािु अलैहि व सल्लम) की हिदायतें

    ननम्नललखखत िैं।

    जो लड़िे वाले िही ंहैं, उिको क़त्ल ि ककया जाए

    ‘‘ककसी िूढेे़, ककसी िच्चे और् ककसी और्त को क़त्ल

    न कर्ो।’’

    ‘‘मठों में िैठे िोगगयों को क़त्ल न कर्ो।’’ (या

    इिादतगािों में िैठे िुए लोगों को न मार्ो।)

  • 8

    िंग में एक मौक़े पर् िज़र्त मुिम्मद (सल्लल्लािु

    अलैहि व सल्लम) ने एक और्त की लाश देखी तो

    फ़र्माया, ‘‘यि तो निीं लड़ र्िी थी।’’ इससे इस्लामी

    क़ानूनदानों ने यि उसूल मालूम ककया कक िो लोग

    लड़ने वाले न िों उनको क़त्ल न ककया िाए।

    युद्ध कर्िे वालों के अधिकार्

    इसके िाद देखखये कक लड़ने वालों को क्या अगधकार्

    इस्लाम ने हदए िैं।

    आग का अ़िाब ि हदया जाए

  • 9

    िदीस में पैग़म्िर् मुिम्मद (सल्लल्लािु अलैहि व

    सल्लम) का इर्शाद िै कक, ‘‘आग का अज़ाि देना

    (नर्क के रूप में) आग के र्ि के लसवा ककसी को

    शोभा निीं देता।’’ इससे यि िुक्म ननकला कक दशु्मन

    को स्ज़न्दा न िलाया िाए।

    ़िख़्मी पर् हमला ि ककया जाए

    ‘‘ककसी ज़ख़्मी पर् िमला न कर्ो।’’ अलभप्राय िै वि

    ज़ख़्मी िो लड़ने के क़ाबिल न र्िा िो, न अमली

    तौर् पर् लड़ र्िा िो।

    क़ैदी को क़त्ल ि ककया जाए

  • 10

    ‘‘ककसी क़ैदी को क़त्ल न ककया िाए।’’

    बांि कर् क़त्ल ि ककया जाए

    ‘‘पैग़म्िर् (सल्लल्लािु अलैहि व सल्लम) ने िांध कर्

    क़त्ल कर्ने या क़ैद की िालत में क़त्ल कर्ने से मना

    फ़र्माया।’’ िज़र्त अिू-अय्यूि अंसार्ी (र्स्ज़यल्लािु

    अन्िु) स्िन्िोंने यि रर्वायत पैग़म्िर् मुिम्मद

    (सल्लल्लािु अलैहि व सल्लम) से नक़ल की िै,

    फ़र्माते िैं कक ‘‘स्िस ख़ुदा के िाथ में मेर्ी िान िै,

    उसकी क़सम ख़ाकर् किता िंू कक मैं ककसी मुग़म को

    भी िांधकर् स्ज़ब्ि न करंूगा।’’

  • 11

    दशु्मि क़ौम के देश में आम ग़ार्तगर्ी या ल टमार् ि

    की जाए

    यि हिदायत भी की गई कक दशु्मनों के मुल्क में

    दाखख़ल िो तो आम तिािी न फैलाओ। िस्स्तयों को

    वीर्ान न कर्ो, लसवाय उन लोगों के िो तुम से लड़ते

    िैं, और् ककसी आदमी के माल पर् िाथ न डालो।

    िदीस में ियान ककया गया िै कक ‘‘मुिम्मद

    (सल्लल्लािु अलैहि व सल्लम) ने लूटमार् से मना

    ककया िै।’’ और् आप (सल्लल्लािु अलैहि व सल्लम)

    का फ़र्मान था कक ‘‘लूट का माल मुर्दार् की िी

    तर्ि, िलाल निीं िै।’’ यानी वि भी मुर्दार् की तर्ि

    िर्ाम िै। िज़र्त अिूिक्र लसद्दीक़ (र्स्ज़यल्लािु अन्िु)

  • 12

    फ़ौिों को र्वाना कर्त ेवक़्त हिदायत फ़र्मात ेथे कक

    ‘‘िस्स्तयों को वीर्ान न कर्ना, खेतों और् िाग़ों को

    िर्िाद न कर्ना, िानवर्ों को िलाक न कर्ना।’’

