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1 सूफ़ȧ ĤेमाÉयानक भǒƠकाåय Ĥèतुित / Presentation By: डॉ. सी. जय शंकर बाबु / Dr. C. Jaya Sankar Babu सहायक Ĥोफ़े सर / Asst. Professor पांǑडÍचेरȣ ǒवƳǒवƭालय / Pondicherry University

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    सूफ़ ेमा यानक भ का य

    तुित / Presentation By:डॉ. सी. जय शंकर बाबु / Dr. C. Jaya Sankar Babu

    सहायक ोफ़ेसर / Asst. Professor पां ड चेर व व ालय / Pondicherry University

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    चचा के मु य वषय• सूफ़ मत और िस ांत• सूफ़ ेम का य परंपरा• रह यवाद• का य प• का य भाषा, अलंकार, छंद• प ावत का अ ययन• मू यांकन

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    चचा के मु य वषय• सूफ़ मत और िस ांत• सूफ़ ेम का य परंपरा• रह यवाद• का य प• का य भाषा, अलंकार, छंद• प ावत का अ ययन• मू यांकन

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    सूफ़ मत और िस ांत• सूफ़ मत इ लाम धम क एक उदार शाखा है ।• सूफ़ मत इ लाम धम के अंतगत वकिसत आ मिचंतन एवं अनुभूित-

    धान विश दाशिनक मतवाद है ।• सूफ़ मत को माननेवाल को सूफ़ और उनके दशन को तसवु फ कहते

    ह ।• हज़रत मुह मद ारा वितत इ लाम धम म कालांतर म वकिसत

    विभ न सं दाय , उपसं दाय के लोग के बीच चिलत हंसा, व ेष तथा धम के बा ाडंबर के वरोधी- वचारधारा के प रणाम व प इ लाम के उदारचेता स यािसय क एक परंपरा ने ज म िलया, वह सूफ़ मत कहलाया ।

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    सूफ़ मत और िस ांत• इ लाम के एक उदार सं दाय के प वकिसत सूफ़ मत ने इ लाम

    के दशन प को मज़बूत बनाया ।• भारत म सूफ़ मत का वेश इ लाम के अ त व के बाद वाजा

    मुईनु न िच ती (12वीं सद ) के समय से माना जाता है ।• सू फ़य के पाँच मुख सं दाय ह

    – िच ती सं दाय - वाजा मुईनु न िच ती (12वीं सद )– सोहरावद (सुहरवद ) सं दाय (12वीं सद ) - िशहाबु न सुहरवद– कादर सं दाय (15वीं सद ) – अ दुल कादर जलानी– न सबंद (न शबंद ) सं दाय (15वीं सद ) – वाजा उबैदु ला– शतार सं दाय – शेख़ अ दु ला शतार

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    सूफ़ संत

    • सूफ़ संत के उ च वचार , सादा जीवन और यापक ेम के त व ने भारतीय जन जीवन को आकृ कया ।

    • सूफ़ संत ने भारत म चिलत गाथाओं, लोक कथाओं का आ य लेकर अपने आ या मक वचार को जनता तक पहुँचाया है ।

    • इस परंपरा का थम का य मु लादाऊद कृत चंदायन (या चं ावन) है ।

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    सूफ़ संत• सूफ़ श द क यु प के संबंध म व ान क कई धारणाएँ ह ।

    कुछ मुख धारणाएं –– यह सूफ़ा (प व ता) से बना है

    (मन, वचन, कम से प व य )– सूफ़ा श द दय से िन कपट य के िलए यु– सो फ़या (िनमल ान) से बना है

    (िनमल ानी ह सूफ़ कहलाने का अिधकार है) – सफ (सबसे आगे क पं ) से िनकला है

    (कयामत के दन ई र के यपा होने के कारण सबसे आगे क पं म खड़े कए जाएंगे)

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    सूफ़ संत• सूफ़ श द क कुछ प रभाषाएँ इस प म द गई ह –

    – परमा मा संबंधी स य ान तथा सांसा रक व तुओं से वर - िनकलसन

    – अपने िनजी वाथ को यागकर एकमा परमा मा के िलए जीना ह सूफ़ धम है – जुनैद

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    सूफ़ संत• सूफ़ श द क यु प - कुछ मुख धारणाएं –