    (ग़नीमत के माल का मामला इससे अलग िै। इससे

    मुर्ाद वि माल िै, िो दशु्मन के लश्कर्ों, उसके

    फ़ौिी कैम्पों और् उसकी छावननयों में लमले। उसको

    ज़रूर् इस्लामी फ़ौिें अपने क़ब्ज़े में ले लेंगी। लेककन

    आम लूटमार् वि निी ंकर् सकतीं।)

    जीते हुए इलाक़े के लोगों से कोई ची़ि मुफ़्त या

    बबिा इजा़ित के ि ली जाए

  • 13

    इस िात से भी मना कर् हदया गया कक आम

    आिादी की ककसी चीज़ से, मुआवज़ा अदा ककये िग़ैर्

    फ़ायदा न उठाया िाए। िंग के दौर्ान में अगर्

    दशु्मन के ककसी इलाक़े पर् क़ब्ज़ा कर्के मुसलमानों

    की फ़ौि विा ं ठिर्ी िो तो उसको यि िक़ निी ं

    पिंुचता कक लोगों की चीज़ों का िे-र्ोक-टोक इस्तेमाल

    करे्। अगर् उसको ककसी चीज़ की ज़रूर्त िो तो

    ख़र्ीद कर् लेना चाहिए या माललकों की इिाज़त

    लेकर् उसको इस्तेमाल कर्ना चाहिए। िज़र्त अिूिक्र

    लसद्दीक़ (र्स्ज़यल्लािु अन्िु) फ़ौिों को र्वाना कर्त े

    वक़्त यिां तक फ़र्मात े थे कक ‘‘दधू देने वाले

  • 14

    िानवर्ों का दधू भी तुम निी ंपी सकते, िि तक कक

    उनके माललकों से इिाज़त न ले लो।’’

    दशु्मि की लाशों पर् गु ु़स्सा ि निकाला जाए

    इस्लाम में पूरे् तौर् पर् इस िात को भी मना ककया

    गया िै कक दशु्मन की लाशों का अनादर् ककया िाए

    या उनकी गत बिगाड़ी िाए। िदीस में आया िै कक

    ‘‘िज़र्त मुिम्मद (सल्लल्लािु अलैहि व सल्लम) ने

    दशु्मनों की लाशों की काट, पीट या गत बिगाड़ने से

    मना फ़र्माया िै।’’ यि िुक्म स्िस मौक़े पर् हदया

    गया, वि भी िड़ा सिक़-आमोज़ िै। उिुद की िंग में

    िो मुसलमान शिीद िुए थे, दशु्मनों ने उनकी नाक

  • 15

    काट कर् उनके िार् िनाए और् गलों में पिने। िुिू े़र्

    (सल्लल्लािु अलैहि व सल्लम) के चचा िज़र्त िम्ज़ा

    (र्स्ज़यल्लािु अन्िु) का पेट चीर् कर् उनका कलेिा

    ननकाला गया और् उसे चिाने की कोलशश की गई।

    उस वक़्त मुसलमानों का गु े़स्सा िद को पिंुच गया

    था। मगर् िज़र्त मुिम्मद (सल्लल्लािु अलैहि व

    सल्लम) ने फ़र्माया कक तुम दशु्मन क़ौम की लाशों

    के साथ ऐसा सुलूक न कर्ना। इसी से अंदाज़ा ककया

    िा सकता िै कक यि दीन िक़ीक़त में ख़ुदा िी का

    भेिा िुआ दीन िै। इसमें इन्सानी िज़्िात और्

    भावनाओं का अगर् दख़ल िोता तो उिुद की िंग में

    यि दृश्य देखकर् िुक्म हदया िाता कक तुम भी

  • 16

    दशु्मनों की फ़ौिों की लाशों का इस तर्ि अनादर्

    कर्ो।

    दशु्मि की लाशें उसके हवाले कर्िा

    अिज़ाि की िंग में दशु्मन का एक िड़ा मशिूर्

    घुड़सवार् मर्कर् खाई में गगर् गया। काकफ़र्ों ने

    अल्लाि के र्सूल (सल्लल्लािु अलैहि व सल्लम) के

    सामने दस िज़ार् दीनार् पेश ककए कक उसकी लाश

    िमें दे दीस्िए। आप (सल्लल्लािु अलैहि व सल्लम)

    ने फ़र्माया कक मैं मुदे िेचने वाला निी ंिंू। तुम ले

    िाओ अपने आदमी की लाश।

    वादा-ख़िलाफ़ी सख़्ती से मिा

  • 17

    इस्लाम में प्रनतज्ञाभंग (िदअिदी) को भी सख़्ती से

    मना कर् हदया गया िै। अल्लाि के र्सूल (सल्लल्लािु

    अलैहि व सल्लम) फ़ौिों को भेिते वक़्त िो हिदायतें

    देते थे, उनमें से एक यि थी ‘‘िदअिदी न कर्ना।’’

    क़ुर्आन और् िदीस में इस िुक्म को िार्-िार्

    दोिर्ाया गया िै कक दशु्मन अगर् वचन व प्रनतज्ञा की

    खख़लाफ़वज़ी कर्ता िै तो करे्, लेककन तुम को अपने

    प्रनतज्ञा व वचन की खख़लाफ़वज़ी कभी न कर्ना

    चाहिए। िुदैबिया की सुलि की मशिूर् घटना िै कक

    सुलिनामा तय िो िाने के िाद एक मुसलमान

    नौिवान अिू-िदंल (र्स्ज़यल्लािु अन्िु) स्िनका िाप

    सुलिनामे की शतें अल्लाि के र्सूल (सल्लल्लािु

  • 18

    अलैहि व सल्लम) से तय कर् र्िा था, िेड़ड़यों में

    भागते िुए आये और् उन्िोंने किा मुसलमानो मुझ े

    िचाओ!! अल्लाि के र्सूल (सल्लल्लािु अलैहि व

    सल्लम) ने उनसे फ़र्माया कक मुआिदा िो चकुा िै।

    अि िम तुम्िार्ी मदद निी ंकर् सकते, तुम वापस

    िाओ। अल्लाि तुम्िारे् ललए कोई र्ास्ता खोलेगा।

    उनकी दयनीय दशा को देखकर् मुसलमानों की पूर्ी

    फ़ौि र्ो पड़ी, लेककन अल्लाि के र्सूल (सल्लल्लािु

    अलैहि व सल्लम) ने िि फ़र्मा हदया कक वचन

    (अिद) को िम तोड़ निीं सकत,े तो उनको िचाने के

    ललए एक भी व्यस्क्त आगे न िढ़ा और् काकफ़र् उनको

    ििर्न घसीटते िुए ले गए। यि वचन व प्रनतज्ञा की

  • 19

    पािन्दी की अनोखी लमसाल िै और् इस्लामी इनतिास

    में ऐसी लमसालें ििुत-सी मौिूद िैं।

    जगं से पहले जगं के एलाि का हुक्म

    क़ुर्आन में फ़र्माया गया िै कक, ‘‘अगर् तुम्िें ककसी

    क़ौम से ख़यानत (यानी संगध की प्रनतज्ञा तोड़ने) का

    ख़तर्ा िो तो उसकी प्रनतज्ञा खुल्लम-खुल्ला उसके मंुि

    पर् मार् दो’’ (8:58)। इस आयत में इस िात से मना

    कर् हदया गया िै कक िंग के ऐलान के िग़ैर् दशु्मन

    के खख़लाफ़ िंग छेड़ दी िाए, लसवाय इसके दसूरे्

    फ़र्ीक़ ने आक्रामक कायमवाइया ंशुरू कर् दी िों। अगर्

    दसूरे् फ़र्ीक़ ने एलान के िग़ैर् आक्रामक कायमवाइयों

  • 20

    की शुरुआत कर् दी िो तो कफर् िम िग़रै् एलान

    ककये उसके खख़लाफ़ िगं कर् सकते िैं, वर्ना कु े़र्आन

    िमें यि िुक्म दे र्िा िै कक एलान कर्के उसे िता दो

    कक अि िमारे् और् तुम्िारे् िीच कोई संगध, प्रनतज्ञा

    िाक़ी निी ंर्िा िै और् अि िम और् तुम िर्सरे् िंग

    िैं। अगर्चे मौिदूा अन्तर्ामष्रीय क़ानून का तक़ाज़ा

    भी यि िै कक िंग के ऐलान के िग़ैर् िंग की िाए,

    लेककन िीसवीं सदी में भी तमाम िड़ी-िड़ी लड़ाइयां

    िंग के एलान के िग़ैर् शुरू िुईं। वि उनका अपना

    िनाया िुआ क़ानून िै, इसललए वि अपने िी क़ानून

    को तोड़ने के मुख़्तार् िैं। मगर् िमारे् ललए यि ख़ुदा

  • 21

    का हदया िुआ क़ानून िै, िम उसकी खख़लाफ़वज़ी निीं

    कर् सकते।