    – यह सुफ़ (चबूतरा) से बना है (चबूतरे पर मुह मद साहब के िश य एक होकर परमा मा का िचंतन करते ह)

    – सूफ़ श द सूफ़ से से बना है, जसका अथ है – ऊन ।(यह केवल उ ह ं य य के िलए यु होता था जो मोटे ऊनी व को पहनते थे और भोग- वलास से दूर रह कर सीधा-सादा जीवन बताते थे)

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    सूफ़ संत• सूफ़ मत के संबंध म आचाय रामचं शु ल के वचार–

    – आरंभ म सूफ़ एक कार के फक र या दरवेश थे जो खुदा क राह पर अपना जीवन ले चलते थे ।

    – द नता और न ता के साथ बड़ फट हालत म दन बताते थे, ऊन के कंबल लपेटे रहते थे, भूख- यास सहते थे और ई र के म म लीन रहते थे ।

    – साधना के मानिसक प क ओर अिधक वृ होकर (बा वधाने से उदासीन होते हुए) अंतःकरण क प व ता और दय के ेम को ह मु य कहने लगे ।

    (जायसी ंथावली)

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    सूफ़ संत क ेम-साधना प ित• समाज के क को दूर करने के िलए य गत साधना क उ च

    भूिम पर पहुँचकर लोकर ा के आदश को था पत कया ।• कोई अहंकार या नया पंथ न चलाकर ेम-माग के गुण का

    बखान कया ।• व ान का आदर कया और वेद पुराण कुरान को क याण पथ

    क ओर ले जाने वाले वचन घो षत कया ।• जायसी वेद माग का खुले प से समथन करते ह -

    राघव पूज जा खनी, दुइज देखाएिस साँझ ।वेद पंथ जे न ह चल ह, ते भल ह बन माँझ ?

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    सूफ़ संत क ेम-साधना प ित• सूफ़ फक र ने वै णव मत के अ हंसामय ेम को अपनाया ।• मं -तं के योग करन ेवाले, भूत, ेत और य णी आ द िस

    करन ेवाले तां क और शा के ित उस समय समाज म भाव कैसे हो रहे थे, इसका पता राघवचेतन के च र -िच ण से िमलता है ।

    • सूफ़ पशु हंसा के खलाफ ह और इनक स दयता और कोमलता कसी भी सगुणोपासक भ से कम नह ंहै ।

    • भ और उपासना के िलए सूफ़ ई र को अनंत स दय, अनंत श , अनंत गुण का सागर मानते ह ।

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    सूफ़ संत क ेम-साधना प ित• फारसी का य के अ ैतवाद वचार ने भारतीय सू फ़य को भा वत

    कया और हंद का य क ेमगाथा परंपरा को भी उस रंग म रंग दया ।

    • पैगंबर एके रवाद और दाशिनक अ ैतवाद म भेद काफ गहरा है ।• य जगत के नाना प को उसी अ य के य आभास

    मानकर सूफ़ लोग भागम न हुआ करते ह ।• इसी उदार भावम न थित ने सूफ़ ेम माग को यापक बनाया

    है ।

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    सूफ़ संत क ेम-साधना प ित• उदार भावम न थित ने सूफ़ ेम माग को यापक बनाया है ।

    • जायसी ने िलखा है –ेम पहार क ठन विध गढ़ा । सो पै चढ़ै जो िसर दै चढ़ा ।पंथ सू र कर उठा अँकू । चोर चढ़ै क चढ़ मंस ।।

    • सूफ़ लोग ठ क एके राद नह ं ह । उनका व ास बहुत कुछ इस देश के विश ैतवाद दाशिनक क भांित है ।

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    सूफ़ मत• सूफ़ िचंतक मनु य के चार वभाग मानते ह -1. न स ( वषय भोग वृ या इं य)2. ह (आ मा या िच )3. क ब ( दय)4. अ ल (बु )• साधक (सािलक) का थम ल य न स के साथ यु होना

    चा हए । ह और क ब ारा ह साधक साधना करता है ।

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    सूफ़ मत• सूफ़ साधक के लतायफ़िसता (योग) को भारतीय योिगय के

    षटच क मा यता (मूलधार, वािध ान, म णपूरक, अनाहत, वशु ा य और आ ा) के बराबर मानते हुए कुछ वचारक मानते ह क लतायफ़िसता के भी छः वभाग ह -

    1. न स ( वषय भोग वृ या इं य)2. ह (आ मा या िच )3. क ब ( दय)4. अ ल या िसर (बु ) के अलावा 5. ख़फ़ और 6. अ फा ।

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    सूफ़ मत• सूफ़ चार जगत मानते ह -1. आलमे नासून (भौितक जगत)2. आलमे मलकूत (िचत ् जगत)3. आलमे लाहूत (स य जगत या )4. आलमे जब त (आनंदमय जगत)• सत ् ह चरम परमािथक स ा है । अतः को िनगुण और अ ेय ह कहना चा हए । ई र को मरण ( ज ) और यान (मुराकबत) से ह पाया जा सकता है ।

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    सूफ़ मत• सूफ़ मत म साधक क चार अव थाएँ मानी गई ह -1. शर यत (धम ंथ के विध िनषेध का स यक पालन)-ई र क स ा से भा वत होना ।2. तर कत (बाहर या-कलाप से परे होकर केवल दय क शु ता ारा

    भगवान का यान) - ववेक- ाि3. हक कत (भ और उपासना के भाव से स य का बोध, इस बोध से

    साधक लोक हो जाता है ।) – व क वा त वकता को पहचानना4. मारफ़त (िस ाव था जसम क ठन उपवास और मौन आ द क साथना

    ारा अंत म मोिमन (साधक) क आ मा परमा मा म लीन हो जाती है ।) – ई र को स य व प म जानना

    • इ ह हम मशः कमकांड, उपासना कांड, ान कांड और िस ाव था कह सकते ह ।

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    सूफ़ मत• सूफ़ मत क अव थाओं का उ लेख जायसी ने अखरावट म कया

    है –कह सर अत िच ती पी । उध रत असरफ और जहँगी ।।

    राह हक कत परै न चूक । पै ठ मारफत मार बूडूक ।• ई र क स ा का सार ेम है ।• इ क मजाजी (लौ कक ेम) ह इ क हक क (आ या मक ेम)

    क ओर ले जाने क थित है ।• इस माग के कई पड़ाव ह – ज ह मुलाकात कहा जाता है ।

    साधक फना (मृ य)ु से बक़ा (अ त व) क ओर बढ़ता है ।

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    सूफ़ मत

    • सूफ़ ानंद का वणन ेमानंद के प म करते ह ।

    • बंब है और जगत ् उसका ित बंब है ।

    • यह िस ांत ित बंबवाद कहलाता है जसक चचा प ावत म आती है ।

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    सूफ़ मत• हंद के सभी सूफ़ का य म वेदांत के साथ हठयोग क बात का

    समावेश सू फ़य ने कया है ।

    • सूफ़ साधक क हाल अव था समािध है । इसके दो प ह – याग प और ाि का माग ।

    • थम अव था म उसका अहं भाव न होकर ेम का नशा छा जाता है । दूसर अव था म साधक घर बार छोड़कर िनकल पड़ता है वयोग म तड़पता है और ेम क ती ता से य को ा करता है ।

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    चचा के मु य वषय• सूफ़ मत और िस ांत• सूफ़ ेमका य-परंपरा• रह यवाद• का य प• का य भाषा, अलंकार, छंद• प ावत का अ ययन• मू यांकन

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    सूफ़ ेमका य-परंपरा

    • जायसी से पूव हंद ेमा यानक का य क एक समृ परंपरा िमलती है ।

    • सूफ़ ेमा यान का य से पूव क परंपरा पर ाकृत अप ंश के च रत का य क परंपरा का गहरा असर है ।

    • यह असर लोकगाथा मक ेमा यानक का य – ढोला मा रा दूहा, सदयव य-साविलंगा, बीसलदेव रासो आ द म दखाई देता है ।

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    सूफ़ ेमका य-परंपरा• जायसी से पूव सूफ़ ेमा यानक का य म मुख ह -• मु लादाऊद का चंदापन या नूरकाचंदा (सं.1374 ई.)• दामो क व का ल मण सेन प ावती (सं.1456 ई.)• नारायणदास (रतनरंग) का िछताई वाता या िछताई च रत

    • ई ररास रिचत स यवती कथा (सं.1501 ई.)• कुतुबन कृत मृगावती (सं.1503 ई.)• मंझन रिचत मधुमालती• चतुभुजदास रिचत मधुमालती

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    सूफ़ ेमका य-परंपरा

    • व नावती, मु धावती, मृगावती, मधुमालती, ेमावती, उषा-अिन आ द ेम का य का पता चलता है ।

    • इनम से मृगावती और मधुमालती ह इितहासकार को उपल ध हो पाए ह ।

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    सूफ़ ेमका य-परंपरा• जायसी ने प ावत म इस ेमा यानक का य-परंपरा का उ लेख

    कया है –व म धस ेम के बारा ँ। सपनावित कहं गयउ पतारा ँ।।सुदेव छ मुगुधावित लागी । कंकतपूर होइगा वेरागी ।।राजकँुवर कंचनपुर गयऊ । िमरगावित कह जोगी भयऊ ।।साधा कँुवर मनोहर जोग ू। मधुमालित कहं क ह वयोगूेमावती कहँसरसुर साधा । उखा लािग अिन वर बांधा ।

    - जायसी ंथावली – (माता साद गु का पाठालोचन दोहा 233)

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    सूफ़ ेमका य-परंपरा• हंद के उपल ध ेम का य म कुतुबन क मृगावती या

    िमरगावती सबस ेअिधक ाचीन रचना है ।• मृगावती ेम का य म चं िगर के राज कुमार और कंचनपुर क

    राच कुमार मृगावती क ेम कथा है ।• यह रचना सन ्1503 क मानी जाती है ।• इस रचना के बात जायसी क िस रचना प ावत का नाम

    आता है जसम राजा र सेन और िसंहलगढ़ क राज कुमार प ावती क े कथा है ।

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    सूफ़ ेमका य-परंपरा• प ावत के बाद मंझन कृत मधुमालती का नाम आता है जसम

    मधुमालती के ेम क कथा व णत है ।• इसके बाद उसमान कृत िच ावती का य का उ लेख िमलता है

    जसम नेपाल के राजा धरनीधर के पु सुजान और पनगर क राज कुमार िच ावती क ेमकथा िमलती है ।

    • तदुपरांत जान क व के 21 सूफ़ का य िमलते ह, जसम मुख ह– र वती, लैलामजनू, कनकावती आ द ।

    • इन सभी रचनाओ ंपर प ावत का पया भाव है ।

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    सूफ़ ेमका य-परंपरा

    • जान क व के समकालीन शेखनवी कृत ानद प नामक ेम का य म रानी देवजानी तथा राजा ानद प के ेम

    संबंध क कथा है ।• इसके बाद कािसम शाह ने हंस जवा हर नामक ेम का य क रचना क ।

    • तदनंतर नूर मुह मद कृत इं वती और अनुराग बाँसुर आ द ेम का य का उ लेख िमलता है ।

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    सूफ़ ेमका य-परंपरा

    • िनसार क व कृत युसुफ जुलेखा, वाजा अहमद कृत नूरजहाँ, शेख रह म क पुहुपावती, अली सलोनी क ेम िचनगार आ द ने ेमा यानक का य परंपरा का वकास कया ।

    • मसनवी प ित म िलखे गए ये सभी का य बंध का य ह और इ कमजाजी से इ क हक क क या ा तय करते ह । *

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    चचा के मु य वषय• सूफ़ मत और िस ांत• सूफ़ ेम का य परंपरा• रह यवाद• का य प• का य भाषा, अलंकार, छंद• प ावत का अ ययन• मू यांकन

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    चचा के मु य वषय• सूफ़ मत और िस ांत• सूफ़ ेम का य परंपरा• रह यवाद• का य प• का य भाषा, अलंकार, छंद• प ावत का अ ययन• मू यांकन

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    चचा के मु य वषय• सूफ़ मत और िस ांत• सूफ़ ेम का य परंपरा• रह यवाद• का य प• का य भाषा, अलंकार, छंद• प ावत का अ ययन• मू यांकन

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    चचा के मु य वषय• सूफ़ मत और िस ांत• सूफ़ ेम का य परंपरा• रह यवाद• का य प• का य भाषा, अलंकार, छंद• प ावत का अ ययन• मू यांकन

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    चचा के मु य वषय• सूफ़ मत और िस ांत• सूफ़ ेम का य परंपरा• रह यवाद• का य प• का य भाषा, अलंकार, छंद• प ावत का अ ययन• मू यांकन